सरायकेला: नारी शक्ति सम्मान से अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से सम्मानित वन देवी के नाम से विख्यात चामी मुर्मू आज अपने घर राजनगर वापस लौटी. इस दौरान राजनगर वासियों ने वनदेवी चामी मुर्मू का भव्य स्वागत किया.
सरायकेला जिले के राजनगर निवासी समाजसेवी और वन एवं पर्यावरण सुरक्षा को लेकर पिछले कई वर्षों से संरक्षण कार्य कर रही समाजसेवी चामी मुर्मू अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर नारी शक्ति सम्मान पाकर न सिर्फ सरायकेला बल्कि पूरे झारखंड का नाम गौरवांवित की है.
32 वर्षों से पर्यावरण संरक्षण का कर रही काम
चामी मुर्मू झारखंड में आज किसी परिचय की मोहताज नहीं है. पर्यावरण और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में इनका योगदान अतुलनीय है. 1988 में पर्यावरण एवं महिला को सशक्त बनाने के उद्देश्य से चामी ने गांव-गांव घूमकर महिलाओं को जागरूक किया. इसके साथ ही लोगों को पर्यावरण का महत्व समझाया और जल, जंगल, जमीन को बचाकर उससे होने वाले फायदे भी बताए. आज अपने कठिन परिश्रम से चामी ने झारखंड का नाम देशभर में रोशन किया है.
1992 में बनायी संस्था
महिला सशक्तिकरण और वन्य एवं पर्यावरण संरक्षण के दिशा में लगातार कार्य कर रही चामी मुर्मू ने महिलाओं को संगठित कर साल 1992 में संस्था का गठन किया, जिसके बाद से अब तक 780 हेक्टेयर से भी अधिक सरकारी और गैर सरकारी भूमि पर 27 लाख 25 हजार 960 पौधारोपण कर मिसाल कायम की.
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पारंपरिक तरीके से हुआ चामी का स्वागत
राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित होकर घर लौटने पर चामी मुर्मू का राजनगरवासियों ने भव्य स्वागत किया. आदिवासी परंपरागत तरीके से महिला पुरुषों ने चामी का अभिनंदन किया. इस मौके पर चामी ने भगवान बिरसा मुंडा प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए. इसके अलावा चामी ने अन्य कई शहीदों को भी नमन किया. इस दौरान चामी ने कहा कि आज इन्हें यह जो सम्मान प्राप्त हुआ है. इसमें सरायकेला और राजनगरवासियों का भी अहम योगदान है.