सरायकेला: कोरोना वायरस महामारी शुरू होते ही लोगों को इस बात का भली-भांति ज्ञान हुआ कि इस खतरनाक बीमारी से बचने के लिए अपने रोग प्रतिरोधक क्षमता, इम्यूनिटी सिस्टम को बेहतर रखना होगा. संक्रमण के इस दौर में लोग लगातार अपने इम्यूनिटी सिस्टम स्ट्रांग रखने को लेकर कई हथकंडे और उपाय अपना रहे हैं, इधर प्राकृतिक और कई औषधीय गुणों से भरपूर गिलोय, जिसे आयुर्वेद में अमृत के समान माना गया है, यह प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ कई बीमारियों से एक साथ लड़ता है. लिहाजा हाल के दिनों में लोग अब जबरदस्त तरीके से गिलोय को अपने जीवन में शामिल कर रहे हैं. इन दिनों में शहरी क्षेत्र में जागरूक लोग गिलोय का अधिक से अधिक सेवन करने लगे हैं, ऐसे में अब शहरी क्षेत्र के कई हिस्सों में लोग गिलोय तोड़कर घरों में जमा कर रहे हैं और इसके काढ़ा स्वरूप का सेवन कर इम्यूनिटी पावर बढ़ा रहे हैं, वहीं अब शहरी क्षेत्र में गिलोय के पेड़ पौधे भी कम हो रहे हैं.
एंटी माइक्रोबियल गुणों से भरपूर है गिलोय
गिलोय पर किए गए अध्ययन में इस बात के पुख्ता प्रमाण मिले हैं कि इसमें एंटीमाइक्रोबियल्स गुण मौजूद हैं. इस कारण यदि आप प्रतिदिन गिलोय का सेवन करते हैं, तो शरीर में प्रवेश करने वाले हानिकारक बैक्टीरिया आपको बीमारी के चपेट में नहीं ले सकते हैं. इसके अलावा शरीर में किसी भी प्रकार के घाव को तेजी से भरने के लिए यह काफी गुणकारी है. साथ ही साथ सर्दी-खांसी और जुकाम की समस्या से बचे रहने के लिए गिलोय में मौजूद एंटीमाइक्रोबियल्स गुण शरीर को काफी फायदा पहुंचाते हैं.
नीम के पेड़ पर पसरे गिलोय सबसे अधिक फायदेमंद
आयुर्वेद में औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण गिलोय को अमृत के समान माना गया है और इसे आयुर्वेद में अमृता भी कहा जाता है. आम, झाड़ और लताओं की तरह दिखने वाला गिलोय का जड़ और शाखा कई बीमारियों से लगता है और शरीर को निरोग और तंदुरुस्त बनाता है. इन दिनों शहरी क्षेत्र में जहां भी लोग गिलोय के लता और पेड़ को पाते हैं. उसे तोड़ कर अपने घरों में रख काढ़ा स्वरूप बनाकर जबरदस्त तरीके से प्रयोग में ला रहे हैं. वहीं बताया जाता है कि नीम के पेड़ पर फैला गिलोय का पेड़ महा अमृत के समान होता है और इसके जड़ और शाखाओं से तैयार काढ़ा जबरदस्त फायदा पहुंचाता है, लिहाजा शहरी क्षेत्र में जहां अब गिलोय के पौधे कम देखने को मिलते हैं, वहीं नीम पर फैले गिलोय को पाने लोग कड़ी मशक्कत करते दिख रहे हैं.
गिलोय सेवन से होने वाले फायदे
- रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में सहायक है गिलोय का रस
- कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों को रोकने में है कारगर
- पाचन क्रिया को बनाता है मजबूत
- गठिया वात रोग में अति फायदेमंद
- हृदय की बीमारियों से बचाता है गिलोय का रस
- रक्त में इंसुलिन की मात्रा को संयमित करता है गिलोय
गिलोय के कुछ विशेष गुण भी इस प्रकार हैं:
- मधु के साथ सेवन करने से कब्ज की बीमारी दूर करने में है सहायक
- काली मिर्च के साथ सेवन करने से हृदय शूल दूर होता है
- मिश्री के साथ सेवन करने से पेट संबंधी बीमारी में है सहायक
- सोंठ मिलाकर सेवन करने से आम वात बीमारी से रखता है दूर
डॉक्टर भी मानते हैं कि रिसर्च से यह साफ हो चुका है कि गिलोय विशेष गुणों वाला है, जिसके इस्तेमाल से मनुष्य के शरीर में कई फायदे हैं. लेकिन डॉक्टर बताते हैं कि इस लता का औषधीय प्रयोग किसी मान्यता प्राप्त चिकित्सक के निगरानी में ही करना चाहिए और सबसे महत्वपूर्ण गिलोय के मात्रा का भी विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए.
टेबलेट, सिरप, पाउडर और सप्लीमेंट के रूप में भी बिक रहा गिलोय
कोरोना के दौर में इम्यूनिटी पावर बढ़ाने लोगों में जबरदस्त क्रेज देखने को मिला है. लोग गिलोय के प्राकृतिक गुणों को जानकर इसे अपने जीवन का अभिन्न अंग बना रहे हैं. लेकिन शहरों में जहां गिलोय के पौधे और लताएं मौजूद नहीं है, वहां लोग अब विभिन्न आयुर्वेदिक कंपनियों की ओर से बाजारों में उपलब्ध कराए गए गिलोय की टेबलेट, सिरप, पाउडर और अन्य सप्लीमेंट को भी भरपूर प्रयोग में ला रहे हैं.
गिलोय के पौधों में कमी
आयुर्वेद से जुड़े लोग बताते हैं कि आज शहरी क्षेत्र में सभी प्रकार के पौधे कम होते जा रहे हैं. ऐसे में कई औषधीय गुणों से भरपूर पेड़ पौधे लोगों को अवश्य लगाने चाहिए, आयुर्वेद के जानकार प्रकाश पांडे बताते हैं कि आज बाजारों में गिलोय विभिन्न प्रकार से बिक रहा है. लेकिन प्राकृतिक रूप से प्रयोग में लाने वाले गिलोय के जड़ और तना सबसे अधिक कारगर है, नतीजतन लोगों को अपने घर और आसपास गिलोय जरूर लगाना चाहिए, वहीं इन्होंने बताया कि जहां जगह की कमी है वहां लोग बड़े गमले में भी गिलोय के पौधे को अच्छी तरह से लगा सकते हैं.
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निशुल्क उपलब्ध करा रहे हैं गिलोय
हाल के दिनों में जहां शहरी क्षेत्र में जागरूक लोग प्राकृतिक रूप से गिलोय का अधिक से अधिक प्रयोग कर रहे हैं, वहीं कई लोगों को यह प्राप्त नहीं हो पा रहा है. ऐसे में संक्रमण के इस काल में बीते 6 महीने से आनंद मार्ग से जुड़े पर्यावरणविद सुनील आनंद ग्रामीण क्षेत्रों से गिलोय के तना तोड़ जरूरतमंद लोगों को निशुल्क उपलब्ध करा रहे हैं, इन्होंने बताया कि कई मायनों में गिलोय काफी फायदेमंद है. लेकिन गिलोय के प्राकृतिक गुणों पर अधिक से अधिक रिसर्च होने चाहिए. ताकि कई नई जानकारियां भी लोगों को प्राप्त हो सकें.
कोरोना काल में लोग अब भारतीय परंपरा के वर्षो पुराने आयुर्वेद और आयुर्वेदिक उपचार और उपायों पर जबरदस्त भरोसा जताने लगे हैं. ऐसा नहीं है कि सिर्फ इस संक्रमण काल में गिलोय की महत्ता लोगों को मिली है ,लेकिन संक्रमण के इस काल में लोग आयुर्वेद को अपनाकर निरोग हो रहे हैं और इस खतरनाक वायरस से लड़ने गिलोय सबसे मजबूत हथियार माना जा रहा है, ऐसे में खासकर शहरी क्षेत्र में अधिक से अधिक गिलोय के पेड़ पौधे लगाने चाहिए ताकि हरियाली के साथ स्वास्थ्य की भी रक्षा हो सके.