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शिक्षा विभाग का कारनामा: लाखों खर्च कर बना मॉडल स्कूल, गांव के होनहार बच्चों को कर रहा शिक्षा से दूर

सरायकेला के गम्हरिया प्रखंड में मॉडल स्कूल का निर्माण कराया गया. लेकिन इस स्कूल में केवल सरायकेला प्रखंड के छात्रों का ही नामांकन किया जा रहा है. इस मामले को लेकर गम्हरिया प्रखंड के लोग प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी से लेकर जिला शिक्षा अधीक्षक तक सबसे गुहार लगा चुके हैं, लेकिन किसी ने सुध लेना जरूरी नहीं समझा.

model school in seraikela
मॉडल स्कूल का निर्माण
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Published : Sep 28, 2020, 2:11 PM IST

सरायकेलाः शिक्षा विभाग ने जिले के हर प्रखंड में बच्चों को अच्छे स्तर की माध्यमिक शिक्षा प्रदान किए जाने के उद्देश्य से कई स्कूलों का निर्माण कराया है. अच्छे स्तर के स्कूल की स्थापना का उद्देश्य भी यही होता है. इसी उद्देश्य से भारत सरकार की महत्वपूर्ण शिक्षा योजना में मॉडल स्कूल निर्माण शामिल है. स्कूल निर्माण का उद्देश्य है कि बच्चों को शिक्षा के प्रति जागरूक करना, एक सफल और बेहतर नागरिक बनाना. लेकिन सरायकेला जिले के गम्हरिया प्रखंड के कई होनहार बच्चे शिक्षा विभाग की कारस्तानी की वजह से बेहतर शिक्षा पाने से महरूम हो गए हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी
सरायकेला प्रखंड के छात्रों का ही नामांकनसरायकेला जिला मुख्यालय से सटे गम्हरिया प्रखंड अंतर्गत बड़ा काकड़ा पंचायत में बना मॉडल स्कूल गांव के बच्चों से नजदीक होकर भी अब कोसों दूर है. स्कूल की स्थापना को अभी महज एक साल हुआ है, लेकिन स्थानीय गम्हरिया प्रखंड के बच्चों का नामांकन स्कूल में नहीं हो सकता, क्योंकि गम्हरिया प्रखंड अंतर्गत बना यह मॉडल स्कूल सरायकेला अंचल अंतर्गत आता है. ऐसे में गम्हरिया प्रखंड में स्कूल स्थित होने के बाद भी इस प्रखंड के बच्चों का दाखिला स्कूल में नहीं हो सकता और यहां से कोसों दूर सरायकेला प्रखंड के छात्रों का ही नामांकन वैधानिक तरीके से स्कूल में किया जाना है.

बच्चों के भविष्य के लिए ग्रामीणों ने दी जमीन
गम्हरिया प्रखंड अंतर्गत बड़ा काकड़ा में बने इस मॉडल स्कूल के निर्माण के लिए स्थानीय ग्रामीणों ने अपनी रैयती जमीन शिक्षा विभाग को सिर्फ यह सोचकर दान में दे दी कि, गांव और आस पास के बच्चे अपने घरों के पास ही बेहतर शैक्षणिक माहौल पाएंगे और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से बच्चों का भविष्य संवरेगा. लेकिन इन ग्रामीणों को क्या पता था कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों के गलती का खामियाजा इनके नौनिहालों को उठाना पड़ेगा.

200 मीटर दूरी के छात्रों का नामांकन नहीं
गम्हरिया प्रखंड अंतर्गत बड़ा का काकड़ा पंचायत में बनाया मॉडल स्कूल अब स्थानीय ग्रामीणों के लिए केवल शोभा बढ़ाने की वस्तु मात्र बनकर रह गया है. स्कूल से सटे 200 मीटर के दायरे में स्थित धातकीडीह गांव के सैकड़ों बच्चे चाह कर भी स्कूल में नहीं पढ़ सकते, कारण यह कि बच्चे सरायकेला प्रखंड के निवासी नहीं हैं. तकरीबन 2 वर्ष पूर्व जब स्कूल का निर्माण शुरू हुआ तब ग्रामीणों को लगा कि गांव के बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा से लेकर माध्यमिक शिक्षा अपने घरों के पास ही उपलब्ध हो जाएगी, लेकिन ग्रामीणों को क्या पता था कि शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों की एक गलती गांव के बच्चों के भविष्य को अंधेरे में ले जाएगी.

इसे भी पढ़ें- चतरा में मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने किया कार्यालय का उद्घाटन, जनता दरबार में सुनी लोगों की समस्या


एडमिशन फॉर्म रिजेक्ट होने पर हुआ खुलासा
सरायकेला मॉडल स्कूल में गम्हरिया प्रखंड के छात्रों का नामांकन नहीं हो सका. इस शैक्षणिक सत्र में अभिभावकों ने अपने बच्चों के नामांकन के लिए स्कूल का फॉर्म लिया और फॉर्म भरकर जब जमा किया तब नामांकन को लेकर बच्चों के फॉर्म रिजेक्ट कर दिए गए. विद्यालय ने ग्रामीणों को बताया कि यह विद्यालय सरायकेला प्रखंड का है और विद्यालय को सरायकेला प्रखंड में ही बनना था, लेकिन तत्कालीन शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों के गलती के कारण विद्यालय गम्हरिया प्रखंड में बना है. लिहाजा यहां सिर्फ सरायकेला प्रखंड के बच्चे ही पढ़ सकते हैं. पूरा मामले की जानकारी जब गम्हरिया प्रखंड के लोगों को हुई तो सभी अचंभित रह गए.

जिला शिक्षा पदाधिकारी तक अभिभावकों ने लगाई गुहार
मॉडल स्कूल में बच्चों के फॉर्म रिजेक्ट होने पर आस पास क्षेत्र के ग्रामीण और अभिभावकों में आक्रोश देखा गया. सभी अभिभावकों ने कई बार प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी से लेकर जिला शिक्षा अधीक्षक से मिलकर समस्या को सुलझाने की गुहार लगाई, लेकिन नतीजा अब तक सिफर ही रहा है. इधर कोरोना काल में स्कूल बंद है और सभी शैक्षणिक कार्य पूरी तरह ठप हैं. ऐसे में अब जब संक्रमण काल के बाद स्कूल खोले जाने संबंधित निर्णय होंगे तब एक बार फिर इस मसले को ग्रामीण जोर शोर से उठाएंगे.

अधिकारी दे रहे सरकारी नियम का हवाला
तत्कालीन जिले के शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों के प्रति ग्रामीणों में आक्रोश है. ग्रामीण पदाधिकारियों पर आरोप लगाते हैं कि उन्हें गुमराह कर विद्यालय स्थापित किया गया और विद्यालय निर्माण को लेकर मोटी सरकारी राशि भी खर्च कर दी गई. इधर इस मुद्दे पर जिला शिक्षा अधीक्षक महबूब आलम ने सरकारी नियमों का हवाला देते हुए स्थानीय बच्चों के नामांकन प्रक्रिया स्कूल में नहीं होने की बात कही. हालांकि उन्होंने कहा कि संक्रमण काल के बाद इस समस्या को सुलझाने का प्रयास किया जाएगा.

सरायकेलाः शिक्षा विभाग ने जिले के हर प्रखंड में बच्चों को अच्छे स्तर की माध्यमिक शिक्षा प्रदान किए जाने के उद्देश्य से कई स्कूलों का निर्माण कराया है. अच्छे स्तर के स्कूल की स्थापना का उद्देश्य भी यही होता है. इसी उद्देश्य से भारत सरकार की महत्वपूर्ण शिक्षा योजना में मॉडल स्कूल निर्माण शामिल है. स्कूल निर्माण का उद्देश्य है कि बच्चों को शिक्षा के प्रति जागरूक करना, एक सफल और बेहतर नागरिक बनाना. लेकिन सरायकेला जिले के गम्हरिया प्रखंड के कई होनहार बच्चे शिक्षा विभाग की कारस्तानी की वजह से बेहतर शिक्षा पाने से महरूम हो गए हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी
सरायकेला प्रखंड के छात्रों का ही नामांकनसरायकेला जिला मुख्यालय से सटे गम्हरिया प्रखंड अंतर्गत बड़ा काकड़ा पंचायत में बना मॉडल स्कूल गांव के बच्चों से नजदीक होकर भी अब कोसों दूर है. स्कूल की स्थापना को अभी महज एक साल हुआ है, लेकिन स्थानीय गम्हरिया प्रखंड के बच्चों का नामांकन स्कूल में नहीं हो सकता, क्योंकि गम्हरिया प्रखंड अंतर्गत बना यह मॉडल स्कूल सरायकेला अंचल अंतर्गत आता है. ऐसे में गम्हरिया प्रखंड में स्कूल स्थित होने के बाद भी इस प्रखंड के बच्चों का दाखिला स्कूल में नहीं हो सकता और यहां से कोसों दूर सरायकेला प्रखंड के छात्रों का ही नामांकन वैधानिक तरीके से स्कूल में किया जाना है.

बच्चों के भविष्य के लिए ग्रामीणों ने दी जमीन
गम्हरिया प्रखंड अंतर्गत बड़ा काकड़ा में बने इस मॉडल स्कूल के निर्माण के लिए स्थानीय ग्रामीणों ने अपनी रैयती जमीन शिक्षा विभाग को सिर्फ यह सोचकर दान में दे दी कि, गांव और आस पास के बच्चे अपने घरों के पास ही बेहतर शैक्षणिक माहौल पाएंगे और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से बच्चों का भविष्य संवरेगा. लेकिन इन ग्रामीणों को क्या पता था कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों के गलती का खामियाजा इनके नौनिहालों को उठाना पड़ेगा.

200 मीटर दूरी के छात्रों का नामांकन नहीं
गम्हरिया प्रखंड अंतर्गत बड़ा का काकड़ा पंचायत में बनाया मॉडल स्कूल अब स्थानीय ग्रामीणों के लिए केवल शोभा बढ़ाने की वस्तु मात्र बनकर रह गया है. स्कूल से सटे 200 मीटर के दायरे में स्थित धातकीडीह गांव के सैकड़ों बच्चे चाह कर भी स्कूल में नहीं पढ़ सकते, कारण यह कि बच्चे सरायकेला प्रखंड के निवासी नहीं हैं. तकरीबन 2 वर्ष पूर्व जब स्कूल का निर्माण शुरू हुआ तब ग्रामीणों को लगा कि गांव के बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा से लेकर माध्यमिक शिक्षा अपने घरों के पास ही उपलब्ध हो जाएगी, लेकिन ग्रामीणों को क्या पता था कि शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों की एक गलती गांव के बच्चों के भविष्य को अंधेरे में ले जाएगी.

इसे भी पढ़ें- चतरा में मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने किया कार्यालय का उद्घाटन, जनता दरबार में सुनी लोगों की समस्या


एडमिशन फॉर्म रिजेक्ट होने पर हुआ खुलासा
सरायकेला मॉडल स्कूल में गम्हरिया प्रखंड के छात्रों का नामांकन नहीं हो सका. इस शैक्षणिक सत्र में अभिभावकों ने अपने बच्चों के नामांकन के लिए स्कूल का फॉर्म लिया और फॉर्म भरकर जब जमा किया तब नामांकन को लेकर बच्चों के फॉर्म रिजेक्ट कर दिए गए. विद्यालय ने ग्रामीणों को बताया कि यह विद्यालय सरायकेला प्रखंड का है और विद्यालय को सरायकेला प्रखंड में ही बनना था, लेकिन तत्कालीन शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों के गलती के कारण विद्यालय गम्हरिया प्रखंड में बना है. लिहाजा यहां सिर्फ सरायकेला प्रखंड के बच्चे ही पढ़ सकते हैं. पूरा मामले की जानकारी जब गम्हरिया प्रखंड के लोगों को हुई तो सभी अचंभित रह गए.

जिला शिक्षा पदाधिकारी तक अभिभावकों ने लगाई गुहार
मॉडल स्कूल में बच्चों के फॉर्म रिजेक्ट होने पर आस पास क्षेत्र के ग्रामीण और अभिभावकों में आक्रोश देखा गया. सभी अभिभावकों ने कई बार प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी से लेकर जिला शिक्षा अधीक्षक से मिलकर समस्या को सुलझाने की गुहार लगाई, लेकिन नतीजा अब तक सिफर ही रहा है. इधर कोरोना काल में स्कूल बंद है और सभी शैक्षणिक कार्य पूरी तरह ठप हैं. ऐसे में अब जब संक्रमण काल के बाद स्कूल खोले जाने संबंधित निर्णय होंगे तब एक बार फिर इस मसले को ग्रामीण जोर शोर से उठाएंगे.

अधिकारी दे रहे सरकारी नियम का हवाला
तत्कालीन जिले के शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों के प्रति ग्रामीणों में आक्रोश है. ग्रामीण पदाधिकारियों पर आरोप लगाते हैं कि उन्हें गुमराह कर विद्यालय स्थापित किया गया और विद्यालय निर्माण को लेकर मोटी सरकारी राशि भी खर्च कर दी गई. इधर इस मुद्दे पर जिला शिक्षा अधीक्षक महबूब आलम ने सरकारी नियमों का हवाला देते हुए स्थानीय बच्चों के नामांकन प्रक्रिया स्कूल में नहीं होने की बात कही. हालांकि उन्होंने कहा कि संक्रमण काल के बाद इस समस्या को सुलझाने का प्रयास किया जाएगा.

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