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मेक इन इंडिया के तहत बना ई-रिक्शा, जमशेदपुर के युवा इंजीनियरों ने दिया सहयोग - ई-रिक्शा में 1 एचपी का मोटर

सरायकेला में मेक इन इंडिया के तर्ज पर ई-रिक्शा का निर्माण किया गया गया. जिसमें लगे सभी कल पुर्जे भारतीय है. इस रिक्शे में नॉर्मल की जगह पहली बार लिथियम आयन बैटरी का प्रयोग ई-रिक्शा में किया है. जिससे ई-रिक्शा को तेज गति प्राप्त होगी.

first e-rickshaw on the lines of Make in India in seraikela
ई-रिक्शा
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Published : Jan 13, 2020, 9:50 AM IST

सरायकेला: जिले के औद्योगिक क्षेत्र में पहली बार किसी स्थानीय उद्यमी ने बगैर चाइनीज उपकरणों को असेंबल कर ई-रिक्शा बनाया है. वहीं यह पहला मौका है जब औद्योगिक क्षेत्र में बना ई-रिक्शा पूरी तरह मेक इन इंडिया के तर्ज पर आधारित है.

देखें पूरी खबर

दरअसल, सरायकेला जिले के औद्योगिक क्षेत्र स्थित विजय श्री इंडस्ट्री के प्रबंध निदेशक अंकुश अग्रवाल ने आम ई-रिक्शा की तरह दिखने वाला एक नया ई-रिक्शा बनाया है. हालांकि इस ई-रिक्शा की खूबी सिर्फ यह है कि इसमें लगे सभी कल पुर्जे भारतीय हैं और सर्वाधिक उपकरण और कल पुर्जों का निर्माण स्वयं उद्यमी अंकुश अग्रवाल ने ही किया है. अमूमन जो ई-रिक्शा बाजार में उपलब्ध हैं या सड़कों पर चल रहे हैं उनमें ज्यादातर चाइना के उपकरण और कल पुर्जे लगे हैं, जबकि यह पहला ई-रिक्शा है जो की पूरी तरह भारतीय है.

पहली बार ई रिक्शा में इस्तेमाल हुआ लिथियम आयन बैटरी
अब तक बाजारों में जो भी ई-रिक्शा उपलब्ध हैं उनमें ज्यादातर नॉर्मल बैटरी का प्रयोग किया गया है, जबकि अंकुश ने पहली बार लिथियम आयन बैटरी का प्रयोग ई-रिक्शा में किया है. जिससे न सिर्फ ई-रिक्शा को तेज गति प्राप्त होती है. बल्कि महज 4 घंटे फुल चार्ज करने पर या रिक्शा डेढ़ सौ किलोमीटर तक चलाई जा सकती है. इस ई-रिक्शा में 1 एचपी का मोटर और दो गेयर मौजूद हैं.

शहर के इंजीनियरों ने किया है ई-रिक्शा डिजाइन
विजय श्री इंडस्ट्री के एमडी अंकुश अग्रवाल ने ई-रिक्शा निर्माण में शहर के नए युवा इंजीनियरों की टीम को शामिल किया जिन्होंने बेहतरीन टेक्नोलॉजी स्थापित कर ई-रिक्शा को बनाया है. फिलहाल इसमें कई ऐसे उपकरण हैं जिन पर रिसर्च एंड डेवलपमेंट चल रहा है और यह अगले कुछ दिनों में पूरी तरह काम करने लायक हो जाएंगे.

ऑटोमोबाइल सेक्टर की मंदी से आया ई-रिक्शा बनाने का आइडिया
भारतीय उपकरणों के साथ ई-रिक्शा बनाने वाले उद्यमी अंकुश अग्रवाल औद्योगिक क्षेत्र में टाटा मोटर्स के वेंडर के रूप में कार्यरत हैं और ये ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए कल पुर्जों का निर्माण कर रहे थे. इस बीच 6 माह से लगातार ऑटोमोबाइल सेक्टर में आए मंदी के कारण इनके आटो उद्योग पर इसका काफी प्रभाव पड़ा है. जिसके बाद इन्होंने सिर्फ गूगल के सहयोग से ई-रिक्शा निर्माण की प्रक्रिया जानी और फिर इन्होंने इस ई-रिक्शा का निर्माण कर डाला वह भी पूरी तरह भारतीय पैमाने पर.

ये भी पढ़ें- पतरातू लेक रिसोर्ट के नवनिर्मित छठ घाट पर गंगा आरती के तर्ज पर हुई आरती, सैकड़ों लोगों ने लिया हिस्सा

इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर में मिला है यूनिट
अंकुश अग्रवाल को औद्योगिक क्षेत्र में बन रहे पूर्वी भारत के एकमात्र इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर में इलेक्ट्रॉनिक उद्योग स्थापित किए जाने को लेकर यूनिट प्रदान किया जा चुका है. जिसके आवंटन की प्रक्रिया जारी है, इधर अंकुश के इस नायाब प्रयास को जियाडा बोर्ड की क्षेत्रीय प्रबंध निदेशक नेहा अरोड़ा ने भी काफी सराहा है. इन्होंने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर में इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों को बेहतरीन तरीके से निर्माण करने वाले उद्योगों को प्राथमिकता दी जा रही है. जिसमें इंडियन ई रिक्शा के यूनिट को भी स्थापित किया जाएगा और यह एक अच्छी पहल है.

सरायकेला: जिले के औद्योगिक क्षेत्र में पहली बार किसी स्थानीय उद्यमी ने बगैर चाइनीज उपकरणों को असेंबल कर ई-रिक्शा बनाया है. वहीं यह पहला मौका है जब औद्योगिक क्षेत्र में बना ई-रिक्शा पूरी तरह मेक इन इंडिया के तर्ज पर आधारित है.

देखें पूरी खबर

दरअसल, सरायकेला जिले के औद्योगिक क्षेत्र स्थित विजय श्री इंडस्ट्री के प्रबंध निदेशक अंकुश अग्रवाल ने आम ई-रिक्शा की तरह दिखने वाला एक नया ई-रिक्शा बनाया है. हालांकि इस ई-रिक्शा की खूबी सिर्फ यह है कि इसमें लगे सभी कल पुर्जे भारतीय हैं और सर्वाधिक उपकरण और कल पुर्जों का निर्माण स्वयं उद्यमी अंकुश अग्रवाल ने ही किया है. अमूमन जो ई-रिक्शा बाजार में उपलब्ध हैं या सड़कों पर चल रहे हैं उनमें ज्यादातर चाइना के उपकरण और कल पुर्जे लगे हैं, जबकि यह पहला ई-रिक्शा है जो की पूरी तरह भारतीय है.

पहली बार ई रिक्शा में इस्तेमाल हुआ लिथियम आयन बैटरी
अब तक बाजारों में जो भी ई-रिक्शा उपलब्ध हैं उनमें ज्यादातर नॉर्मल बैटरी का प्रयोग किया गया है, जबकि अंकुश ने पहली बार लिथियम आयन बैटरी का प्रयोग ई-रिक्शा में किया है. जिससे न सिर्फ ई-रिक्शा को तेज गति प्राप्त होती है. बल्कि महज 4 घंटे फुल चार्ज करने पर या रिक्शा डेढ़ सौ किलोमीटर तक चलाई जा सकती है. इस ई-रिक्शा में 1 एचपी का मोटर और दो गेयर मौजूद हैं.

शहर के इंजीनियरों ने किया है ई-रिक्शा डिजाइन
विजय श्री इंडस्ट्री के एमडी अंकुश अग्रवाल ने ई-रिक्शा निर्माण में शहर के नए युवा इंजीनियरों की टीम को शामिल किया जिन्होंने बेहतरीन टेक्नोलॉजी स्थापित कर ई-रिक्शा को बनाया है. फिलहाल इसमें कई ऐसे उपकरण हैं जिन पर रिसर्च एंड डेवलपमेंट चल रहा है और यह अगले कुछ दिनों में पूरी तरह काम करने लायक हो जाएंगे.

ऑटोमोबाइल सेक्टर की मंदी से आया ई-रिक्शा बनाने का आइडिया
भारतीय उपकरणों के साथ ई-रिक्शा बनाने वाले उद्यमी अंकुश अग्रवाल औद्योगिक क्षेत्र में टाटा मोटर्स के वेंडर के रूप में कार्यरत हैं और ये ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए कल पुर्जों का निर्माण कर रहे थे. इस बीच 6 माह से लगातार ऑटोमोबाइल सेक्टर में आए मंदी के कारण इनके आटो उद्योग पर इसका काफी प्रभाव पड़ा है. जिसके बाद इन्होंने सिर्फ गूगल के सहयोग से ई-रिक्शा निर्माण की प्रक्रिया जानी और फिर इन्होंने इस ई-रिक्शा का निर्माण कर डाला वह भी पूरी तरह भारतीय पैमाने पर.

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इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर में मिला है यूनिट
अंकुश अग्रवाल को औद्योगिक क्षेत्र में बन रहे पूर्वी भारत के एकमात्र इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर में इलेक्ट्रॉनिक उद्योग स्थापित किए जाने को लेकर यूनिट प्रदान किया जा चुका है. जिसके आवंटन की प्रक्रिया जारी है, इधर अंकुश के इस नायाब प्रयास को जियाडा बोर्ड की क्षेत्रीय प्रबंध निदेशक नेहा अरोड़ा ने भी काफी सराहा है. इन्होंने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर में इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों को बेहतरीन तरीके से निर्माण करने वाले उद्योगों को प्राथमिकता दी जा रही है. जिसमें इंडियन ई रिक्शा के यूनिट को भी स्थापित किया जाएगा और यह एक अच्छी पहल है.

Intro:सरायकेला जिले के औद्योगिक क्षेत्र में पहली बार किसी स्थानीय उद्यमी ने बगैर चाइनीस उपकरणों को असेंबल की है ई- रिक्शा बनाया है, वही यह पहला मौका है जब औद्योगिक क्षेत्र में बना ई-रिक्शा पूरी तरह मेक इन इंडिया के तर्ज पर आधारित है।


Body:दरअसल सरायकेला जिले के औद्योगिक क्षेत्र स्थित है विजय श्री इंडस्ट्री के प्रबंध निदेशक अंकुश अग्रवाल ने आम ई रिक्शा के तरह दिखने वाला एक नया ई रिक्शा बनाया है, हालांकि इस ई रिक्शा की खूबी सिर्फ यह है कि इसमें लगे सभी कल पुर्जे भारतीय हैं, और सर्वाधिक उपकरण और कल पुर्जों का निर्माण स्वयं उद्यमी अंकुश अग्रवाल ने ही किया है, अमूमन जो ई रिक्शा बाजार में उपलब्ध हैं या सड़कों पर चल रहे हैं उनमें ज्यादातर चाइना के उपकरण और कल पुर्जे लगे हैं जबकि यह पहला ई-रिक्शा है जो की पूरी तरह भारतीय है।


पहली बार ई रिक्शा में इस्तेमाल हुआ लिथियम आयन बैटरी।

अब तक बाजारों में जो भी ई रिक्शा उपलब्ध हैं उनमें ज्यादातर नॉर्मल बैटरी का प्रयोग किया गया है जबकि अंकुश ने पहली बार लिथियम आयन बैटरी का प्रयोग ई रिक्शा में किया है जिससे ना सिर्फ ई-रिक्शा को तेज गति प्राप्त होती है बल्कि महज 4 घंटे फुल चार्ज करने पर या रिक्शा डेढ़ सौ किलोमीटर तक चलाई जा सकती है। इस ई रिक्शा में 1 एचपी का मोटर और दो गेयर मौजूद हैं।

शहर के इंजीनियरों ने किया है ई- रिक्शा डिजाइन

विजय श्री इंडस्ट्री के एमडी अंकुश अग्रवाल ने ई-रिक्शा निर्माण में शहर के नए युवा इंजीनियरों की टीम को शामिल किया जिन्होंने बेहतरीन टेक्नोलॉजी स्थापित कर ई-रिक्शा को बनाया है फिलहाल इसमें कई ऐसे उपकरण हैं जिन पर रिसर्च एंड डेवलपमेंट चल रहा है और यह अगले कुछ दिनों में पूरी तरह काम करने लायक हो जाएंगे।


Conclusion:ऑटोमोबाइल सेक्टर कि मंदी से आया ई-रिक्शा बनाने का आइडिया।

भारतीय उपकरणों के साथ ई रिक्शा बनाने वाले उद्यमी अंकुश अग्रवाल औद्योगिक क्षेत्र में टाटा मोटर्स के वेंडर के रूप में कार्यरत हैं ,और ये ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए कल पुर्जों का निर्माण कर रहे थे, इस बीच 6 माह से लगातार ऑटोमोबाइल सेक्टर में आए मंदी के कारण इनके आटो उद्योग पर इसका काफी प्रभाव पड़ा । जिसके बाद इन्होंने सिर्फ गूगल के सहयोग से ई-रिक्शा निर्माण की प्रक्रिया जानी और फिर इन्होंने इस ई रिक्शा का निर्माण कर डाला वह भी पूरी तरह भारतीय पैमाने पर।


इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर में मिला है यूनिट।

अंकुश अग्रवाल को औद्योगिक क्षेत्र में बन रहे पूर्वी भारत के एकमात्र इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर में इलेक्ट्रॉनिक उद्योग स्थापित किए जाने को लेकर यूनिट प्रदान किया जा चुका है ।जिसके आवंटन की प्रक्रिया जारी है, इधर अंकुश के इस नायाब प्रयास को जियाडा बोर्ड की क्षेत्रीय प्रबंध निदेशक नेहा अरोड़ा ने भी काफी सराहा है , इन्होंने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर में इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों को बेहतरीन तरीके से निर्माण करने वाले उद्योगों को प्राथमिकता दी जा रही है, जिसमें इंडियन ई रिक्शा के यूनिट को भी स्थापित किया जाएगा और यह एक अच्छी पहल है।

बाइट - अंकुश अग्रवाल , ई-रिक्शा निर्माता ।

बाइट- आमिर हमजा खान, इंजीनियर ।

बाइट- नेहा अरोड़ा , क्षेत्रीय निदेशक , जियाडा
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