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सरायकेलाः कम बारिश से किसान परेशान, सता रही सुखाड़ की चिंता - सरायकेला में किसानों को सुखे की चिंता

सरायकेला-खरसावां में जुलाई महीने में बारिश कम होने की वजह से किसानों को अब सूखे की चिंता सता रही है. दरअसल, किसानों का मानना है कि अगर इस साल भी अच्छी फसल नहीं हुई तो अगले साल उनके पास बीज भी उपलब्ध नहीं होगा.

average rain in saraikela
जुलाई महीने में कम बारिश.
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Published : Aug 5, 2020, 1:02 PM IST

सरायकेला: जिले में जुलाई महीने में कम वर्षा होने से किसानों को इस साल अब सुखाड़ की चिंता फिर से सताने लगी है. वर्ष 2019 में सुखाड़ झेलने के बाद किसानों ने किसी तरह धान के बीज जुगाड़ कर खेत में डाले थे, लेकिन इस साल भी मौसम की बेरुखी ने किसानों को निराश किया है.

देखें पूरी खबर
किसानों को अब सुखाड़ की चिंता जुलाई महीने में कम बारिश होने से किसानों को अब सुखाड़ की चिंता सताए जा रही है. किसानों का मानना है कि अगर इस साल भी फसल अच्छी नहीं हुई तो अगले साल उनके पास बीज भी उपलब्ध नहीं होगा. हालांकि कृषि विभाग ने कुछ किसानों को इस वर्ष बीज वितरण किया था, लेकिन अधिकांश किसानों को बीज नहीं मिल पाए हैं और उन्होंने अपने स्तर से व्यवस्था कर खेतों में धान के बीज बोये हैं. इधर कम वर्षा के कारण खेतों में पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं जमा हो रहा, ऐसे में खेती प्रभावित हो रही है.

जुलाई महीने में 158.51 मिलीमीटर वर्षा दर्ज
सरायकेला जिले में जुलाई महीने में कुल 158.51 मिली मीटर वर्षा दर्ज की गई है. वहीं, जिले के अन्य प्रखंडों में सामान्य से 110 मिली मीटर तक कम बारिश हुई है. आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो 6 सालों में जुलाई महीने में बारिश का रिकॉर्ड कुछ इस प्रकार है-

सालवर्षा का औसत
2015155.6 मिमी
2016150.7 मिमी
2017 202.6 मिमी
2018187.2 मिमी
2019119.9 मिमी
2020179 .1 मिमी

6 साल से जिले में नहीं हो रही हो औसत बारिश
जिले में पिछले 6 सालों से बरसात के मौसम में औसत बारिश भी दर्ज नहीं की जा रही है, जिससे धान की रोपनी लगातार प्रभावित हो रही है. वहीं, जिले के अधिकांश किसान बारिश पर निर्भर हैं. कम बारिश होने के कारण एक तो धान की रोपनी प्रभावित हो रही है. साथ ही धान के बिचड़े भी सूखने लगे हैं.

अगस्त महीने पर अब टिकी है निगाहें
जुलाई के महीने में मौसम की बेरुखी के बाद अब किसान अगस्त महीने में अच्छी बारिश की उम्मीद लगाए बैठे हैं. किसानों का मानना है कि अगस्त में अच्छी बारिश की आवश्यकता है, ताकि खेतों में बारिश का पानी जमा हो सके. यदि ऐसा नहीं हुआ तो फसल बर्बाद हो जाएगी. वहीं, कुछ किसान मानते हैं कि सिंचाई की सुविधा नहीं होने के कारण पूरी तरह से मानसूनी वर्षा पर आधारित खेती कार्य को इस वर्ष भी समय से बारिश नहीं मिल पाई है.

सरायकेला: जिले में जुलाई महीने में कम वर्षा होने से किसानों को इस साल अब सुखाड़ की चिंता फिर से सताने लगी है. वर्ष 2019 में सुखाड़ झेलने के बाद किसानों ने किसी तरह धान के बीज जुगाड़ कर खेत में डाले थे, लेकिन इस साल भी मौसम की बेरुखी ने किसानों को निराश किया है.

देखें पूरी खबर
किसानों को अब सुखाड़ की चिंता जुलाई महीने में कम बारिश होने से किसानों को अब सुखाड़ की चिंता सताए जा रही है. किसानों का मानना है कि अगर इस साल भी फसल अच्छी नहीं हुई तो अगले साल उनके पास बीज भी उपलब्ध नहीं होगा. हालांकि कृषि विभाग ने कुछ किसानों को इस वर्ष बीज वितरण किया था, लेकिन अधिकांश किसानों को बीज नहीं मिल पाए हैं और उन्होंने अपने स्तर से व्यवस्था कर खेतों में धान के बीज बोये हैं. इधर कम वर्षा के कारण खेतों में पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं जमा हो रहा, ऐसे में खेती प्रभावित हो रही है.

जुलाई महीने में 158.51 मिलीमीटर वर्षा दर्ज
सरायकेला जिले में जुलाई महीने में कुल 158.51 मिली मीटर वर्षा दर्ज की गई है. वहीं, जिले के अन्य प्रखंडों में सामान्य से 110 मिली मीटर तक कम बारिश हुई है. आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो 6 सालों में जुलाई महीने में बारिश का रिकॉर्ड कुछ इस प्रकार है-

सालवर्षा का औसत
2015155.6 मिमी
2016150.7 मिमी
2017 202.6 मिमी
2018187.2 मिमी
2019119.9 मिमी
2020179 .1 मिमी

6 साल से जिले में नहीं हो रही हो औसत बारिश
जिले में पिछले 6 सालों से बरसात के मौसम में औसत बारिश भी दर्ज नहीं की जा रही है, जिससे धान की रोपनी लगातार प्रभावित हो रही है. वहीं, जिले के अधिकांश किसान बारिश पर निर्भर हैं. कम बारिश होने के कारण एक तो धान की रोपनी प्रभावित हो रही है. साथ ही धान के बिचड़े भी सूखने लगे हैं.

अगस्त महीने पर अब टिकी है निगाहें
जुलाई के महीने में मौसम की बेरुखी के बाद अब किसान अगस्त महीने में अच्छी बारिश की उम्मीद लगाए बैठे हैं. किसानों का मानना है कि अगस्त में अच्छी बारिश की आवश्यकता है, ताकि खेतों में बारिश का पानी जमा हो सके. यदि ऐसा नहीं हुआ तो फसल बर्बाद हो जाएगी. वहीं, कुछ किसान मानते हैं कि सिंचाई की सुविधा नहीं होने के कारण पूरी तरह से मानसूनी वर्षा पर आधारित खेती कार्य को इस वर्ष भी समय से बारिश नहीं मिल पाई है.

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