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अनाथ बच्चों के वात्सल्य योजना के पैसों में हिस्सेदारी मांगते हैं जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी, पीड़िता ने बाल कल्याण समिति से की शिकायत - ranchi news

सरायकेला में सरकार द्वारा अनाथ बच्चों के भरण पोषण को दी जाने वाली राशि में हिस्सेदारी मांगने का आरोप जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी पर लगा है. इसे लेकर एक परिवार ने बाल कल्याण समिति को शिकायत की है.

Officer demands share in funds of Vatsalya Scheme
Officer demands share in funds of Vatsalya Scheme
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 28, 2023, 6:52 PM IST

पीड़िता द्वारा दर्ज शिकायत की जानकारी देते बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष

सरायकेला: जिले में अनाथ हुए बच्चों को सरकार के वात्सल्य योजना के तहत भरण-पोषण के लिए दी जाने वाली सहायता राशि में से जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी जबरन हिस्सेदारी मांगते हैं. एक पीड़ित परिवार ने उन पर यह आरोप लगाया है. मामले को लेकर पीड़ित परिवार ने जिला बाल कल्याण समिति के समक्ष मामले को उठाते हुए लिखित शिकायत दर्ज कराई है.

यह भी पढ़ें: Corruption In Chatra: चतरा में एसीबी की कार्रवाई, पंचायत सचिव और प्रखंड समन्वयक घूस लेते गिरफ्तार

इस संबंध में जिला बाल कल्याण समिति अध्यक्ष रोहित महतो ने जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि सरायकेला प्रखंड अंतर्गत छोटा दवाना पंचायत के कदमडीहा गांव निवासी स्वर्गीय अशोक महतो की पत्नी पुष्पा महतो ने समिति के समक्ष लिखित शिकायत दर्ज करायी है. जिसमें बताया गया है कि दो वर्ष पूर्व कोरोना के चलते उनके पति का निधन हो गया था. जिसके बाद जिला प्रशासन द्वारा इन्हें भारत सरकार के स्पॉन्सरशिप देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार के वात्सल्य योजना से जोड़कर उनके दो बेटों के भरण-पोषण को लेकर पहले प्रतिमाह 2 हजार रुपये खाते में ट्रांसफर किए जाते थे.

सरकार ने अप्रैल 2023 के बाद इस राशि को बढ़ा कर 4 हजार प्रति छात्र कर दिया है. इस योजना के तहत उनके दोनों बेटों को अब तक बीते एक साल के अंदर खाते में 48 हजार रुपये ट्रांसफर किए गए हैं. लेकिन भरण पोषण के उद्देश्य से दी जाने वाली इस राशि पर जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी संतोष कुमार ठाकुर की टेढ़ी निगाह है.

अधिकारी को दिए गए ढाई हजार रुपए: जिला बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष ने बताया कि लिखित शिकायत के माध्यम से बताया गया है कि बाल संरक्षण पदाधिकारी संतोष ठाकुर योजना के इन रुपये में से हिस्सेदारी की मांग करते हैं. बार-बार परेशान करने पर बाल संरक्षण पदाधिकारी को ढाई हजार रुपए भी दिए गए हैं. इसके बाद भी बाल संरक्षण अधिकारी अपने निजी मोबाइल फोन से फोन कर बराबर पैसे की मांग करते हैं. साथ ही पैसे नहीं देने पर वे सूची से नाम काटने की धमकी देते हैं. मामले को लेकर जिला बाल कल्याण समिति ने लाभुक बच्चों की मां के लिखित शिकायत के बाद सरायकेला जिला उपायुक्त के समक्ष मामले को पहुंचाने की बात कही है.

जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी ने आरोप किया खारिज: वहीं पीड़िता द्वारा सहायता राशि में से हिस्सेदारी की मांग किए जाने के आरोप को जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी संतोष कुमार ठाकुर ने सिरे से खारिज किया है. उन्होंने बताया कि इस योजना का लाभ बच्चों को मिल रहा है या नहीं, इसकी जांच के लिए वे फोन करते हैं. वे समय-समय पर गांव जाकर निरीक्षण के साथ यह भी पता लगाते हैं कि बच्चे योजना से जुड़कर स्कूल जा रहे हैं या नहीं. उन्होंने कहा कि योजना के संबंध में पूछताछ को लेकर उन्होंने फोन किया था, उसे ही अलग तरीके से पेश किया जा रहा है.

क्या है भारत सरकार की मिशन वात्सल्य: महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा मिशन वात्सल्य के तहत अनाथ बच्चों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से उनकी पहचान कर इस मिशन से जोड़ा जाता है. इसे लेकर गांव और जिला स्तर पर बाल कल्याण और संरक्षण समिति जरूरतमंद बच्चों की पहचान करती है. बाद में उन बच्चों का खाता खुलवाकर योजना की सहायता राशि सीधे उनके खाते में ट्रांसफर कर दी जाती है. मिशन का मुख्य उद्देश्य उन बच्चों को चिन्हित कर जोड़ना है, जो विषम परिस्थिति में रह रहे हो, अनाथ हों या सड़क पर रहकर जीवन यापन कर रहे हों.

पीड़िता द्वारा दर्ज शिकायत की जानकारी देते बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष

सरायकेला: जिले में अनाथ हुए बच्चों को सरकार के वात्सल्य योजना के तहत भरण-पोषण के लिए दी जाने वाली सहायता राशि में से जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी जबरन हिस्सेदारी मांगते हैं. एक पीड़ित परिवार ने उन पर यह आरोप लगाया है. मामले को लेकर पीड़ित परिवार ने जिला बाल कल्याण समिति के समक्ष मामले को उठाते हुए लिखित शिकायत दर्ज कराई है.

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इस संबंध में जिला बाल कल्याण समिति अध्यक्ष रोहित महतो ने जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि सरायकेला प्रखंड अंतर्गत छोटा दवाना पंचायत के कदमडीहा गांव निवासी स्वर्गीय अशोक महतो की पत्नी पुष्पा महतो ने समिति के समक्ष लिखित शिकायत दर्ज करायी है. जिसमें बताया गया है कि दो वर्ष पूर्व कोरोना के चलते उनके पति का निधन हो गया था. जिसके बाद जिला प्रशासन द्वारा इन्हें भारत सरकार के स्पॉन्सरशिप देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार के वात्सल्य योजना से जोड़कर उनके दो बेटों के भरण-पोषण को लेकर पहले प्रतिमाह 2 हजार रुपये खाते में ट्रांसफर किए जाते थे.

सरकार ने अप्रैल 2023 के बाद इस राशि को बढ़ा कर 4 हजार प्रति छात्र कर दिया है. इस योजना के तहत उनके दोनों बेटों को अब तक बीते एक साल के अंदर खाते में 48 हजार रुपये ट्रांसफर किए गए हैं. लेकिन भरण पोषण के उद्देश्य से दी जाने वाली इस राशि पर जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी संतोष कुमार ठाकुर की टेढ़ी निगाह है.

अधिकारी को दिए गए ढाई हजार रुपए: जिला बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष ने बताया कि लिखित शिकायत के माध्यम से बताया गया है कि बाल संरक्षण पदाधिकारी संतोष ठाकुर योजना के इन रुपये में से हिस्सेदारी की मांग करते हैं. बार-बार परेशान करने पर बाल संरक्षण पदाधिकारी को ढाई हजार रुपए भी दिए गए हैं. इसके बाद भी बाल संरक्षण अधिकारी अपने निजी मोबाइल फोन से फोन कर बराबर पैसे की मांग करते हैं. साथ ही पैसे नहीं देने पर वे सूची से नाम काटने की धमकी देते हैं. मामले को लेकर जिला बाल कल्याण समिति ने लाभुक बच्चों की मां के लिखित शिकायत के बाद सरायकेला जिला उपायुक्त के समक्ष मामले को पहुंचाने की बात कही है.

जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी ने आरोप किया खारिज: वहीं पीड़िता द्वारा सहायता राशि में से हिस्सेदारी की मांग किए जाने के आरोप को जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी संतोष कुमार ठाकुर ने सिरे से खारिज किया है. उन्होंने बताया कि इस योजना का लाभ बच्चों को मिल रहा है या नहीं, इसकी जांच के लिए वे फोन करते हैं. वे समय-समय पर गांव जाकर निरीक्षण के साथ यह भी पता लगाते हैं कि बच्चे योजना से जुड़कर स्कूल जा रहे हैं या नहीं. उन्होंने कहा कि योजना के संबंध में पूछताछ को लेकर उन्होंने फोन किया था, उसे ही अलग तरीके से पेश किया जा रहा है.

क्या है भारत सरकार की मिशन वात्सल्य: महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा मिशन वात्सल्य के तहत अनाथ बच्चों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से उनकी पहचान कर इस मिशन से जोड़ा जाता है. इसे लेकर गांव और जिला स्तर पर बाल कल्याण और संरक्षण समिति जरूरतमंद बच्चों की पहचान करती है. बाद में उन बच्चों का खाता खुलवाकर योजना की सहायता राशि सीधे उनके खाते में ट्रांसफर कर दी जाती है. मिशन का मुख्य उद्देश्य उन बच्चों को चिन्हित कर जोड़ना है, जो विषम परिस्थिति में रह रहे हो, अनाथ हों या सड़क पर रहकर जीवन यापन कर रहे हों.

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