लोहरदगाः जिले में पिछले 4 दिनों से आसमान से आफत बरसी है. जिसकी वजह से किसानों को लाखों रुपए का नुकसान हुआ है. खेतों में खड़ी फसल बर्बाद हो चुकी है. जिसके कारण किसानों को समझ नहीं आ रहा कि वह क्या करे. किसानों की गाढ़ी मेहनत पर जैसे पानी फिर गया हो. अब तक प्रशासन की ओर से भी कोई सुध ली नहीं गयी है. हालांकि प्रशासन ने राजस्व कर्मचारियों के माध्यम से नुकसान का आंकलन करने का निर्देश दिया है. खेतों में तैयार फसल तो बर्बाद हुए ही हैं, साथ ही जिन फसलों को अभी लगाया ही गया था, वो फसल भी पूरी तरह से बर्बाद हो चुके हैं.
सब्जियों की खेती को सबसे ज्यादा नुकसानओलावृष्टि और बारिश की वजह से सबसे अधिक नुकसान सब्जियों की खेती को हुआ है. खेतों में खड़ी फसल बर्बाद हो चुकी है. बारिश और ओला के कारण टमाटर, मटर, पत्ता गोभी, फूल गोभी, कद्दू, मिर्च, ईख, गेहूं आदि फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है. यह नुकसान लाखों में है. किसान जिन फसलों के भरोसे सालों भर अपने परिवार के भरण-पोषण की उम्मीद लगाए हुए थे, उन फसलों के नुकसान से किसानों की कमर टूट गई है. किसान इस बात को लेकर भी चिंतित हैं कि सरकार की ओर से तत्काल राहत को लेकर कोई कदम उठाया ही नहीं जाता. यदि सरकार उन्हें आर्थिक मदद करें तो इस मुसीबत से वे काफी हद तक छुटकारा पा सकते हैं.
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आर्थिक उन्नति का बड़ा माध्यम है खेती
लोहरदगा जिला कृषि प्रधान जिला है. यहां पर आर्थिक उन्नति का एक बड़ा माध्यम खेती भी है. लोग खेती कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. रोजगार के नाम पर यहां पर लोगों के पास खेती ही है. इस प्रकार से प्राकृतिक आपदा की वजह से लोगों को काफी ज्यादा नुकसान हुआ है. किसान इस नुकसान से फिलहाल उबर भी नहीं पाएंगे. सब्जियों की खेती और गेहूं को नुकसान पहुंचने से उन्हें सीधे-सीधे आर्थिक नुकसान पहुंचा है. जबकि ईख की खेती को नुकसान पहुंचने से किसानों को भविष्य में होने वाले फायदे से हाथ धोना पड़ रहा है. किसानों पर बरसी यह आफत उनकी योजनाओं और नगदी फसल के लिए काफी नुकसानदायक साबित हुआ है. किसानों को अब सरकार की ओर से राहत का इंतजार है. मौसम ने जो बेरुखी उनके साथ दिखाई है, उससे निजात पाने को लेकर सरकारी राहत ही एकमात्र दवा का काम करेगा.