सरायकेला: जिले के आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र की लाइफ लाइन माने जाने वाली आरआईटी मोड़ सड़क की स्थिति बद से बदतर हो गई है. अब आलम यह है कि सड़क के इस स्थिति से न सिर्फ आम राहगीर बल्कि उद्योग धंधे भी प्रभावित होने लगे हैं.
औद्योगिक क्षेत्र आरआईटी मोड़ से चावला मोड़ तक का मुख्य सड़क इन दिनों अपने बदहाली की दास्तां बयां कर रहा है. सड़क पर मौजूद बड़े-बड़े गड्ढे यह बताने को काफी है कि रोजाना इस मार्ग से छोटे, बड़े समेत भारी वाहनों का रोजाना परिचालन हो रहा है. इस सड़क से होकर प्रतिदिन हजारों की संख्या में मजदूर, उद्यमी और आम राहगीर गुजरते हैं. सड़क से उड़ने वाले धूल के कारण लोगों का चलना मुश्किल हो जाता है.
ये भी पढे़ं: साल 2020 में आलमगीर आलम बने मंत्री, कोरोना के कारण व्यवसायी रहे परेशान
लोग हो रहे हैं दुर्घटनाग्रस्त
इस सड़क पर मौजूद बड़े-बड़े गड्ढों के कारण आए दिन सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं. वहीं, सड़क निर्माण के बाद सड़क टूटकर जर्जर होने के कारण बड़े-बड़े पत्थर सड़कों पर जमे रहते हैं, जो भारी वाहनों के चक्को से उछलने के बाद दो पहिया वाहन चालकों को घायल कर रहे हैं. इसके अलावा साइकिल से औद्योगिक क्षेत्र में काम करने वाले मजदूर सड़क की दुर्दशा से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं.
कंपनियों के जॉब आइटम हो रहे खराब
औद्योगिक क्षेत्र के इस प्रमुख सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे होने के कारण उद्योगों से बनकर तैयार माल और जॉब बड़े वाहनों में लोड कर ले जाए जाते हैं तो जॉब आइटम गड्ढों के कारण खराब हो जाते हैं. स्थानीय उद्यमी बताते हैं कि ट्रांसपोर्टिंग के दौरान जर्जर सड़क होने से जॉब आइटम बिगड़ जाते हैं. ऐसे में टाटा मोटर्स जैसी बड़ी कंपनियां इन जॉब आइटम्स को डिफेक्टिव मानकर रिजेक्ट कर देती है. लिहाजा, उद्यमियों को इससे भारी भरकम नुकसान उठाना पड़ता है.
जियाडा बोर्ड के पास लंबित सड़क निर्माण प्रस्ताव
झारखंड औद्योगिक क्षेत्रीय विकास प्राधिकार, जियाडा के क्षेत्रीय उपनिदेशक प्रेम रंजन ने इस संबंध में जानकारी दी है कि जर्जर सड़क निर्माण संबंधित प्रस्ताव जियाडा मुख्यालय के पास पहले से लंबित है. उन्होंने बताया कि दोबारा से जर्जर सड़क निर्माण को लेकर प्रस्ताव भेजा गया है, लेकिन बोर्ड द्वारा अब तक सड़क निर्माण योजना को स्वीकृति नहीं दी गई है. वहीं, बताया जाता है कि इस सड़क के बीच रेलवे पुल भी पड़ता है. नतीजतन, सड़क निर्माण से पूर्व रेलवे से भी एनओसी लेना अनिवार्य होता है, जिसके कारण सड़क निर्माण योजना को हरी झंडी नहीं मिल पा रही है.