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महिला बनी मिसाल, मशरूम की खेती कर हुई मालामाल - कृषि विज्ञान केंद्र

कहते हैं ठान लो तो नामुमकीन कुछ भी नहीं. चाहे फिर लक्ष्य कितना ही कठीन क्यों न हो. कुछ ऐसा ही उदाहरण पेश किया है खीरा देवी ने, जो सामाजिक तानों और चुनौतियों को मात देकर समाज के लिए नजीर बन गई हैं. खीरा देवी आज अपनों का सहारा भी बनी और घर से बाहर निकलकर बेसहाराओं के आंसू भी पोंछे.

Women are empowered mushroom cultivation in shahibganj
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Published : Mar 6, 2020, 7:03 AM IST

साहिबगंज: प्रेम नगर मोहल्ला की रहने वाली खीरा देवी मशरूम की खेती कर आर्थिक रूप से मजबूत हो रही है. आज अपने दो बच्चों को उच्च शिक्षा की तालीम दे रही हैं. वहीं, दूसरी तरफ फूस का बना घर को पक्का मकान में भी तब्दील कर चुकी है. ये सब सिर्फ मशरूम की खेती से संभव हो पाया है.

देखिए स्पेशल स्टोरी

खीरा देवी शुरुआती दौर में बाजार में घूम घूम कर मुढ़ी बेचती थी. इस रोजगार से बहुत कम आय प्राप्त होता था. परिवार चलाने में भी बड़ी मुश्किल का सामना करना पड़ता था. फिर खीरा देवी का संपर्क कृषि विज्ञान केंद्र में कार्यरत महिला वैज्ञानिक माया कुमारी से हुआ. खीरा देवी अपनी आय को बढ़ाने के लिए कुछ हटकर काम करने का इच्छा जाहिर की. महिला कृषि वैज्ञानिक माया कुमारी ने मशरूम की खेती की तकनीक को बताया.

मशरूम की खेती सीखने के बाद खीरा देवी अपनी जीवनशैली को तो बदली ही साथ में आज गांव के कई महिला को सीखा भी रही. खीरा देवी आज समाज में अपनी एक अलग पहचान बना चुकी है. कई ग्रुप में महिलाओं को मशरूम की खेती करने का तकनीक बता रही हैं. खीरा देवी का कहना है कि बहुत कम लागत में मशरूम की खेती कर आय को दोगुनी कर पाई हूं. 20 से 25 रुपया पूंजी लगाने पर एक मशरूम के पैकेट से लगभग 2 से 3 किलो मशरूम निकलता है, जो बाजार में 150 रुपए से लेकर 200 रुपए तक बिक्री होता है. यह बहुत अच्छा रोजगार है. हर महिला को यह रोजगार करना चाहिए.

ये भी पढे़ं: महिला दिवस विशेष : भारत की 'चांदी' करने वाली सिंधु, जिसने बैडमिंटन के लिए लोगों को क्रेजी किया

कृषि महिला वैज्ञानिक माया कुमारी का कहना है कि शुरुआती दौर में इससे छत्रीवाला वाला मशरुम का खेती का तकनीक सिखाया. उसके बाद बॉटम मशरूम की खेती की तकनीक को बताया. आज खीरा देवी इतनी अच्छी तरीके से मशरूम की खेती सिख ली है कि गर्मी के दिनों में भी तापमान को कम करके मशरुम का खेती करने का जज्बा है. महिला वैज्ञानिक का कहना है कि ऐसा लगता है कि हम लोगों से अधिक अनुभव खीरा देवी हो चुका है और आज खीरा देवी से बहुत सारी महिला प्रशिक्षण देकर अपना रोजगार कर रही है.

साहिबगंज: प्रेम नगर मोहल्ला की रहने वाली खीरा देवी मशरूम की खेती कर आर्थिक रूप से मजबूत हो रही है. आज अपने दो बच्चों को उच्च शिक्षा की तालीम दे रही हैं. वहीं, दूसरी तरफ फूस का बना घर को पक्का मकान में भी तब्दील कर चुकी है. ये सब सिर्फ मशरूम की खेती से संभव हो पाया है.

देखिए स्पेशल स्टोरी

खीरा देवी शुरुआती दौर में बाजार में घूम घूम कर मुढ़ी बेचती थी. इस रोजगार से बहुत कम आय प्राप्त होता था. परिवार चलाने में भी बड़ी मुश्किल का सामना करना पड़ता था. फिर खीरा देवी का संपर्क कृषि विज्ञान केंद्र में कार्यरत महिला वैज्ञानिक माया कुमारी से हुआ. खीरा देवी अपनी आय को बढ़ाने के लिए कुछ हटकर काम करने का इच्छा जाहिर की. महिला कृषि वैज्ञानिक माया कुमारी ने मशरूम की खेती की तकनीक को बताया.

मशरूम की खेती सीखने के बाद खीरा देवी अपनी जीवनशैली को तो बदली ही साथ में आज गांव के कई महिला को सीखा भी रही. खीरा देवी आज समाज में अपनी एक अलग पहचान बना चुकी है. कई ग्रुप में महिलाओं को मशरूम की खेती करने का तकनीक बता रही हैं. खीरा देवी का कहना है कि बहुत कम लागत में मशरूम की खेती कर आय को दोगुनी कर पाई हूं. 20 से 25 रुपया पूंजी लगाने पर एक मशरूम के पैकेट से लगभग 2 से 3 किलो मशरूम निकलता है, जो बाजार में 150 रुपए से लेकर 200 रुपए तक बिक्री होता है. यह बहुत अच्छा रोजगार है. हर महिला को यह रोजगार करना चाहिए.

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कृषि महिला वैज्ञानिक माया कुमारी का कहना है कि शुरुआती दौर में इससे छत्रीवाला वाला मशरुम का खेती का तकनीक सिखाया. उसके बाद बॉटम मशरूम की खेती की तकनीक को बताया. आज खीरा देवी इतनी अच्छी तरीके से मशरूम की खेती सिख ली है कि गर्मी के दिनों में भी तापमान को कम करके मशरुम का खेती करने का जज्बा है. महिला वैज्ञानिक का कहना है कि ऐसा लगता है कि हम लोगों से अधिक अनुभव खीरा देवी हो चुका है और आज खीरा देवी से बहुत सारी महिला प्रशिक्षण देकर अपना रोजगार कर रही है.

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