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लॉकडाउन में हैंडलूम का कारोबार बंद, आर्थिक संकट से जूझ रहे बुनकर

साहिबगंज के रेशम नगर के भगैया गांव में बड़े पैमाने पर हैंडलूम का काम होता है. लेकिन लॉकडाउन की वजह से हैंडलूम का कारोबार बंद हो गया है. इससे गांव के 100 से अधिक बुनकरों के सामने रोजी-रोटी की संकट गहरा गया है.

Weavers struggling with economic crisis in Sahibganj
लॉकडाउन में हैंडलूम का कारोबार बंद
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Published : May 18, 2021, 3:57 PM IST

साहिबगंजः मंडरो प्रखंड के कौड़ीखुटाना पंचायत क्षेत्र के रेशम नगर के भगैया गांव में 100 से अधिक बुनकर हैं, जो अपने अपने घरों में हैंडलूम का काम करते हैं. लेकिन, झारखंड में लॉकडाउन लगने की वजह से हैंडलूम का कारोबार बंद हो गया है और यहां के बुनकरों के सामने रोजी-रोटी की संकट गहरा गया है.

यह भी पढ़ेंःसाहिबगंजः झारखंड-बिहार बार्डर का सीओ ने किया निरीक्षण, स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह को लेकर प्रशासन सतर्क

गांव के बुनकर कहते है कि लाॅकडाउन नहीं लगा था, तब वह अपने परिवार के साथ मेहनत कर अच्छे पैसे कमा लिया करते थे. लेकिन लाॅकडाउन लगने के बाद काम बंद है और कोई दूसरा काम नहीं मिल रहा है. इससे परिवार का भरण पोषण करना मुश्किल हो गया है.

बुनकरों को नहीं मिल रहा काम

चंदन कुमार कहते है कि कई बुनकर अपने मालिक के घर काम करना शुरू कर दिया है. अब सेठ के घर पर भी काम नहीं मिल रहा है. उन्होंने बताया कि सेठ के कपड़ सप्लाई बंद है. उन्होंने कहा कि सेठ के साथ भी समस्या है. सेठ के कपड़ा बुनाई कर बड़े शहरों में बिक्री के लिए भेजा जाता है, वहां भी सिल्क का कपड़ा बेचने के लिए समुचित व्यवस्था अभी नहीं है. इसके साथ ही जो बुनकर अपना पूंजी लगाकर सिल्क का कपड़ा और धागा तैयार कर रहा है, उसको भी उचित कीमत नहीं मिल रहा है. इस स्थिति में कमाने को लेकर कहां जाए. उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार और जिला प्रशासन हम बुनकरों के हित कदम उठाए, ताकि परिवार और बच्चों के पेट भर सके.

साहिबगंजः मंडरो प्रखंड के कौड़ीखुटाना पंचायत क्षेत्र के रेशम नगर के भगैया गांव में 100 से अधिक बुनकर हैं, जो अपने अपने घरों में हैंडलूम का काम करते हैं. लेकिन, झारखंड में लॉकडाउन लगने की वजह से हैंडलूम का कारोबार बंद हो गया है और यहां के बुनकरों के सामने रोजी-रोटी की संकट गहरा गया है.

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गांव के बुनकर कहते है कि लाॅकडाउन नहीं लगा था, तब वह अपने परिवार के साथ मेहनत कर अच्छे पैसे कमा लिया करते थे. लेकिन लाॅकडाउन लगने के बाद काम बंद है और कोई दूसरा काम नहीं मिल रहा है. इससे परिवार का भरण पोषण करना मुश्किल हो गया है.

बुनकरों को नहीं मिल रहा काम

चंदन कुमार कहते है कि कई बुनकर अपने मालिक के घर काम करना शुरू कर दिया है. अब सेठ के घर पर भी काम नहीं मिल रहा है. उन्होंने बताया कि सेठ के कपड़ सप्लाई बंद है. उन्होंने कहा कि सेठ के साथ भी समस्या है. सेठ के कपड़ा बुनाई कर बड़े शहरों में बिक्री के लिए भेजा जाता है, वहां भी सिल्क का कपड़ा बेचने के लिए समुचित व्यवस्था अभी नहीं है. इसके साथ ही जो बुनकर अपना पूंजी लगाकर सिल्क का कपड़ा और धागा तैयार कर रहा है, उसको भी उचित कीमत नहीं मिल रहा है. इस स्थिति में कमाने को लेकर कहां जाए. उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार और जिला प्रशासन हम बुनकरों के हित कदम उठाए, ताकि परिवार और बच्चों के पेट भर सके.

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