साहिबगंज: साल 2014 में हेमंत सोरेन के 14 महीने के कार्यकाल में जिलावासियों को शुद्ध पेयजल आपूर्ति के लिए चलंत जल शोधन संयंत्र के माध्यम से 1 रूपए की लागत पर पाउच में शुद्ध पेयजल मुहैया कराने की पहल हुई थी. लेकिन ये योजना केवल 1 साल ही चल पाई. आज 5 साल से ज्यादा समय हो गया है, जब पेयजल विभाग में ये वाहन और इसमें रखी लाखों रुपए की मशीन खराब हो रही है.
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क्या है पूरा मामला
झारखंड सरकार की ओर से राज्य में 5 तरह के चलंत जल शोधन संयंत्र युक्त वाहनों को हरी झंडी दिखााई गई थी. उन जिलों में वाहन को भेजा गया था, जहां लोग आर्सेनिक युक्त पानी पीने को मजबूर हैं और लगातार बीमार पड़ रहे हैं. सरकार की योजना बहुत अच्छी थी, जिस कंपनी को इस वाहन को चलाने का एमओयू हुआ था वो कंपनी बीच मझधार में ही इस काम को छोड़कर चली गई.
पेयजल पदाधिकारी ने दी जानकारी
पेयजल पदाधिकारी ने कहा कि जिस कंपनी को वाहन चलाने का जिम्मा मिला था, उसने विभाग से रजिस्ट्रेशन नहीं कराया और वो वाहन को लगाकर भाग गया. इसलिए विभाग भी अब बिना अनुमति के इस वाहन को नहीं छू सकता है. बार-बार सरकार को इस संबंध में अवगत कराया जाता है, अभी तक कोई दिशा निर्देश नहीं मिला है.