साहिबगंज: जिला मुख्यालय से मात्र सात किलोमीटर की दूरी पर साहिबगंज और बारियो जाने वाले रास्ते में एक दुर्गा टोली गांव है. इस गांव में आदिवासी समाज बहुल संख्या में पाया जाता है. इस गांव में जब ईटीवी भारत की टीम लॉकडाउन में समस्या जानने पहुंची तो एक अलग तरह की समस्या उभर कर सामने आई.
होती है परेशानी
गांव में आदिवासी, संथाली भाषा अधिक बोली जाती है. इन आदिवासियों ने बताया कि इस गांव में दो हजार से अधिक आबादी का दुर्गा टोली गांव है, जो चापानल था मरम्मती के अभाव में खराब हो चुका है. पीने और भोजन बनाने के लिए तीन से चार किमी दूर झरना पर निर्भर रहना पड़ता है, जिससे काफी परेशानी होती है.
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झरना सहारा
दुर्गा टोली के गांव वालों ने ईटीवी भारत से कहा कि पूरा गांव सुबह से धूप का इंतजार करता है, क्योंकि धूप निकलने के साथ ही एक सोलर लाइट से पानी मिलता है. जिला प्रशासन ने सोलर युक्त पेयजल की व्यवस्था की है. धूप निकलता है तो सारे लोग पानी के लिए टूट पड़ते हैं. कहीं धूप बादल से घिर गया तो पानी नहीं मिलेगा और प्यासे रहना पड़ेगा. इसलिए स्टॉक करने के लिए अधिक समय और ऊर्जा खत्म हो जाता है. इन आदिवासियों ने कहा कि धूप निकलने के बाद ही सारे गांव वालों को पानी मिलता है. यदि धूप किसी दिन नहीं निकला तो उस दिन गांव वाले को पानी नहीं मिलता है और लोग प्यासे रह जाते हैं. लोगों का खाना-पीना नहीं बन पाता. दूसरे विकल्प के तौर पर लोग 3 से 4 किलोमीटर दूर झरना से पानी लाकर काम चलाते हैं. अब पहले की तरह झरना का पानी साफ और स्वच्छ नहीं है, लेकिन मजबूरन झरना का पानी से सहारा लेना पड़ता है.
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'लॉकडाउन के कारण हो रही परेशानी'
वहीं, पीएचडी पदाधिकारी ने कहा कि लॉकडाउन के कारण सारा काम ठप पड़ गया है. कोई भी यंत्र बाहर से नहीं आ रहा है, फिर भी प्रयास किए जा रहे हैं कि ग्रामीण की समस्या पानी को लेकर दूर किया जा सके. इधर, उप विकास आयुक्त ने कहा कि जिला स्तर पर एक कमेटी बनाई गई है. जिला स्तर पर कंट्रोल रूम से पेयजल को लेकर शिकायतों का निपटारा किया जा रहा है. कहीं से कोई शिकायत आती है तो जल्द से जल्द निपटारा करने का प्रयास किया जाता है.