साहिबगंजः शहरी पेयजल आपूर्ति योजना अभी तक पूरा नहीं हो सका है. पिछले 10 वर्षों से यह योजना कछुए की गति से चल रही है. शुरुआती दौर में काम कर रही कंपनी ने समय से काम पूरा नहीं होने पर दिवालिया घोषित कर दिया गया था. इसके बाद बनारस की कंस्ट्रक्शन कंपनी को 22 करोड़ रुपए की लागत से इसे पूरा करने का जिम्मा मिला है. लेकिन यह कंपनी भी फेल साबित होती दिख रही है.
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कोरोना काल में काम ठप रहने से निर्माण कार्य करने की अवधि बढ़ाई गयी थी. अभी स्थिति यह हो गयी है कि समय भी खत्म हो चुका है और कंपनी के पास काम करने के लिए फंड की कमी हो गयी है. जिससे एक बार फिर साइट पर निर्माण कार्य बंद हो गया है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले कई साल से सुनते आ रहे हैं कि हाथी पार्क के पास शहरी पेयजल आपूर्ति योजना का प्लांट बन रहा है. टंकी तो बना हुआ है लेकिन इसे दिखावा के लिए बनाकर छोड़ दिया गया है. ग्रामीणों ने योजना में हो रही देरी को लेकर कहा कि शहरवासियों का सपना अभी तक पूरा नहीं हो सका. डोर टू डोर नलकूप के माध्यम से शुद्ध पानी देने की बात थी. लेकिन आज भी लोग आर्सेनिक वाला पानी पीने को मजबूर हैं.
लोगों ने कहा कि शहरवासी मजबूरन बोतल खरीदकर पानी पी रहे हैं. चापाकल का पानी पूरी तरह से दूषित हो चुका है. इसके अलावा पानी में आर्सेनिक की मात्रा अधिक हो जाने से तरह-तरह की बीमारी हो रही हैं. लोगों ने कहा कि इस कंपनी को 22 करोड़ की लागत से अधूरा योजना को पूरा करना था. लेकिन ऐसा लगता है कि कंपनी और विभाग पूरा पैसा निकालकर खा गयी है. आज तक कंपनी द्वारा किया हुआ एक भी काम नजर नहीं आ रहा है. किसी के घर में नल तक नहीं लगा और ना ही पानी का पाइप बिछाने का काम हुआ और ना ही समदा में बनने वाले इंटरवेल का निर्माण हुआ.
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इस मामले को लेकर पेयजल कार्यपालक अभियंता ने कहा कि यह सही बात है कि काम करने वाला ठेकेदार का समय पूरा हो चुका है, फंड भी खत्म हो चुका है. उन्होंने कहा कि गंगा नदी में सोर्स इटकवेल बनना था जो कोलकाता में स्टील का बन रहा है. दूसरी कंपनी से काम कराने में थोड़ी परेशानी हो सकती है. उन्होंने बताया कि इस दिशा में प्रयास किया जाएगा कि कंपनी से काम कराकर यह योजना पूरी कर ली जाए. कार्यपालक अभियंता ने कहा कि मार्च 2022 तक इलाके में डोर टू डोर पानी पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा.