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उत्तराखंड केदार कंठ की चोटी पर पड़े साहिबगंज के पांव! जिला के दो पर्वतारोहियों ने किया कमाल - उत्तराखंड केदार कंठ की चोटी

साहिबगंज के दो पर्वतारोही उत्तराखंड केदार कंठ की चोटी पर पहुंचे. अल उमर वकार और अबू सुफियान साहिबगंज जिला के पहले पर्वतारोही बने हैं. उन्होंने उत्तराखंड केदार कंठ की 13 हजार फीट की चढ़ाई कर एक पर्वतारोही के तौर पर साहिबगंज जिला का नाम रोशन किया है.

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दो पर्वतारोहियों ने किया कमाल
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Published : Dec 25, 2021, 10:17 PM IST

Updated : Dec 26, 2021, 10:38 AM IST

साहिबगंजः शहर के वार्ड नंबर 13 हबीबपुर निवासी अल उमर वकार (पिता अंजुम अमीर) ने उत्तराखंड, केदार कंठ की 13 हजार फीट की चढ़ाई कर एक पर्वतारोही के तौर पर साहिबगंज जिला का नाम रोशन किया है. पर्वतारोही अल उमर वकार और अबू सुफियान के कारनामे से पूरा झारखंड गौरवान्वित है.

इसे भी पढ़ें- माउंट सतोपंथ से गूंजा जोहार झारखंड, रांची के पंकज ने लहराया झंडा

पहाड़, वन और प्रकृति में रमे रहने वाले वकार वर्ष 2017 से प्रकृति की गोद में घूम रहे हैं. 2017 में वो सिक्किम की जीरो प्वाइंट पर भी पहुंचने का गौरव हासिल कर चुके हैं. जिसकी ऊंचाई करीब 15 हजार 300 फीट है. वर्ष 2018 में हिमाचल के खीरगंगा 13 हजार फिट की चोटी भी छू चुके हैं. उनका संदेश है कि प्रकृति की रक्षा सभी की जिम्मेदारी है और सभी लोग अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करें तभी प्रकृति बचेगी और तभी हम बचेंगे.

अल उमर वकार ने वहां से लौटने के बाद बताया कि 16 दिसंबर को साहिबगंज से उत्तरकाशी के लिए निकले. वहां से देहरादून होते हुए 18 दिसंबर को सांकरी बेस कैंप पहुंचे. सांकरी से उन्होंने यात्रा शुरू की. उन्होंने पहला पड़ाव जुदा का तालाब में डाला, दूसरा पड़ाव केदार कंठ बेस कैंप में डाला. 22 दिसंबर की रात केदार कंठ बेस कैंप से उन्होंने चोटी की चढ़ाई शुरू की. 90 किलो का बैग लिए अल उमर वाकर और उसके साथी अबू सुफियान सुबह 6 बजे 13 हजार फीट की चोटी पर पहुंच गए.पेशे से मैकेनिक पिता अंजुम के पुत्र अल उमर वकार ने साहिबगंज कॉलेज से इंग्लिश में ग्रेजुएशन किया है. उन्होंने बताया कि बचपन में उनके पिता ने घर के गार्डन में पत्थरों से आर्टिफिशयल पहाड़ बनाया था तबसे उन्हें पहाड़ चढ़ने का शौक हुआ. जब 16 वर्ष की उम्र में अर्जुन वाजपेयी ने हिमालय फतह की तो अल उमर वकार को उनसे प्रेरणा मिली. अब वकार भी हिमालय फतह करना चाहते हैं. उनके साथ उनके मित्र साहिबगंज, हबीबपुर निवासी जिला के पूर्व लोकपाल अब्दुल सुभान के पुत्र अबू सुफियान ने पहली बार पर्वत पर चढ़ाई की है. साहिबगंज जिला के पहले पर्वतारोही को शुभकामना देने का तांता लगा है.

साहिबगंजः शहर के वार्ड नंबर 13 हबीबपुर निवासी अल उमर वकार (पिता अंजुम अमीर) ने उत्तराखंड, केदार कंठ की 13 हजार फीट की चढ़ाई कर एक पर्वतारोही के तौर पर साहिबगंज जिला का नाम रोशन किया है. पर्वतारोही अल उमर वकार और अबू सुफियान के कारनामे से पूरा झारखंड गौरवान्वित है.

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पहाड़, वन और प्रकृति में रमे रहने वाले वकार वर्ष 2017 से प्रकृति की गोद में घूम रहे हैं. 2017 में वो सिक्किम की जीरो प्वाइंट पर भी पहुंचने का गौरव हासिल कर चुके हैं. जिसकी ऊंचाई करीब 15 हजार 300 फीट है. वर्ष 2018 में हिमाचल के खीरगंगा 13 हजार फिट की चोटी भी छू चुके हैं. उनका संदेश है कि प्रकृति की रक्षा सभी की जिम्मेदारी है और सभी लोग अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करें तभी प्रकृति बचेगी और तभी हम बचेंगे.

अल उमर वकार ने वहां से लौटने के बाद बताया कि 16 दिसंबर को साहिबगंज से उत्तरकाशी के लिए निकले. वहां से देहरादून होते हुए 18 दिसंबर को सांकरी बेस कैंप पहुंचे. सांकरी से उन्होंने यात्रा शुरू की. उन्होंने पहला पड़ाव जुदा का तालाब में डाला, दूसरा पड़ाव केदार कंठ बेस कैंप में डाला. 22 दिसंबर की रात केदार कंठ बेस कैंप से उन्होंने चोटी की चढ़ाई शुरू की. 90 किलो का बैग लिए अल उमर वाकर और उसके साथी अबू सुफियान सुबह 6 बजे 13 हजार फीट की चोटी पर पहुंच गए.पेशे से मैकेनिक पिता अंजुम के पुत्र अल उमर वकार ने साहिबगंज कॉलेज से इंग्लिश में ग्रेजुएशन किया है. उन्होंने बताया कि बचपन में उनके पिता ने घर के गार्डन में पत्थरों से आर्टिफिशयल पहाड़ बनाया था तबसे उन्हें पहाड़ चढ़ने का शौक हुआ. जब 16 वर्ष की उम्र में अर्जुन वाजपेयी ने हिमालय फतह की तो अल उमर वकार को उनसे प्रेरणा मिली. अब वकार भी हिमालय फतह करना चाहते हैं. उनके साथ उनके मित्र साहिबगंज, हबीबपुर निवासी जिला के पूर्व लोकपाल अब्दुल सुभान के पुत्र अबू सुफियान ने पहली बार पर्वत पर चढ़ाई की है. साहिबगंज जिला के पहले पर्वतारोही को शुभकामना देने का तांता लगा है.
Last Updated : Dec 26, 2021, 10:38 AM IST
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