साहिबगंज: बाल कल्याण समिति साहिबगंज और पटना बाल कल्याण समिति की पूर्व सदस्य के सहयोग से जिरवाबाड़ी थाना केस 265/12 से संबंधित दो मूक-बधिर लड़कियों को उनके परिवारों से मिला दिया. इन लड़कियों में एक लड़की की मौसी ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट हैं और झारखंड में कार्यरत हैं. पिछले 15 दिनों से लगातार उनके परिवार के लोग लड़कियों को खोज रहे थे.
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13 वर्ष से लापता थी दोनों लड़कियांः दरअसल, पिछले दिनों पटना की पूर्व बाल कल्याण समिति सदस्य संगीता कुमारी ने बाल कल्याण समिति साहिबगंज से संपर्क किया था और बताया था कि दो मूक-बधिर बालिकाएं पिछले 13 वर्ष से अपने परिवार से बिछुड़ गई हैं और पटना में आवासित हैं. उसके बाद बाल कल्याण समिति साहिबगंज के सदस्य डॉ सुरेंद्रनाथ तिवारी ने उन बालिकाओं से संबंधित जानकारी इकट्ठा करनी शुरू की. जांच में पता चला कि एक बालिका का घर दुमका और दूसरी लड़की का घर पाकुड़ में है.
स्कूल से चला दोनों बच्चियों के घर का पताः पड़ताल में पता चला कि दोनों लड़कियों ने साहिबगंज के स्थानीय दिव्यांग विद्यालय से शिक्षा प्राप्त की थीं. इसके बाद डॉ सुरेंद्रनाथ ने विद्यालय पहुंच कर विद्यालय के शिक्षकों और स्टाफ को दोनों लड़कियों का फोटो दिखाया. शिक्षकों और विद्यालय के कर्मियों ने दोनों बच्चियों की पहचान कर ली. इसके बाद उनके परिवार की खोजबीन की गई और परिवार से संपर्क होने के बाद उन्हें पटना भेजा गया. जहां बच्चियों को उनके परिवार से मिलाया गया. लंबे समय के बाद बेटियों से मिलने के बाद माता-पिता के आंखों से आंसू छलक गए.
सीआईडी कर रही थी मामले की जांचः गौरतलब है कि इस केस की सीआईडी जांच कर रही थी. स्थानीय वान उडेन मूक-बधिर विद्यालय को संचालित करने वाले और संस्थापक उदय मरांडी की मृत्यु के बाद कई परेशानियों को झेलने के दौरान बच्चे जहां-तहां भटक गए थे. उसी क्रम में यह दो बालिकाएं साहिबगंज से भटक कर पटना पहुंच गई थीं. कई बच्चों के गुम होने की सूचना के बाद इस केस की जांच सीआईडी कर रही थी.