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यहां पत्थर के रूप में तालाब से निकलता है अनाज! दूर-दूर से देखने आते हैं सैलानी

साहिबगंज जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर राजमहल प्रखंड के  कटघर गांव में एक छोटा सा तालाब है. इस तालाब में चावल, गेहूं, चना, दाल और मटर जैसे अनाज पत्थर के रूप में मिलते हैं. इसे लेकर यहां कई किवदंतियां मशहूर हैं. लोगों की मानें तो एक साधू के श्राप की वजह से राजा का सारा अन्न-धन पत्थर का हो गया था जो आज भी तालाब से निकलता रहता है.

पत्थर के रूप में तालाब से निकलता है अनाज
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Published : Sep 27, 2019, 6:33 AM IST

Updated : Sep 27, 2019, 11:47 AM IST

साहिबगंजः राजमहल की पहाड़ियों में विरासत के कई राज दफन हैं. इसका जिक्र इतिहास के पन्नो में भी मिलता है. ऐसा ही एक रहस्य कटघर गांव के तालाब से जुड़ा है. इस तालाब में चावल, गेहूं, दाल, मटर जैसे कई अनाज पत्थर के मिलते हैं. चौंकिए नहीं ये पूरी खबर देखिए फिर आप को भी यकीन हो जाएगा.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

साहिबगंज जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर राजमहल प्रखंड के कटघर गांव में एक छोटा सा तालाब है. इस तालाब में चावल, गेहूं, चना, दाल और मटर जैसे अनाज पत्थर के रूप में मिलते हैं. इसे लेकर यहां कई किवदंतियां मशहूर हैं. लोगों की मानें तो एक साधू के श्राप की वजह से राजा का सारा अन्न-धन पत्थर का हो गया था जो आज भी तालाब से निकलता रहता है. गांव के निवासी अपने बच्चो की मदद से इस तालाब में गोता लगवाकर अनाज का पत्थर निकाल आने वाले पर्यटकों को 200 से 300 रु में बेचते हैं. इससे वो बच्चों का भरण पोषन करते हैं.

ये भी पढ़ें- इन मेगालिथ पत्थरों के बीच दिखता है अद्भुत खगोलीय नजारा, जुटते हैं कई खगोलशास्त्री

भूगर्भशास्त्रियों के अनुसार राजमहल की पहाड़ी पर ज्वालामुखी की वजह से अनाज पत्थर हो गए हैं और अब ये ग्रेन फॉसिल्स के रूप में मिल रहे हैं. उन्होंने ये भी कहा कि इस पर शोध तो बाद में होगी, सबसे पहले इसे बचाना जरूरी है.

गांव के बच्चे तालाब से अनाज का पत्थर निकाल कर पर्यटकों को बेच देते हैं. ऐसे में ये ऐतिहासित विरासत अनदेखी का शिकार होती जा रही है. हालांकि ईटीवी भारत ने जब प्रशासन का ध्यान इस ओर दिलाया तो अधिकारी ने यहां पार्क बनाने के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजने की बात कही.

राजमहल की पहाड़ियों में इतिहास के झरोखे से झांककर कई रहस्यों को सुलझाया जा सकता है. इसके लिए सरकार और प्रशासन को गंभीर होना पड़ेगा ताकि ग्रेन फॉसिल्स की इस अनमोल धरोहर को सहेज कर रखा जा सके.

साहिबगंजः राजमहल की पहाड़ियों में विरासत के कई राज दफन हैं. इसका जिक्र इतिहास के पन्नो में भी मिलता है. ऐसा ही एक रहस्य कटघर गांव के तालाब से जुड़ा है. इस तालाब में चावल, गेहूं, दाल, मटर जैसे कई अनाज पत्थर के मिलते हैं. चौंकिए नहीं ये पूरी खबर देखिए फिर आप को भी यकीन हो जाएगा.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

साहिबगंज जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर राजमहल प्रखंड के कटघर गांव में एक छोटा सा तालाब है. इस तालाब में चावल, गेहूं, चना, दाल और मटर जैसे अनाज पत्थर के रूप में मिलते हैं. इसे लेकर यहां कई किवदंतियां मशहूर हैं. लोगों की मानें तो एक साधू के श्राप की वजह से राजा का सारा अन्न-धन पत्थर का हो गया था जो आज भी तालाब से निकलता रहता है. गांव के निवासी अपने बच्चो की मदद से इस तालाब में गोता लगवाकर अनाज का पत्थर निकाल आने वाले पर्यटकों को 200 से 300 रु में बेचते हैं. इससे वो बच्चों का भरण पोषन करते हैं.

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भूगर्भशास्त्रियों के अनुसार राजमहल की पहाड़ी पर ज्वालामुखी की वजह से अनाज पत्थर हो गए हैं और अब ये ग्रेन फॉसिल्स के रूप में मिल रहे हैं. उन्होंने ये भी कहा कि इस पर शोध तो बाद में होगी, सबसे पहले इसे बचाना जरूरी है.

गांव के बच्चे तालाब से अनाज का पत्थर निकाल कर पर्यटकों को बेच देते हैं. ऐसे में ये ऐतिहासित विरासत अनदेखी का शिकार होती जा रही है. हालांकि ईटीवी भारत ने जब प्रशासन का ध्यान इस ओर दिलाया तो अधिकारी ने यहां पार्क बनाने के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजने की बात कही.

राजमहल की पहाड़ियों में इतिहास के झरोखे से झांककर कई रहस्यों को सुलझाया जा सकता है. इसके लिए सरकार और प्रशासन को गंभीर होना पड़ेगा ताकि ग्रेन फॉसिल्स की इस अनमोल धरोहर को सहेज कर रखा जा सके.

Intro:मोजो से बाइट भेज रहे हैBody:मोजो से बाइटConclusion:मोजो से
Last Updated : Sep 27, 2019, 11:47 AM IST
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