साहिबगंजः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिले में गंगा नदी पर बनने वाले फोरलेन ब्रिज का टेंडर चाइना की कंपनी से लेकर दो भारतीय मूल की कंपनी को सौंपा है. गंगा नदी पुल के निर्माण का टेंडर चाइनीज कंपनी को दिया गया था. लेकिन चाइना से बढ़ते टकराव की वजह से भारत सरकार ने यह कदम उठाया है.
6 अप्रैल 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साहिबगंज की धरती से शिलान्यास किया था. मगर टेंडर बार-बार रद्द होने से अभी तक पेन पेपर पर ही गंगा नदी पुल का निर्माण चल रहा था, लेकिन जमीनी स्तर पर काम उतर नहीं सका. भारत और चीन के बीच रिश्ता खराब होने के बाद काम पेंडिंग में पड़ा है.
दरअसल, पिछले दिनों चीनी सेना के साथ मुठभेड़ में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे. इसको लेकर भारत में चीन की वस्तु और काम कर रही कंपनी का विरोध शुरू हुआ और कार्रवाई करने की मांग होने लगी. इस बीच प्रधानमंत्री मोदी ने कूटनीतिक चाल चली और आर्थिक रूप से चीन को कमजोर करने के लिए चीन के 59 एप को भारत में बंद कर दिया. जिसे लेकर चीन पूरी तरह से घबरा गया और चिल्लाने लगा. उसके बाद भारत सरकार ने एक और करारा झटका दिया है.
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1900 करोड़ की लागत से बनेगा पुल
बता दें कि साहिबगंज के लोगों की चिरपरिचित मांग गंगा पुल निर्माण का टेंडर से चीन की कंपनी को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है. इसके साथ ही दो भारतीय बड़ी कंपनी एचसीसी और दिलीप बिल्डकॉन को 1900 करोड़ की लागत से साहिबगंज और बिहार राज्य के मनिहारी घाट के बीच लगभग एप्रोच के साथ 22 किमी लंबी पुल का निर्माण कार्य सौंपा है. निश्चित रूप से गंगा पुल का टेंडर चाइनीज कंपनी से छीनकर दो भारतीय कंपनी को देना कहीं न कहीं आत्मनिर्भर भारत की ओर कारगर कदम साबित होगा. दो भारतीय कंपनी को गंगा पुल का टेंडर मिलने से जिलेवासियों में खुशी की लहर है.
भूमि अधिग्रहण का काम पूरा
स्थानीय लोगों ने कहा कि चीन को जोरदार झटका भारत ने दिया है यह खुशी की बात है. आशा है जल्द बरसात के बाद काम चालू हो जाएगा. भूमि अधिग्रहण का काम साहिबगंज और बिहार के कटिहार जिला के प्रशासनिक स्तर से पूरा हो गया है. बस काम चालू होना है. स्थानीय लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का आभार प्रकट किया है. साथ ही कुछ लोगों ने कहा कि टेंडर बार-बार रद्द होने से जनता निराश हो चुकी है और पीएम की कार्यशीली पर सवाल करने लगी है. 6 अप्रैल 2017 के बाद से आज तक क्यों नहीं शुरुआत हुई. क्यों बार-बार टेंडर रद्द होना पड़ा. उन्होंने कहा जमीनी स्तर पर काम शुरू होने के बाद ही जनता को विश्वास होगा.
वहीं, इस मामले में राजमहल बीजेपी विधायक ने कहा कि भारत और चीन के बीच आपसी रिश्ता बिगड़ने की वजह से काम में देरी हुई. आखिरकार पीएम ने चीन की कंपनी को ब्लैक लिस्टेड कर गंगा पुल का टेंडर छीना और दो भारतीय कंपनी को देकर शहीद हुए जवान को सच्ची श्रद्धांजलि दी. बता दें कि बहुत जल्द साहिबगंज की जनता की 50 वर्षों की मांग का सपना साकार होने जा रहा है.
4 साल में बनकर होगा तैयार
गंगा पुल बन जाने से साहिबगंज एक विकसित शहर बन जाएगा. व्यापार का मार्ग प्रशस्त होगा. गंगा पुल बन जाने से उत्तर भारत से दूरी कम हो जाएगी. नेपाल, भूटान, बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल सहित कई राज्य तक सड़क मार्ग से दूरी कम हो जाएगी. बेरोजगारों के लिए रोजगार का रास्ता खुल जाएगा. गंगा नदी पर 6 किमी गंगा पुल बनेगा और दोनों तरफ एप्रोच रोड मिलाकर 22 किमी लंबा पुल बनेगा. लगभग 4 साल तक लगातार काम चलते रहने से यह पुल बनकर तैयार होगा. दोनों कंपनियों को 1900 करोड़ की लागत से इस पुल को बनाने का जिम्मा मिला है, दोनों तरफ भूमिअधिग्रहण का काम पूरा हो चुका है.