साहिबगंज: आजादी के दीवाने हूल क्रांति के महानायक शहीद सिदो-कान्हू के बलिदान को लोग आज भी याद करते हैं. जिन्होंने अंग्रेजों को पानी पिला दिया था. पचकठिया क्रांति स्थल पर दोनों भाईयों को सरेआम फांसी पर लटका दिया गया था. जिले के बरहेट प्रखंड के जन्म स्थल भोगनाडीह गांव से लगभग दस हजार संथालों के साथ अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंक दिया था.
अंग्रेजों के खिलाफ फूंका था बिगुल
शहीद सिदो-कान्हू, चांद-भैरव यह चार भाई थे, जिन्होंने1855 में पहली बार अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंका था. वे अपने पारंपरिक हथियार से लड़ते रहे, चांद-भैरव को अंग्रेजों ने गोली मार दी थी और सिदो-कान्हू को पकड़कर बरहेट प्रखंड के पचकठिया में पेड़ के नीचे सरेआम फांसी दे दी गई थी. इस जगह को लोग आज क्रांति स्थल के नाम से जानते हैं. इतिहासकारों का कहना है कि अंग्रेजी लड़ाके संथाल से लड़ रहे इनको खुश करने के लिए संथाल परगना के नाम से प्रमंडल घोषित कर दिया जो पहले दामिनी-ई-कोह के नाम से जाना जाता था.
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इनके गांव को मॉडल बनाने का प्रयास
पहाड़िया कल्याण अधिकारी ने कहा कि बरहेट के भोगनाडीह में शहीद ग्राम विकास योजना के तहत इन शहीदों के गांव में सभी को पक्का मकान बनाया जा रहा है. इसके साथ ही मूलभूत सुविधा की व्यवस्था की जा रही है. शहीद ग्राम विकास योजना के तहत इन शहीदों का गांव को मॉडल बनाने का प्रयास किया जा रहा है. निश्चित रूप से1855 में सिदो-कान्हू ने पहली बार अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंका था. इन दोनों भाई को हुल क्रांति का महानायक कहा जाता है.