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साहिबगंज: गाद बढ़ने से खतरे में गंगा का अस्तित्व, 300 करोड़ की लागत से बने पोर्ट पर पड़ सकता है असर

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Published : Jan 19, 2020, 10:54 PM IST

साहिबगंज के गंगा नदी में लगातार गाद बढ़ने से इसका अस्तिव पर सवाल उठने लगे हैं. तीन सौ करोड़ की लागत से बने पोर्ट पर भी असर पड़ सकता है. वहीं, केंद सरकार की उदासीनता के कारण पोर्ट अब शोभा की वस्तु बनने के कगार पर है.

Silt is continuously increasing in river of Sahibganj
गंगा नदी

साहिबगंज: केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी योजना बंदरगाह पर घने बादल का छाया मंडराने लगा है. गंगा नदी में गाद की मात्रा अधिक होने से गंगा नदी की गहराई कम होने लगी है. जिस उद्देश्य बंदरगाह का निर्माण हुआ था की गंगा रास्ते बंगाल के हल्दिया से साहेबगंज और इलाहाबाद तक भारी कार्गो जहाज के माध्यम से सस्ते भाड़ा पर वस्तुओं का आयात निर्यात होगा लेकिन गंगा में गाद की समस्या लगातार बढ़ने से गंगा की धार कई पाट में बंट रहा है.

देखें पूरी खबर

गंगा की सुरक्षा में राज्य सरकार और केंद्र सरकार ध्यान नहीं दे रही है. अन्य कार्यों को करने में जुटी हुई है. गंगा नदी में लगातार गाद बढ़ने से इसका अस्तिव पर सवाल उठने लगा है. ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार के तीन सौ करोड़ की लागत से बना समदा घाट पर मल्टी मॉडल टर्मिनल पर भी सवाल उठने लगा है. केंद्र सरकार इस दिशा में कोई पहल नहीं कर रही है. लोगों का कहना है कि गंगा में गाद का जमा रहने से जो सरकार के महत्वपूर्ण और महत्वकांक्षी योजना है बंदरगाह और मल्टी टर्मिनल वह एक शोभा की वस्तु बनकर रह जाएगी.

ये भी देखें- बिहार ने दुनिया को दिखाया दम, 4 करोड़ से ज्यादा लोगों ने बनाई मानव श्रृंखला

वहीं, नगर परिषद का कहना है कि साहिबगंज को गंगा का जल नहीं मिल रहा है, जब सरकार इसका मॉनिटरिंग करेगी बीच से बालू को हटाया जाएगा तभी लोगों को थोड़ी राहत मिल पाएगी. इस समस्या को लेकर जब जिला प्रशासन से पूछा गया तब उन्होंने केंद्र सरकार की योजना कहकर टाल दिया. केंद्र सरकार को गंगा के संरक्षण को लेकर गंभीर होना चाहिए और जल्द से जल्द गंगा में जमे गाद को सफाई करने में पहल करनी चाहिए.

साहिबगंज: केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी योजना बंदरगाह पर घने बादल का छाया मंडराने लगा है. गंगा नदी में गाद की मात्रा अधिक होने से गंगा नदी की गहराई कम होने लगी है. जिस उद्देश्य बंदरगाह का निर्माण हुआ था की गंगा रास्ते बंगाल के हल्दिया से साहेबगंज और इलाहाबाद तक भारी कार्गो जहाज के माध्यम से सस्ते भाड़ा पर वस्तुओं का आयात निर्यात होगा लेकिन गंगा में गाद की समस्या लगातार बढ़ने से गंगा की धार कई पाट में बंट रहा है.

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गंगा की सुरक्षा में राज्य सरकार और केंद्र सरकार ध्यान नहीं दे रही है. अन्य कार्यों को करने में जुटी हुई है. गंगा नदी में लगातार गाद बढ़ने से इसका अस्तिव पर सवाल उठने लगा है. ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार के तीन सौ करोड़ की लागत से बना समदा घाट पर मल्टी मॉडल टर्मिनल पर भी सवाल उठने लगा है. केंद्र सरकार इस दिशा में कोई पहल नहीं कर रही है. लोगों का कहना है कि गंगा में गाद का जमा रहने से जो सरकार के महत्वपूर्ण और महत्वकांक्षी योजना है बंदरगाह और मल्टी टर्मिनल वह एक शोभा की वस्तु बनकर रह जाएगी.

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वहीं, नगर परिषद का कहना है कि साहिबगंज को गंगा का जल नहीं मिल रहा है, जब सरकार इसका मॉनिटरिंग करेगी बीच से बालू को हटाया जाएगा तभी लोगों को थोड़ी राहत मिल पाएगी. इस समस्या को लेकर जब जिला प्रशासन से पूछा गया तब उन्होंने केंद्र सरकार की योजना कहकर टाल दिया. केंद्र सरकार को गंगा के संरक्षण को लेकर गंभीर होना चाहिए और जल्द से जल्द गंगा में जमे गाद को सफाई करने में पहल करनी चाहिए.

Intro:गाद बढ़ने से गंगा नदी का अस्तित्व खतरे में पहुँचा,तीन सौ करोड़ की लागत से बना पोर्ट पर पड़ सकता है असर,केंद सरकार की उदासीनता की वजह से पोर्ट शोभा की बस्तु न बन जाय।
केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी योजना बंदरगाह पर घने बादल का छाया मंडराने लगा है जी हां विशाल गंगा नदी में गाद की मात्रा अधिक होने से गंगा नदी की गहराई और चौड़ाई कम होने लगी है। कही पोर्ट अपने उद्देश्य से भटक मत जाय।


Body:गाद बढ़ने से गंगा नदी का अस्तित्व खतरे में पहुँचा,तीन सौ करोड़ की लागत से बना पोर्ट पर पड़ सकता है असर,केंद सरकार की उदासीनता की वजह से पोर्ट शोभा की बस्तु न बन जाय।
स्पेशल स्टोरी-साहिबगंज-- केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी योजना बंदरगाह पर घने बादल का छाया मंडराने लगा है जी हां विशाल गंगा नदी में गाद की मात्रा अधिक होने से गंगा नदी की गहराई और चौड़ाई कम होने लगी है। जिस उद्देश्य बंदरगाह का निर्माण हुआ था की गंगा रास्ते बंगाल के हल्दिया से साहेबगंज और इलाहाबाद तक भारी कार्गो जहाज के माध्यम से सस्ते भाड़ा पर वस्तुओं का आयात निर्यात होगा लेकिन गंगा में गाद की समस्या लगातार बढ़ने से गंगा की धार कई पाट में बंट रहा है।
बाइट--मुरली तिवारी,
बाइट-- स्याम सुंदर पोद्दार,स्थानीय
झारखंड का साहिबगंज एकमात्र जिला है जहां से उत्तर वाहिनी गंगा नदी बहती है लेकिन गंगा की सुरक्षा में राज सरकार और केंद्र सरकार ध्यान नहीं दे रही है आन कार्यों को करने में जुटी हुई है गंगा नदी में लगातार गाद बढ़ने से इसका अस्तिव पर सवाल उठने लगा है ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार द्वारा तीन सौ करोड़ की लागत से बना साहिबगंज में समदा घाट पर मल्टी मॉडल टर्मिनल पर भी सवाल उठने लगा है। केंद्र सरकार इस दिशा में पहल नही किया तो पोर्ट कही शोभा की बस्तु ना बन जाय।
इस संदर्भ में ईटीवी भारत ने जब गंगा नदी में गाद की समस्या का निजात को लेकर जिला प्रशासन से जानने का प्रयास किया तो केंद्र सरकार की योजना कहकर टाल दिया गया। विशेष कुछ कहने में परहेज किया जा रहा है।
जब जिला प्रशासन मुंह फेर ले तो गंगा का संरक्षण कैसे होगा। ईटीवी भारत ने गंगा की समस्या को लेकर प्रमुखता से उठाया है अब देखना यह होगा कि इस खबर का असर जिला प्रशासन, राज्य सरकार और केंद्र सरकार के सेहत पर कितना असर पड़ता है।
शिव शंकर कुमार, रिपोर्टर,ईटीवी भारत,साहिबगंज


Conclusion:गंगा में दांत के समस्या लगातार बनी हुई है गंगा का गहराई कम होती जा रही है ऐसी स्थिति में भारी से भारी जहाज कार्गो जहाज हल्दिया से साहिबगंज और साहिबगंज से इलाहाबाद कैसे जाएगी एक बहुत बड़ा सवाल है केंद्र सरकार गंगा के संरक्षण को लेकर गंभीर होना चाहिए और जल्द से जल्द गंगा में जमे गाद को सफाई करने में पहल करनी चाहिए।
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