साहिबगंजः जन वितरण प्रणाली के माध्यम से गरीबों को दिए जाने वाले सब्सिडी राशन में आये दिन कालाबाजारी की शिकायत मिलती थी. गरीब को समय पर अनाज नहीं मिल पाता था या दो से तीन महीना में एक बार राशन डीलर द्वारा दिया जाता था, लेकिन अब केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त प्रयास से सब्सिडी वाला अनाज की कालाबाजारी को रोकने के लिए ई-पॉश मशीन का शुभारंभ हुआ है. जिला स्तर पर सभी डीलरों को प्रशिक्षण दिया गया. समय समय पर किस तरह ऑनलाइन राशन देना है और इन्ट्री करना है.
हालांकि जिले में राशन की कालाबाजारी रुकने का नाम नहीं ले रही है. गरीबों को दो वक्त खाना मिल सके इसके लिए उन्हें जन वितरण प्रणाली यानी पीडीएस के जरिए हर महीने राशन दिया जाता है. लेकिन गरीबों की थाली पर भी भ्रष्टाचारियों की नजर है, अक्सर इनके हक का राशन इन्हें नहीं मिल पाता.
दूसरी ओर जिला आपूर्ति पदाधिकारी के अनुसार लॉकडाउन में जिले के सभी पीडीएस दुकान को ऑनलाइन सेवा बंद करके ऑफलाइन सेवा के माध्यम से राशन मुहैया कराने का निर्देश दिया गया है और अभी भी तक सरकार के निर्देश पर ऑफलाइन सेवा से ही सभी कार्डधारी को राशन दिया जा रहा है.
शिकायत पर तुरंत कार्रवाई
आज भी लोगों की शिकायत 181 के माध्यम से दूसरा पीडीएस पोर्टल ,तीसरा उपायुक्त के यहां पहुचकर जनता दरबार में की जाती है. जिलास्तर पर एक कमेटी बनाकर जांच करायी जाती है. दोषी पाए जाने पर राशन डीलर के खिलाफ कार्रवाई की जाती है.
कालाबाजारी को रोकने के लिए ही ऑफ लाइन सुविधा बंद कर इपोस मशीन की शुरुआत हुई है काफी हद तक सफलता मिली है. प्रति यूनिट के हिसाब से कम देने का शिकायत अवश्य मिलती है. इसे दूर कर लिया जाता है.
इस लॉकडाउन में सभी राशन डीलर को निर्देश दिया गया कि ऑफलाइन राशन देने के बाद ऑनलाइन इंट्री करना है. ईपास मशीन लागू होने से जमाखोरी या कालाबाजरी की शिकायत नहीं मिलती है. जिला प्रशासन को मालूम रहता है कि उक्त डीलर ने कितने कार्डधारियों को राशन दिया है और स्टॉक में कितना अनाज शेष बचा हुआ है.
डीएसओ ने कहा कि सप्ताह में दो दिन उपायुक्त के यहां जनता दरबार में शिकायत लोग करते हैं या मेरे पास ही आते है और 181 पर शिकायत की एक कॉपी राज्य सरकार से आता है या पीडीएस पोर्टल पर मामला आता है त्वरित करवाई कर निबटारा कर लिया जाता है.
इसके लिए एक प्रखंड स्तर पर एक कमेटी बनाई गई है. उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर पीडीएस दुकान से अवैध व्यपार को रोकने के जिला प्रशासन पूरी तरह तैयार है हर महीने सभी डीलरों के साथ बैठक कर जानकारी ली जाती है.
एक नजर
जिले में प्रखंड 9
एपीएल कार्डधारी 76,169
बीपीएल कार्डधारी 1,01,830
अंत्योदय कार्डधारी 17,562
कुल कार्डधारी 2,26,953
सत्यापित 1,73,525
कार्डधारियों का कहना है कि चावल ,नमक,मिट्टी तेल,चना दाल पीडीएस दुकान से मिलता है लेकिन प्रति यूनिट पर कम दिया जाता है. सरकार के प्रावधान के अनुसार प्रति यूनिट 6 किलो चावल मिलना चाहिए लेकिन एक परिवार में यदि 4 व्यक्ति है तो 24 किलो की जगह 20 किलो हो मिलता है इस तरह से पीडीएस दुकान अनाज को बचत कर कालाबाजरी करते है.
पारा शिक्षकों की तैनाती
लोगों ने कहा कि ऑनलाइन में कम होता था लेकिन ऑफ लाइन में पहले की तरह कालाबाजरी होने लगी है. अधिकांश लोग निरक्षर होते है रजिस्टर पर अंगूठा या हस्ताक्षर कर राशन दिया जाता है रजिस्टर और राशन कार्ड में उचित यूनिट लिखा जाता है लेकिन तौल में कमी कर दिया जाता है गरीब इसका विरोध नही कर पाते हैं.
स्थानीय लोगों का कहना है कि लॉकडाउन में पीडीएस दुकान में गांव के पारा शिक्षक को मजिस्ट्रेट बना दिया गया है ताकि निगरानी रख सके लेकिन शिक्षक डर से विरोध नही कर रजिस्टर पर अपना उपस्थिति दर्ज कर चले जाते है.
पीडीएस दुकान में पहले भी कालाबाजारी होती थी आज भी होती है बशर्ते चोरी करने का तरीका में बदलाव हुआ है. नीचे से लेकर ऊपर तक कमीशन का खेल शुरू से खेल चलता आ रहा है, हां पहले से कुछ कम जरूर हुआ है. जिला प्रशासन और राज्य सरकार को इसमें और पारदर्शिता लाने की जरूरत है ताकि शत-प्रतिशत गरीब के हित में दिए जाने वाले सब्सिडी अनाज मिल सके.
साहिबगंज जिले में भी पीडीएस दुकानों में ई-पॉश मशीनों के जरिए राशन वितरण की व्यवस्था की गई है. प्रशासन की मानें तो इस व्यवस्था से कालाबाजारी पर काफी हद तक अंकुश लगा है. सभी को तय मात्रा में राशन मिल रहा है. फिलहाल कोरोना के चलते ऑफलाइन से राशन वितरण हो रहा है.
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दूसरी ओर इस नई व्यवस्था से भी भ्रष्टाचार पर पूरी तरह से अंकुश नहीं लग पाया है. कार्डधारकों की अभी भी अनेक शिकायतें हैं. आज बड़ी संख्य़ा में लोगों के पास किसी भी तरह का राशन कार्ड नहीं है, जिससे उन्हें राशन नहीं मिल पा रहा है.
प्रशासन भले ही कहे कि ऑनलाइन सिस्टम से राशन की कालाबाजारी कम हो रही है, लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि चोरी करने के तरीके में बदलाव हुआ है. राशन दुकानों में पारा शिक्षकों की नियुक्ति से भी इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ. डीलर अपने आवास से राशन बांटता है जिससे निर्धारित राशन नहीं मिल रहा है.
राशन दुकानों में पूर्ण रूप से कालाबाजारी को खत्म करने के लिए कुछ और कदम उठाने की जरूरत है, लेकिन अभी भी कुछ और बड़े कदम उठाने की आवश्यकता है तभी गरीबों को इसका लाभ मिल सकेगा.