साहिबगंजः जिला में हर साल बाढ़ आने से खेतों में लगी फसलें डूब जाती हैं, जिससे किसानों को काफी नुकसान झेलना पड़ता है. ऐसे में सरकार और प्रशासन ही उनका सहारा होता है, लेकिन जब ये लोग भी उदासीन हो जाए तो बेचारे किसान कहां जाए. कुछ ऐसी ही हालत साहिबगंज में किसानों की है, जो 2016 से फसल बीमा की राशि के लिए दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं.
साल 2016 में किसानों ने फसल का बीमा करवाया था. बाढ़ की वजह से उनकी फसल भी बर्बाद हो गई. जिसके बाद उन्होंने बीमा की राशि के लिए क्लेम किया. जांच कमिटी के अनुसार 450 किसानों का बीमा सही पाया गया, लेकिन कुछ किसानों को बीमा का लाभ मिला और कुछ किसानों को लाभ के लिए दफ्तर के चक्कर काटने पड़ रहे हैं. किसानों ने कहा कि बीमा कंपनी ने जिला प्रशासन को 6 करोड़ 90 लाख रुपए बीमा राशि मुहैया करायी थी, लेकिन किसानों को वह राशि नहीं दी गई.
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किसानों का कहना है कि 2016 में झारखंड सरकार ने जिला प्रशासन को करोड़ों रुपए किसानों की फसल की क्षति-पूर्ति के लिए आवंटित की थी. जिसमें 450 किसानों को फसल बीमा देने की बात थी, लेकिन आधे से अधिक किसानों की बीमे की राशि नहीं मिली. आज स्थिति ऐसी है कि यह किसान 3 साल से दौड़ते-दौड़ते इनकी आशा निराशा में बदल गई है. किसानों का कहना है कि जिला प्रशासन की लापरवाही साफ नजर आ रही है. फसल बीमा की राशि को इंश्योरंस कंपनी और जिला प्रशासन ने खा लिया है. उन्होंने कहा कि अगर प्रशासन का यही रवैया रहा तो, हम किसानों के पास फांसी लगाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचेगा.
वहीं, दूसरी ओर राजमहल विधायक अनंत ओझा ने कहा कि किसानों की समस्याओं को सुनने के बाद हमने सभी जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक की है, जिनमें साहिबगंज, राजमहल, तालझारी और उधवा ब्लॉक के अधिकारी शामिल हैं. सभी को इस संबंध में नोटिस भेज दी गई है. जल्द ही किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का फायदा मिलेगा. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बाढ़ के कारण भी कई क्षेत्र प्रभावित हैं. उन क्षेत्रों के लोगों को भी आपदा राहत कोष से मदद दी जाएगी.