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साहिबगंज बंदरगाह से रैयत नाराज, कहा- सरकार ने हमारे साथ की बेईमानी

साहिबगंज में बंदरगाह के विस्थापितों को राजमहल विधायक और भाजपा के प्रदेश महामंत्री अनंत ओझा का सहारा मिला है. विस्थापित परिवारों का आरोप है कि जिला प्रशासन ने वादे के मुताबिक जमीन का मुआवजा नहीं दिया और घटिया किस्म के मकान बनाकर जबरदस्ती पुनर्वास करवाया जा रहा है.

विस्थापित परिवार
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Published : Sep 13, 2019, 4:37 PM IST

साहिबगंजः बंदरगाह के उद्धघाटन के बाद साहिबगंज को एक खास पहचान मिली है. सरकार का दावा है कि आने वाले समय में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से यहां लोगों को रोजगार भी मिलेगा. हालांकि, जिन रैयत के जमीन पर 300 करोड़ की लागत से बंदरगाह बना है वह इससे खुश नहीं हैं.

देखें पूरी खबर


वादे के मुताबिक जमीन का नहीं मिला मुआवजा

विस्थापित परिवारों का कहना है कि जिला प्रशासन ने वादे के मुताबिक जमीन का मुआवजा नहीं दिया और उन्हें घटिया किस्म के मकान बनाकर जबरदस्ती पुनर्वास कराना चाहता है. लोगों का कहना है कि एक मकान में दो कमरे और एक छोटा सा किचन है. स्नान करने के लिये कोई व्यवस्था नहीं है. यही नहीं रैयतों को अब सरकार बोरियो प्रखंड और राजमहल अनुमंडल में बसना चाहता है.

यह भी पढ़ें- झारखंड विधानसभा के नए भवन में होगा विशेष सत्र, पेपरलेस विधानसभा को लेकर विधायकों में उत्साह

'जिला प्रशासन कर रहा है बेईमानी'

विस्थापित परिवारों का कहना है कि शुरुआती दौर में पोर्ट के लिए उनकी जमीन जब ली जा रही थी तब जिला प्रशासन ने वादा किया था कि सभी को मुआवजा मिलेगा और जिस प्रखंड में जमीन है उसी प्रखंड में जमीन पर घर बनवाकर बसाया जाएगा. विस्थापित रैयतों का कहना है कि जिला प्रशासन अब उनके साथ बेईमानी कर रही है. विस्थापितों का कहना है कि उनका जमीन जिला अनुमंडल के सदर प्रखंड में है वह भी रजिस्ट्री जमीन, लेकिन जिला प्रशासन ने उन्हें बोरियो प्रखंड के राजमहल अनुमंडल में मकान बनाकर पुनर्वास कराना चाहता है. इससे यह परेशानी होगी कि यदि अपने बच्चों को निवास प्रमाण पत्र बनवाना हो तो हो 30 किलोमीटर बोरियो प्रखंड जाना होगा और 30 किलोमीटर राजमहल अनुमंडल जाना होगा, इसे काफी परेशानी होगी. राशन कार्ड से लेकर जमीन के सभी कागजात में स्थान को लेकर काफी फेरबदल हो जाएगा.

'नहीं होगा अन्याय'

राजमहल विधायक और बीजेपी के प्रदेश महामंत्री अनंत ओझा ने रैयतों की समस्या को सुना और कहा कि उनके साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा सही ढंग से मुआवजा मिलेगा और विस्थापितों को अपने ही प्रखंड के अनुमंडल में पुनर्वास कराया जाएगा. सभी विस्थापितों को अलग से मकान बनाकर पुनर्वास कराया जाएगा. महामंत्री ने कहा कि पोर्ट का शिलान्यास और उद्घाटन उनके कार्यकाल में हुआ है और यह गौरव की बात है. उनके विधानसभा में रैयतों के साथ जिला प्रशासन थोड़ा सा भी बदसलूकी या मनमानी करती है तो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

साहिबगंजः बंदरगाह के उद्धघाटन के बाद साहिबगंज को एक खास पहचान मिली है. सरकार का दावा है कि आने वाले समय में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से यहां लोगों को रोजगार भी मिलेगा. हालांकि, जिन रैयत के जमीन पर 300 करोड़ की लागत से बंदरगाह बना है वह इससे खुश नहीं हैं.

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वादे के मुताबिक जमीन का नहीं मिला मुआवजा

विस्थापित परिवारों का कहना है कि जिला प्रशासन ने वादे के मुताबिक जमीन का मुआवजा नहीं दिया और उन्हें घटिया किस्म के मकान बनाकर जबरदस्ती पुनर्वास कराना चाहता है. लोगों का कहना है कि एक मकान में दो कमरे और एक छोटा सा किचन है. स्नान करने के लिये कोई व्यवस्था नहीं है. यही नहीं रैयतों को अब सरकार बोरियो प्रखंड और राजमहल अनुमंडल में बसना चाहता है.

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'जिला प्रशासन कर रहा है बेईमानी'

विस्थापित परिवारों का कहना है कि शुरुआती दौर में पोर्ट के लिए उनकी जमीन जब ली जा रही थी तब जिला प्रशासन ने वादा किया था कि सभी को मुआवजा मिलेगा और जिस प्रखंड में जमीन है उसी प्रखंड में जमीन पर घर बनवाकर बसाया जाएगा. विस्थापित रैयतों का कहना है कि जिला प्रशासन अब उनके साथ बेईमानी कर रही है. विस्थापितों का कहना है कि उनका जमीन जिला अनुमंडल के सदर प्रखंड में है वह भी रजिस्ट्री जमीन, लेकिन जिला प्रशासन ने उन्हें बोरियो प्रखंड के राजमहल अनुमंडल में मकान बनाकर पुनर्वास कराना चाहता है. इससे यह परेशानी होगी कि यदि अपने बच्चों को निवास प्रमाण पत्र बनवाना हो तो हो 30 किलोमीटर बोरियो प्रखंड जाना होगा और 30 किलोमीटर राजमहल अनुमंडल जाना होगा, इसे काफी परेशानी होगी. राशन कार्ड से लेकर जमीन के सभी कागजात में स्थान को लेकर काफी फेरबदल हो जाएगा.

'नहीं होगा अन्याय'

राजमहल विधायक और बीजेपी के प्रदेश महामंत्री अनंत ओझा ने रैयतों की समस्या को सुना और कहा कि उनके साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा सही ढंग से मुआवजा मिलेगा और विस्थापितों को अपने ही प्रखंड के अनुमंडल में पुनर्वास कराया जाएगा. सभी विस्थापितों को अलग से मकान बनाकर पुनर्वास कराया जाएगा. महामंत्री ने कहा कि पोर्ट का शिलान्यास और उद्घाटन उनके कार्यकाल में हुआ है और यह गौरव की बात है. उनके विधानसभा में रैयतों के साथ जिला प्रशासन थोड़ा सा भी बदसलूकी या मनमानी करती है तो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

Intro:बंदरगाह विस्थापितों को प्रदेश महामंत्री का मिला सहारा।कहा विस्थापितों के साथ अन्याय बर्दास्त नही होगी। मुवावजा के साथ अपने प्रखंड में करेंगे निवास।



Body:बंदरगाह विस्थापितों को प्रदेश महामंत्री का मिला सहारा।कहा विस्थापितों के साथ अन्याय बर्दास्त नही होगी। मुवावजा के साथ अपने प्रखंड में करेंगे निवास।
स्टोरी-साहिबगंज- पोर्ट का उद्धघाटन तो हो गया। रष्टीय और अंतराष्टीय स्तर पर साहिबगंज को पहचान तो मिल गई। आने वाले समय मे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लोगों को रोजगार भी मिलेगा। लेकिन जिन रैयत के जमीन पर 300 करोड़ की लागत से जो बंदरगाह बना है आज इन रैयतों के साथ जिला प्रशासन मनमानी करने पर तूल गई है।
विस्थापित परिवारों को जिला प्रशासन द्वारा वादा के मुताबिक जमीन का मुआवजा नहीं मिला और इन विस्थापितों को घटिया किस्म के मकान बनाकर जबरदस्ती पुनर्वास कराना चाह रही है। जो मानक के अनुरूप नही बना है। इन विस्थापितों को 25 घर बनाकर जिला प्रशासन पुनर्वास करना चाह रही है। एक मकान में दो कमरा और एक छोटा सा किचन है। स्नान करने के लिये कोई वयवस्था नही है। रैयत की जमीन रजिस्ट्री था वह भी सदर प्रखंड के आंचल में था अब इसे जिला प्रशासन बोरियो प्रखंड और राजमहल अनुमंडल में बसना चाह रही है।
विस्थापित परिवार का कहना है कि शुरुआती दौर में पोर्ट के लिए हमारे जमीन जब ली जा रही थी तब उस समय जिला प्रशासन ने वादा किया था की मुआवजा सभी को मिलेगा और जिस प्रखंड में जमीन है उसी प्रखंड में जमीन पर घर बनवाकर बसाया जाएगा।
विस्थापित रैयतों का कहना है कि जिला प्रशासन अब हमारे साथ बेईमानी कर रही है हम 52 विस्थापित परिवार हैं कहा कि जैसे मेरे पिताजी को दो लड़के हैं और दोनों की शादी हो चुकी है तो ऐसी स्थिति में जिला प्रशासन द्वारा बनाए गए एक मकान में बने दो कमरे मैं कैसे रह पाएंगे इस तरह 25 मकान बनाकर 25 विस्थापित परिवारों को जिला प्रशासन दबाव डाल रही हैं जबकि 25 सिर्फ मुखिया की बात की जा रही है एक घर के एक एक मुखिया से पूरा परिवार मिलाकर 52 परिवार है।
विस्थापितों का कहना है कि हमारा जमीन जिला अनुमंडल के सदर प्रखंड में है वह भी रजिस्ट्री जमीन। लेकिन जिला प्रशासन द्वारा हमें बोरियो प्रखंड के राजमहल अनुमंडल में मकान बनाकर पुनर्वास कराना चाह रही है इससे यह परेशानी होगी कि यदि अपने बच्चों को निवास प्रमाण पत्र बनवाना हो तो हो तो तो हमें 30 किलोमीटर बोरियो प्रखंड जाना होगा और 30 किलोमीटर राजमहल अनुमंडल जाना होगा इसे काफी परेशानी होगी। राशन कार्ड से लेकर हमारे जमीन के सभी कागजात में स्थान को लेकर काफी फेरबदल हो जाएगा। जिला प्रशासन के इस हठधर्मिता से हम विस्थापित परिवारों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है लेकिन जिला प्रशासन बार-बार फ़ोर्स के साथ हमें जमीन खाली कराने की बात कर रही हैं।
बाइट-1- सुखेदव यादव, दिवाकर यादव,-विस्थपित परिवार
राजमहल विधायक सह बीजेपी के प्रदेश महामंत्री अनंत ओझा ने रैयतों की समस्या को सुना और कहा कि इनके साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं होगी। कहा जिला प्रशासन द्वारा सही ढंग से मुआवजा मिलेगा इनको अपने ही प्रखंड के अनुमंडल में पुनर्वास कराया जाएगा और सभी विस्थापितों को अलग से मकान बनाकर पुनर्वास कराया जाएगा। जिला प्रशासन द्वारा इनके साथ यदि अन्याय करती है यह बर्दाश्त हम नहीं करेंगे।
महामंत्री ने कहा कि पोर्ट का शिलान्यास और उदघाटन मेरे कार्यकाल में हुआ है और यह गौरव की बात है और मेरे विधानसभा में इन रैयतों साथ जिला प्रशासन थोड़ा सा भी बदसलूकी या मनमानी करती है तो हम बर्दास्त नहीं करेंगे।
बाइट-- अनंत ओझा, राजमहल विधायक सह बीजेपी के प्रदेश महामंत्री




Conclusion:इन विस्थापितों को अपनी जमीन जाने का दुख तो जरूर है साथी अपने आशियाना का उजड़ने का अभी सबसे बड़ा दुख है जिला प्रशासन द्वारा विस्थापितों को सही सम्मान के साथ मुआवजा और मकान बनाकर पुनर्वास करा दिया जाता है को यह विस्थापित आज सड़क पर नहीं उतरता।
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