साहिबगंजः बंदरगाह के उद्धघाटन के बाद साहिबगंज को एक खास पहचान मिली है. सरकार का दावा है कि आने वाले समय में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से यहां लोगों को रोजगार भी मिलेगा. हालांकि, जिन रैयत के जमीन पर 300 करोड़ की लागत से बंदरगाह बना है वह इससे खुश नहीं हैं.
वादे के मुताबिक जमीन का नहीं मिला मुआवजा
विस्थापित परिवारों का कहना है कि जिला प्रशासन ने वादे के मुताबिक जमीन का मुआवजा नहीं दिया और उन्हें घटिया किस्म के मकान बनाकर जबरदस्ती पुनर्वास कराना चाहता है. लोगों का कहना है कि एक मकान में दो कमरे और एक छोटा सा किचन है. स्नान करने के लिये कोई व्यवस्था नहीं है. यही नहीं रैयतों को अब सरकार बोरियो प्रखंड और राजमहल अनुमंडल में बसना चाहता है.
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'जिला प्रशासन कर रहा है बेईमानी'
विस्थापित परिवारों का कहना है कि शुरुआती दौर में पोर्ट के लिए उनकी जमीन जब ली जा रही थी तब जिला प्रशासन ने वादा किया था कि सभी को मुआवजा मिलेगा और जिस प्रखंड में जमीन है उसी प्रखंड में जमीन पर घर बनवाकर बसाया जाएगा. विस्थापित रैयतों का कहना है कि जिला प्रशासन अब उनके साथ बेईमानी कर रही है. विस्थापितों का कहना है कि उनका जमीन जिला अनुमंडल के सदर प्रखंड में है वह भी रजिस्ट्री जमीन, लेकिन जिला प्रशासन ने उन्हें बोरियो प्रखंड के राजमहल अनुमंडल में मकान बनाकर पुनर्वास कराना चाहता है. इससे यह परेशानी होगी कि यदि अपने बच्चों को निवास प्रमाण पत्र बनवाना हो तो हो 30 किलोमीटर बोरियो प्रखंड जाना होगा और 30 किलोमीटर राजमहल अनुमंडल जाना होगा, इसे काफी परेशानी होगी. राशन कार्ड से लेकर जमीन के सभी कागजात में स्थान को लेकर काफी फेरबदल हो जाएगा.
'नहीं होगा अन्याय'
राजमहल विधायक और बीजेपी के प्रदेश महामंत्री अनंत ओझा ने रैयतों की समस्या को सुना और कहा कि उनके साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा सही ढंग से मुआवजा मिलेगा और विस्थापितों को अपने ही प्रखंड के अनुमंडल में पुनर्वास कराया जाएगा. सभी विस्थापितों को अलग से मकान बनाकर पुनर्वास कराया जाएगा. महामंत्री ने कहा कि पोर्ट का शिलान्यास और उद्घाटन उनके कार्यकाल में हुआ है और यह गौरव की बात है. उनके विधानसभा में रैयतों के साथ जिला प्रशासन थोड़ा सा भी बदसलूकी या मनमानी करती है तो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.