साहिबगंज: राजमहल और मानिकचक बंगाल के बीच फेरी सेवा घाट पिछले डेढ़ महीने से बंद है. इसका खामियाजा दोनों राज्य के यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है. हर रोज जान जोखिम में डालकर यात्री गंगा पार कर रहे हैं. कभी भी नाव पलटने से बड़ी घटना घट सकती है, जिला प्रशासन इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.
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पहले हो चुका है बड़ा हादसा
जहाज डगमगाने से 23 नवंबर को मानिकचक गंगा घाट पर कई ट्रक गंगा में समा गया था. जिसकी वजह से साहिबगंज और बंगाल के कई ट्रक ड्राइवर और खलासी की मौत हो गई थी. जानकारी के अनुसार रात में मालवाहक जहाज राजमहल घाट से ओवरलोड ट्रक लेकर मानिकचक घाट के लिए रवाना हुआ था. रात अधिक होने की वजह से मालवाहक जहाज डगमगाने लगा और कई ट्रक गंगा में समा गया.
लोग जान जोखिम में डालने को मजबूर
घटना को लेकर हाई कोर्ट ने संज्ञान लिया और फिर सेवा घाट को बंद कर दिया गया. मामला हाई कोर्ट में लंबित है जिसकी वजह से फेरी सेवा भी बाधित है. सेवा बंद रहने से दोनों राज्य के यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और मजबूरी में जान जोखिम में डालकर लोग नाव से गंगा पार करते हैं.
हाई कोर्ट के फैसले तक करना होगी इंतजार
साहिबगंज अपर समाहर्ता ने कहा कि राजमहल और मानिकचक एलसीटी फेरी सेवा संचालित करने का पूरे अधिकार पश्चिम बंगाल के मालदा जिला प्रशासन को है. घाट के बंदोबस्ती मालदा जिला प्रशासन की ओर से ही की जाती है. जब तक मालदा जिला प्रशासन और हाई कोर्ट कोई फैसला नहीं सुना देती तब तक फेरी सेवा चालू नहीं हो पाएगी. यात्रियों को हो रहे परेशानी को लेकर दूसरा विकल्प चुना जाएगा.