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साहिबगंज: सिंचाई के लिए नहीं है बोरिंग की व्यवस्था, किसानों के पैदावार पर पड़ता है असर

साहिबगंज के दियरा क्षेत्र में सिंचाई को लेकर प्रशासनिक स्तर पर मुकम्मल व्यवस्था नहीं है. किसान अपने फसल का पटवन तालाब, गंगा नदी से करते हैं लेकिन लगातार पटवन से पानी सूख जाता है और इसका सीधा असर पैदावर में पड़ता है.

No watering system in sahibganj
किसान
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Published : Jan 9, 2020, 3:12 PM IST

साहिबगंज: जिले के दियरा क्षेत्र में पिछले एक दशक से उत्तरवाहिनी गंगा के उत्तर और दक्षिण दिशा में हजारों एकड़ जमीन पर सिंचाई की मुकम्मल व्यवस्था नहीं है. किसान अपनी फसल के पटवन के लिए गंगा नदी, नहर और तालाब पर निर्भर होते हैं. तालाब का पानी सूखने के कारण फसल को पानी नहीं मिल पाता है. जिसका सीधा असर फसल पर पड़ता है. एक तरफ केंद्र और राज्य सरकार अपने अभिभाषण में किसानों की समस्या को लेकर चर्चा करते रहती है कि किसानों को सारी सुविधा दी जा रही है. वहीं, दूसरी ओर जिले की स्थति कुछ ओर ही बंया कर रही है.

देखें पूरी खबर

बता दें कि फसल के पैदावार में तीन से चार बार तक का पटवन जरूरी होता है. रबी फसल जैसे गेहूं ,मक्का ,सरसों में बीज बोने से लेकर फसल पकने तक पर्याप्त पानी की जरुरत होती है जो कि तालाब और नहर के पानी सूखने के कारण सीधा असर फसल पर पड़ता है. जिससे पौधा का ग्रोथ रुक जाता है और हर साल पैदावार पर इसका असर पड़ता है.

वहीं, किसानों का कहना है कि बोरिंग की व्यवस्था नहीं रहने पर पटवन में 18 दिनों की जगह पर एक महीने से ज्यादा दिन का समय लग जाता है. जिससे फसल बरबाद हो जाता है और भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है. किसान मोर्चा के जिला अध्यक्ष लक्ष्मण यादव ने कहा कि दियारा क्षेत्र में पिछले एक दशक से सरकार और प्रशासन के तरफ से कोई मदद नहीं मिल पा रहा है.

ये भी देखें- झारखंड विधानसभा में JNU और जामिया मामले में निंदा प्रस्ताव पास, CM ने कहा- अगले 5 साल में खींचेंगे लकीर

वहीं, कृषि पदाधिकारी उमेश तिर्की ने कहा कि एक सिंचाई योजना बनाई गई है, इस योजना के तहत कंपनी किसान के खेतों का निरीक्षण करेगी और बहुत जल्द किसान को अनुदान पर बोरिंग की सुविधा मुहैया कराएगी.

साहिबगंज: जिले के दियरा क्षेत्र में पिछले एक दशक से उत्तरवाहिनी गंगा के उत्तर और दक्षिण दिशा में हजारों एकड़ जमीन पर सिंचाई की मुकम्मल व्यवस्था नहीं है. किसान अपनी फसल के पटवन के लिए गंगा नदी, नहर और तालाब पर निर्भर होते हैं. तालाब का पानी सूखने के कारण फसल को पानी नहीं मिल पाता है. जिसका सीधा असर फसल पर पड़ता है. एक तरफ केंद्र और राज्य सरकार अपने अभिभाषण में किसानों की समस्या को लेकर चर्चा करते रहती है कि किसानों को सारी सुविधा दी जा रही है. वहीं, दूसरी ओर जिले की स्थति कुछ ओर ही बंया कर रही है.

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बता दें कि फसल के पैदावार में तीन से चार बार तक का पटवन जरूरी होता है. रबी फसल जैसे गेहूं ,मक्का ,सरसों में बीज बोने से लेकर फसल पकने तक पर्याप्त पानी की जरुरत होती है जो कि तालाब और नहर के पानी सूखने के कारण सीधा असर फसल पर पड़ता है. जिससे पौधा का ग्रोथ रुक जाता है और हर साल पैदावार पर इसका असर पड़ता है.

वहीं, किसानों का कहना है कि बोरिंग की व्यवस्था नहीं रहने पर पटवन में 18 दिनों की जगह पर एक महीने से ज्यादा दिन का समय लग जाता है. जिससे फसल बरबाद हो जाता है और भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है. किसान मोर्चा के जिला अध्यक्ष लक्ष्मण यादव ने कहा कि दियारा क्षेत्र में पिछले एक दशक से सरकार और प्रशासन के तरफ से कोई मदद नहीं मिल पा रहा है.

ये भी देखें- झारखंड विधानसभा में JNU और जामिया मामले में निंदा प्रस्ताव पास, CM ने कहा- अगले 5 साल में खींचेंगे लकीर

वहीं, कृषि पदाधिकारी उमेश तिर्की ने कहा कि एक सिंचाई योजना बनाई गई है, इस योजना के तहत कंपनी किसान के खेतों का निरीक्षण करेगी और बहुत जल्द किसान को अनुदान पर बोरिंग की सुविधा मुहैया कराएगी.

Intro:दियरा क्षेत्र में सिंचाई का नही है प्रशासनिक स्तर पर मुकम्मल ब्यवस्था।किसान तालाब,गंगा नदी से करते है अपनो फसल का पटवन,पानी नही मिलने से प्रतिवर्ष पैदावर में पड़ता है असर।अन्नदाता अपनी किस्मत पर रोना रो रहे है।
---------केंद्र या राज्य सरकार अपने पर अभिभाषण में किसानों की समस्या को लेकर चर्चा करते रहती है कि किसान का हम हितेषी है और किसान का लोन माफ कर दिए। किसान को सारी सुविधा दी जा रही है।



Body:दियरा क्षेत्र में सिंचाई का नही है प्रशासनिक स्तर पर मुकम्मल ब्यवस्था।किसान तालाब,गंगा नदी से करते है अपनो फसल का पटवन,पानी नही मिलने से प्रतिवर्ष पैदावर में पड़ता है असर।अन्नदाता अपनी किस्मत पर रोना रो रहे है।
स्पेशल स्टोरी-- साहिबगंज-- सिंचाई शब्द से मालूम हो जाता है कि किसान अपनी लहराते खेतों में पर्याप्त पानी की सुविधा अनुसार देते रहते हैं ।तभी तो किसान के चेहरे पर मुस्कान आती है और हम सब पूरे गर्व से कहते हैं कि यह अन्नदाता है ।केंद्र या राज्य सरकार अपने पर अभिभाषण में किसानों की समस्या को लेकर चर्चा करते रहती है कि किसान का हम हितेषी है और किसान का लोन माफ कर दिए। किसान को सारी सुविधा दी जा रही है।
साहिबगंज का दियारा क्षेत्र की बात करें तो यह दुर्भाग्य है कि पिछले एक दशक से उत्तरवाहिनी गंगा के उत्तर और दक्षिण दिशा में हजारों एकड़ जमीन पर सिंचाई का मुकम्मल व्यवस्था नहीं है किसान अपनी फसल को पटवन के लिये गंगा नदी ,नहर या तालाब पर निर्भर होते हैं आज की स्थिति यह है कि रबी फसल जिसमे गेहूं ,मक्का ,सरसों में बीज बोने से लेकर फसल पकने तक पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता है ।खासकर गेंहू और मक्का फसल में चार पानी की जरूरत पड़ती है नहर , तालाब का पानी सूखने की वजह से अंतिम तीसरा और चौथा पानी फसल को नहीं मिल पाता है इसका असर फसल पर प्रतिकूल पड़ता है पौधा उसका ग्रोथ रुक जाता है और प्रतिवर्ष पैदावार पर इसका असर पड़ता है।
बाइट-- उदय मंडल,किसान
बाइट- लक्ष्मण यादव, जिला अध्यक्ष, किसान मोर्चा
जिला कृषि अधिकारी को जेबीटी भारत ने किसान का दर्द और समस्या से अवगत कराया तो कहा कि बहुत जल्द अनुदान पर बोरिंग की व्यवस्था की जाएगी किसान के खेत तो का निरीक्षण किया जाएगा और एक सर्वे कर किसान को अनुदान पर बोरिंग की सुविधा मुहैया कराएगी जिसका नाबार्ड देखने करेगा।
बाइट-- उमेश तिर्की कृषि पदाधिकारी,साहिबगंज
दियारा क्षेत्र में हजारों एकड़ जमीन पर सरकारी स्तर पर बोरिंग का मुकम्मल व्यवस्था नहीं होने से किसान अगल बगल तालाब नाहर और गंगा नदी पर निर्भर रहकर अपने खेतों में पटवन कर पाते हैं लेकिन लगातार पटवन होने से पानी सूख जाता है या पानी की कमी हो जाती है वैसी स्थिति में फसल को और अधिक पानी नहीं मिलने से पौधा का ग्रोथ रुक जाता है और पैदावार पर काफी असर पड़ता है ।अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन हो या जनप्रतिनिधि इन किसानों के हित में कितना मददगार साबित हो पाते है जिससे इनके चेहरे पर खुशियां लौट सके।
शिव शंकर कुमार,ईटीवी भारत,साहिबगंज


Conclusion:दियारा क्षेत्र में हजारों एकड़ जमीन पर सरकारी स्तर पर बोरिंग का मुकम्मल व्यवस्था नहीं होने से किसान अगल बगल तालाब नाहर और गंगा नदी पर निर्भर रहकर अपने खेतों में पटवन कर पाते हैं लेकिन लगातार पटवन होने से पानी सूख जाता है या पानी की कमी हो जाती है वैसी स्थिति में फसल को और अधिक पानी नहीं मिलने से पौधा का ग्रोथ रुक जाता है और पैदावार पर काफी असर पड़ता है ।अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन हो या जनप्रतिनिधि इन किसानों के हित में कितना मददगार साबित हो पाते है जिससे इनके चेहरे पर खुशियां लौट सके।
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