साहिबगंज: जिले के दियरा क्षेत्र में पिछले एक दशक से उत्तरवाहिनी गंगा के उत्तर और दक्षिण दिशा में हजारों एकड़ जमीन पर सिंचाई की मुकम्मल व्यवस्था नहीं है. किसान अपनी फसल के पटवन के लिए गंगा नदी, नहर और तालाब पर निर्भर होते हैं. तालाब का पानी सूखने के कारण फसल को पानी नहीं मिल पाता है. जिसका सीधा असर फसल पर पड़ता है. एक तरफ केंद्र और राज्य सरकार अपने अभिभाषण में किसानों की समस्या को लेकर चर्चा करते रहती है कि किसानों को सारी सुविधा दी जा रही है. वहीं, दूसरी ओर जिले की स्थति कुछ ओर ही बंया कर रही है.
बता दें कि फसल के पैदावार में तीन से चार बार तक का पटवन जरूरी होता है. रबी फसल जैसे गेहूं ,मक्का ,सरसों में बीज बोने से लेकर फसल पकने तक पर्याप्त पानी की जरुरत होती है जो कि तालाब और नहर के पानी सूखने के कारण सीधा असर फसल पर पड़ता है. जिससे पौधा का ग्रोथ रुक जाता है और हर साल पैदावार पर इसका असर पड़ता है.
वहीं, किसानों का कहना है कि बोरिंग की व्यवस्था नहीं रहने पर पटवन में 18 दिनों की जगह पर एक महीने से ज्यादा दिन का समय लग जाता है. जिससे फसल बरबाद हो जाता है और भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है. किसान मोर्चा के जिला अध्यक्ष लक्ष्मण यादव ने कहा कि दियारा क्षेत्र में पिछले एक दशक से सरकार और प्रशासन के तरफ से कोई मदद नहीं मिल पा रहा है.
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वहीं, कृषि पदाधिकारी उमेश तिर्की ने कहा कि एक सिंचाई योजना बनाई गई है, इस योजना के तहत कंपनी किसान के खेतों का निरीक्षण करेगी और बहुत जल्द किसान को अनुदान पर बोरिंग की सुविधा मुहैया कराएगी.