रांची: देश के मेट्रो शहरों में मानव तस्करी के चंगुल के फंसे बच्चों को छुड़ाने की मुहिम रंग दिखाने लगी है. पिछले दिनों गुमला की पांच बच्चियों को दिल्ली से मुक्त कराया गया था. इस कड़ी में आज एक और सफलता जुड़ गई है. इस बार साहिबगंज की पांच बच्चियों और गोड्डा के एक बालक को दिल्ली से मुक्त कराया गया है. इन बच्चों के अलावा दुमका की एक महिला को भी स्कॉट किया गया है. यह महिला 4 माह पहले दुमका से अपने ससुराल जाने के लिए बाहर निकली थी और भटक कर दिल्ली पहुंच गई थी.
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एकीकृत पुनर्वास सह संसाधन केंद्र की नोडल पदाधिकारी नचिकेता ने बताया कि रेस्क्यू कराई गई एक बच्ची को उसके अपने जीजा ने दिल्ली में चार बार लाकर बेचा था. एक और बच्ची को उसके घर वालों ने ही मानव तस्कर को सौंप दिया था. इस बच्ची को तरह-तरह से मानसिक और शारीरिक यातना दी गई है. वहीं मुक्त कराए गए बालक को भी उसके चाचा ने पंजाब में ले जाकर बेच दिया था.
बच्चे फिर से मानव तस्करी के दलदल में न फंसे, इससे बचाने के लिए राज्य सरकार विशेष कार्य कर रही है. समाज कल्याण, महिला बाल विकास विभाग के निर्देशा पर झारखंड लाए जा रहे बच्चों को उनके जिले में संचालित कल्याणकारी योजनाओं, स्पॉन्सरशिप, फॉस्टरकेयर, कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय से जोड़ते हुए उनकी ग्राम बाल संरक्षण समिति के माध्यम से निगरानी की जाएगी. इन बच्चों को मुक्त कराने वाली टीम में एकीकृत पुनर्वास सह संसाधन केंद्र के परामर्शी निर्मला खालखो, राहुल कुमार और प्रिंस ने बहुत अहम भूमिका निभाई है.
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आपको बता दें कि झारखंड में मानव तस्करी आम बात है. गरीबी का फायदा उठाकर गांव के ही लोग या परिवार वाले दो पैसे की लालच में बच्चों को दलालों के हाथ सौंप देते हैं. फिर दलाल उन बच्चों को बड़े शहरों में दाई-नौकर के काम पर लगा देते हैं. जहां उनका शोषण होता है. इसका सबसे बड़ा खुलासा पन्नालाल की गिरफ्तारी के बाद हुआ था. खूंटा का यह शख्स मानव तस्करी का रैकेट चलाया करता था. उसने राज्य के करीब 5 हजार मासूमों की तस्करी की थी. फिलहाल वह जेल में है. फिर भी यह सिलसिला जारी है क्यों गांव-गांव में मानव तस्कर पनप गये हैं.