साहिबगंज: राजमहल अनुमंडल में एक कटघर गांव है. इस गांव में एक बहुत पुराना तालाब है, जिसमें दैनिक जीवन में उपयोग किये जाने वाले खाद्य पदार्थ पत्थर के रूप में देखने को मिलता है. इसमें चावल, मटर, धान, जौ, बजरा का बीज, कलाई, मकई अन्य चीज देखने को मिलते हैं. इसे ग्रीन ग्रेन फॉसिल्स के रूप में जाना जाता है.
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तालाब को लेकर क्या है मान्यता
कटघर गांव में एक शिव मंदिर है. इस मंदिर के क्षेत्रफल में ही यह कटघर तालाब आता है. मंदिर के पुजारी और स्थानीय लोगों का कहना है कि पुरातन काल में एक जमींदार हुआ करता था. एक भिखारी किसी दिन भिक्षा मांगने जमींदार के पास आया लेकिन जमींदार ने भिक्षा देने से इनकार कर दिया. इस तरह भिखारी नाराज होकर जमींदार को श्राप दे दिया कि तुम्हारे घर में रखा हुआ सारा अनाज पत्थर में बदल जाएगा और देखते ही देखते जमींदार का सारा खाद्य पदार्थ और अनाज पत्थर में बदल गया.
पत्थरों का होगा संरक्षण
उपायुक्त रामनिवास यादव ने कहा कि निश्चित रूप से यह कटघर तालाब में पाया जाने वाला पत्थर अजूबा है जिसे हम ग्रीन ग्रेन फॉसिल्स के रूप में जानते हैं. जिला प्रशासन के पास पर्याप्त फंड है. इसका संरक्षण किया जाएगा और संरक्षण करने की जिम्मेदारी मंदिर के पुजारी को सौंपी जाएगी. एक म्यूजियम जैसा बनाया जाएगा जिसमें ओरिजिनल खाने पीने की वस्तु और दूसरी तरफ पत्थर के रूप में खाद्य पदार्थ को रखा जाएगा ताकि पर्यटक तुलना कर भी अच्छी तरह समझ पाएंगे. इस स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए तो रोजगार की अपार संभावना बन सकती है.
ऐतिहासिक धरोहर को देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं. इस पत्थर के पीछे कई रहस्य हैं. जो भी पर्यटक इसे देखने के लिए आते हैं, वे गांव के बच्चे को चंद पैसे का प्रलोभन देकर इस ऐतिहासिक धरोहर को अधिक से अधिक मात्रा में लेकर चले जाते हैं. आज स्थिति यह हो गई है कि अब तालाब में बड़ी मुश्किल से अनाज के रूप में पाया जाने वाला फॉसिल्स मिलता है. इसे संरक्षण करने की जरूरत है.