साहिबगंजः झारखंड में साहिबगंज जिला से होते हुए गंगा पास कर बंगाल की खाड़ी में गिरती है. केंद्र सरकार की ओर से नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत करोड़ों रुपये की लागत से गंगा की साफ-सफाई और गंगा घाट का निर्माण कराया जा रहा है. आज करोड़ों की लागत से गंगा नमामि गंगे प्रोजेक्ट का काम भी पूरा होने पर है. कई कार्यक्रम नमामि गंगे के तहत चलाया जा रहा है. लोगों को जागरूक किया जा रहा है. लेकिन जिला प्रशासन की ओर लापरवाही की वजह से आज साहिबगंज की गंगा के पानी का कलर चेंज हो चुका है.
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जिला में सरस्वती की प्रतिमा का विसर्जन को लेकर जिला प्रशासन या नगर परिषद की ओर से गंगा घाटों पर कहीं भी इंतजाम नहीं कराया गया था. हर साल बेरिकेडिंग की व्यवस्था की जाती थी. जेसीबी से गंगा से प्रतिमा को निकाल बाहर रखा जाता था. लेकिन इस बार प्रशासन की लापरवाही की वजह से प्रतिमा के विसर्जन के बाद का नजारा देखकर हर कोई हैरत में था. बताते चलें कि साहिबगंज की गंगा का जल का रंग बिल्कुल बदल चुका है. गंगा का जल हरे रंग में तब्दील हो गया. वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि नदी में स्नान करने पर शरीर खुजलाता है.
मूर्ति से निकलने वाले कैमिकल से पानी का रंग बदला
वहीं प्रतिमा का विसर्जन गंगा में किया जा रहा है. इसे रोकने के लिए कृत्रिम घाट का निर्माण नहीं कराया गया है और न ही बेरिकेडिंग की व्यवस्था की गई है. नगर परिषद की ओर से कोई सफाईकर्मी बहाल नहीं है कि प्रतिमा को गंगा में डूबोते ही बाहर निकाल लिया जाय. वहीं मूर्ति से निकलने वाला कैमिकल से जल दूषित होकर रंग बदल चुका है. यानी, कुल मिलाकर कहें, तो जिला प्रशासन और नगर परिषद की लापरवाही की वजह से गंगा की यह स्थित है.
गंगा में स्नान करने से कतरा रहे हैं श्रद्धालु
स्थानीय बुजुर्ग ने का कहना है कि जिला प्रशासन को पहले से इंतजाम करना चाहिए था. साथ ही कहा कि आज इंतजाम हुआ रहता, तो गंगा के जल का रंग नहीं बदलता. स्नान करने पर शरीर खुजला रहा है. इसकी एकमात्र वजह है प्रतिमा विसर्जन के बाद निकला हुआ केमिकल और अपशिष्ट पदार्थ गंगा में घुलनशील हो चुके हैं. वहीं पानी के रंग बदलने की वजह से श्रद्धालु गंगा में स्नान करने से कतरा रहे हैं. जिला प्रशासन की इस दिशा में कारगर कदम उठाने की जरूरत है.