साहिबगंजः झारखंड का एकमात्र जिला साहेबगंज से उत्तरवाहिनी गंगा नदी गुजरती है. गंगा शब्द से मन पवित्र पावन हो जाता है, गंगा के दर्शन मात्र से ही लोगों को तीर्थ की अनुभूति होती है. इस नदी में दूर-दराज से श्रद्धालु गंगा स्नान करने आते रहते हैं, लेकिन शहर से निकले वाली नालियों का पानी नदी में जाने से नदी पूरी तरह दूषित हो रहा है.
आज के दौर में लोग गंगा की महिमा को भूल चुके हैं. शहर का गंदा पानी नाली से होकर गंगा नदी में गिर रहा है. लोगों का कहना है कि शहर का गंदा पानी गंगा में गिरने से इसका रंग बदल चुका है स्नान करने से शरीर में खुजली होने लगती है. गंगा को स्वच्छ रखने के लिए प्लांट भी बनाया गया है, लेकिन वो काम नहीं कर रहा.
नमामि गंगे के तहत वाटर ट्रीटमेंट प्लांट भी फेल साबित हो रहा है. इसमें नियम यह है कि शहर का गंदा पानी को ट्रीट कर फिर गंगा में प्रवाहित करना है, लेकिन आज तक यह सफल नहीं हो पाया.
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इधर, नगर परिषद के कार्यपालक अभियंता भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि गंगा का पानी गंदा है. जिसके कारण जिलेवासियों को साफ पानी नहीं मिल रहा है. वहीं नमामि गंगे योजना के अंतर्गत गंगा की सफाई की जा रही है और खरपतवार भी निकाला जा रहा है
बहरहाल जो भी हो पिछले 5 साल से केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नमामि गंगे के तहत करोड़ो रुपये गंगा के संरक्षण में खर्च किया जा रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बयां कर रही है. अब देखना यह है कि कब तक गंगा को अविरल बनाने में सरकार या जिला प्रशासन सार्थक कदम उठा पाती है.