साहिबगंजः जून महीने के तीसरे रविवार को फादर्स डे मनाया जाता है. इस दिन संतान अपने पिता को प्यार और उपहार समर्पित करते है. अपने पिता के बच्चों के प्रति बलिदान, त्याग, कष्ट करके पालन पोषण, अच्छी शिक्षा देना और एक समाज मे काबिल इंसान बनाना एक लंबा समय के साथ संसार देता है. वहीं, कुछ ऐसे भी संतान होते है जो अपने पिता की सेवा और त्याग को भूलाकर सिवाए कष्ट के कुछ नहीं देते.
फादर्स डे पर जहां दुनिया अपने पिता को बधाई दे रही है तो वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग वृद्धा आश्रम में अपनी जिन्दगी बिताने को मजबूर हैं. ऐसे ही व्यक्ति हैं दामोदर चौधरी इनकी बेबसी और लाचारी इनकी आंखों में दिखाई देती है. इन्होंने बताया कि उनकी दो बेटी थी दोनों की शादी हो गयी है. बेटों ने सारी संपत्ति बेचकर घर से भगा दिया. अब कोई ना कभी देखने और ना हालचाल पूछने नहीं आता है. फोन करने पर भी बात नहीं करते हैं.
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दामोदर का कहना है कि भले ही उनके बेटों ने उन्हें भगा दिया हो लेकिन फिर भी वह अपने बच्चों के लिए दुआ ही देंगे. उनके अलावा वृद्धा आश्रम में रहने वाले अन्य बुजुर्गों का भी कहना है कि वह अपने बच्चों की हमेशा सलामती चाहते हैं.
वहीं, वृद्धा आश्रम के कोर्डिनेटर आफताब का कहना है वृद्धा आश्रम में सारी सुविधा हैं. भले ही इनके बच्चों ने इन्हें अपने जीवन से निकाल दिया लेकिन यहां इन्हें भरपूर प्यार दिया जाता है और इनका ख्याल रखा जाता है. इन्हें समय पर मीनू के अनुसार भोजन दिया जाता है. तबियत खराब होने पर डॉक्टर को बुलाकर चेकअप कराया जाता है.