ETV Bharat / state

फादर्स डे स्पेशलः अपने ही बच्चों ने सताया इन्हें, अब गैर दे रहे अपनों का प्यार

author img

By

Published : Jun 16, 2019, 9:36 PM IST

फादर्स डे पर हर कोई अपने पिता को बधाई दे रहा है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बधाइयों का तांता लगा हुआ है. सभी अलग-अलग तरीके से अपने पिता को बधाई दे रहा है. लेकिन इस वृद्धा आश्रम में माता-पिता अपने ही बच्चों के सताए हुए हैं. इन्हें अपनों ने ठुकराया है और गैरों ने अपनाया है.

वृद्धा आश्रम में रह रहें बुजुर्ग

साहिबगंजः जून महीने के तीसरे रविवार को फादर्स डे मनाया जाता है. इस दिन संतान अपने पिता को प्यार और उपहार समर्पित करते है. अपने पिता के बच्चों के प्रति बलिदान, त्याग, कष्ट करके पालन पोषण, अच्छी शिक्षा देना और एक समाज मे काबिल इंसान बनाना एक लंबा समय के साथ संसार देता है. वहीं, कुछ ऐसे भी संतान होते है जो अपने पिता की सेवा और त्याग को भूलाकर सिवाए कष्ट के कुछ नहीं देते.

देखें स्पेशल स्टोरी

फादर्स डे पर जहां दुनिया अपने पिता को बधाई दे रही है तो वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग वृद्धा आश्रम में अपनी जिन्दगी बिताने को मजबूर हैं. ऐसे ही व्यक्ति हैं दामोदर चौधरी इनकी बेबसी और लाचारी इनकी आंखों में दिखाई देती है. इन्होंने बताया कि उनकी दो बेटी थी दोनों की शादी हो गयी है. बेटों ने सारी संपत्ति बेचकर घर से भगा दिया. अब कोई ना कभी देखने और ना हालचाल पूछने नहीं आता है. फोन करने पर भी बात नहीं करते हैं.

ये भी पढ़ें-PLFI के 2 नक्सली गिरफ्तार, हथियार बरामद

दामोदर का कहना है कि भले ही उनके बेटों ने उन्हें भगा दिया हो लेकिन फिर भी वह अपने बच्चों के लिए दुआ ही देंगे. उनके अलावा वृद्धा आश्रम में रहने वाले अन्य बुजुर्गों का भी कहना है कि वह अपने बच्चों की हमेशा सलामती चाहते हैं.
वहीं, वृद्धा आश्रम के कोर्डिनेटर आफताब का कहना है वृद्धा आश्रम में सारी सुविधा हैं. भले ही इनके बच्चों ने इन्हें अपने जीवन से निकाल दिया लेकिन यहां इन्हें भरपूर प्यार दिया जाता है और इनका ख्याल रखा जाता है. इन्हें समय पर मीनू के अनुसार भोजन दिया जाता है. तबियत खराब होने पर डॉक्टर को बुलाकर चेकअप कराया जाता है.

साहिबगंजः जून महीने के तीसरे रविवार को फादर्स डे मनाया जाता है. इस दिन संतान अपने पिता को प्यार और उपहार समर्पित करते है. अपने पिता के बच्चों के प्रति बलिदान, त्याग, कष्ट करके पालन पोषण, अच्छी शिक्षा देना और एक समाज मे काबिल इंसान बनाना एक लंबा समय के साथ संसार देता है. वहीं, कुछ ऐसे भी संतान होते है जो अपने पिता की सेवा और त्याग को भूलाकर सिवाए कष्ट के कुछ नहीं देते.

देखें स्पेशल स्टोरी

फादर्स डे पर जहां दुनिया अपने पिता को बधाई दे रही है तो वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग वृद्धा आश्रम में अपनी जिन्दगी बिताने को मजबूर हैं. ऐसे ही व्यक्ति हैं दामोदर चौधरी इनकी बेबसी और लाचारी इनकी आंखों में दिखाई देती है. इन्होंने बताया कि उनकी दो बेटी थी दोनों की शादी हो गयी है. बेटों ने सारी संपत्ति बेचकर घर से भगा दिया. अब कोई ना कभी देखने और ना हालचाल पूछने नहीं आता है. फोन करने पर भी बात नहीं करते हैं.

ये भी पढ़ें-PLFI के 2 नक्सली गिरफ्तार, हथियार बरामद

दामोदर का कहना है कि भले ही उनके बेटों ने उन्हें भगा दिया हो लेकिन फिर भी वह अपने बच्चों के लिए दुआ ही देंगे. उनके अलावा वृद्धा आश्रम में रहने वाले अन्य बुजुर्गों का भी कहना है कि वह अपने बच्चों की हमेशा सलामती चाहते हैं.
वहीं, वृद्धा आश्रम के कोर्डिनेटर आफताब का कहना है वृद्धा आश्रम में सारी सुविधा हैं. भले ही इनके बच्चों ने इन्हें अपने जीवन से निकाल दिया लेकिन यहां इन्हें भरपूर प्यार दिया जाता है और इनका ख्याल रखा जाता है. इन्हें समय पर मीनू के अनुसार भोजन दिया जाता है. तबियत खराब होने पर डॉक्टर को बुलाकर चेकअप कराया जाता है.

Intro:Father's day__ अपनो ने धुँधकारा तो बृद्धा आश्रम को बनाया आशियाना। बृद्धा ने कहा कोई नही देखने आता फिर भी खुंश रहे बेटा- बेटी।
स्टोरी-साहिबगंज- कल जून महीने की तीसरा रविवार को फादर्स डे मनाया जाता है। इस दिन संतान अपने पिता को प्यार और उपहार समर्पित करते है। अपने पिता द्वारा बच्चों के प्रति बलिदान,त्याग ,कष्ट करके पालन पोषण, अच्छी शिक्षा देना और एक समाज मे काबिल इंसान बनाना एक लंबा समय के साथ संसार देता है। इस दिन बेटा हो या बेटी अपने पिता को याद कर आभार प्रकट करते है।
लेकिन कुछ ऐसे भी संतान होते है जो अपने पिता की सेवा और त्याग को भूलकर कष्ट देने चालू कर देता है पिता को खाना पीना देना बन्द कर देता है मारने पीटने लगता है घर से बाहर निकाल देता है और अंत में बृद्धा आश्रम का सहारा लेना पड़ता है और इसी को अपना आशियाना समझकर जीने लगता है।
कुछ बृद्धा का कहना है कि दो बेटी थी शादी हो गयी है और सारा संपत्ति बेचकर घर से भगा दी है पूर्णिया शादी हुआ है। कभी भी देखने या हालचाल लेने नही आती है फोन करने पर भी बात नही करती है फिर भी जहां रहे खुश रहे। बृद्धा का कहना है एक बेटी है तीनपहाड़ शादी हुई है शादी कद बाद हमको देखने नही आती है इस बृद्धा आश्रम में समय पर खाना पीना मिल जाता है वस्त्र भी मिलता है समय नास्ता, मनोरंजन के लिए टीवी भी है। बिजली की भी ब्यवस्था है।
बाइट-- दामोदर चौधरी,
बाइट-- बसिया मुर्मू
बाइट-- सलाखों बेसरा,महिला
वही बृद्धा आश्रम के कोऑर्डिनेटर आफताब का कहना है इस बृद्धा आश्रम में सारी सुविधा है समय समय पर मीनू के अनुसार भोजन दिया जाता है तबियत खराब होने पर डॉक्टर को बुलाकर चेकअप कराया जाता है इन लोगो को देखभाल के लिये प्रयाप्त रूप से स्टाफ बहाल है।
कहा कि यह वैसे बृद्ध आते है जो अपने बच्चों के द्वारा सताया हुआ रहता है इन बृद्धा के शरीर पर कई जख्म दिखे जाते है लेकिन यहाँ निरंतर उपचार से ठीक कर लिया जाता है।
बाइट--आफताब, कोऑर्डिनेटर, बृद्धा आश्रम
बाइट- अंजलि कुमारी, स्टाफ


Body:Father's day__ अपनो ने धुँधकारा तो बृद्धा आश्रम को बनाया आशियाना। बृद्धा ने कहा कोई नही देखने आता फिर भी खुंश रहे बेटा- बेटी।
स्टोरी-साहिबगंज- कल जून महीने की तीसरा रविवार को फादर्स डे मनाया जाता है। इस दिन संतान अपने पिता को प्यार और उपहार समर्पित करते है। अपने पिता द्वारा बच्चों के प्रति बलिदान,त्याग ,कष्ट करके पालन पोषण, अच्छी शिक्षा देना और एक समाज मे काबिल इंसान बनाना एक लंबा समय के साथ संसार देता है। इस दिन बेटा हो या बेटी अपने पिता को याद कर आभार प्रकट करते है।
लेकिन कुछ ऐसे भी संतान होते है जो अपने पिता की सेवा और त्याग को भूलकर कष्ट देने चालू कर देता है पिता को खाना पीना देना बन्द कर देता है मारने पीटने लगता है घर से बाहर निकाल देता है और अंत में बृद्धा आश्रम का सहारा लेना पड़ता है और इसी को अपना आशियाना समझकर जीने लगता है।
कुछ बृद्धा का कहना है कि दो बेटी थी शादी हो गयी है और सारा संपत्ति बेचकर घर से भगा दी है पूर्णिया शादी हुआ है। कभी भी देखने या हालचाल लेने नही आती है फोन करने पर भी बात नही करती है फिर भी जहां रहे खुश रहे। बृद्धा का कहना है एक बेटी है तीनपहाड़ शादी हुई है शादी कद बाद हमको देखने नही आती है इस बृद्धा आश्रम में समय पर खाना पीना मिल जाता है वस्त्र भी मिलता है समय नास्ता, मनोरंजन के लिए टीवी भी है। बिजली की भी ब्यवस्था है।
बाइट-- दामोदर चौधरी,
बाइट-- बसिया मुर्मू
बाइट-- सलाखों बेसरा,महिला
वही बृद्धा आश्रम के कोऑर्डिनेटर आफताब का कहना है इस बृद्धा आश्रम में सारी सुविधा है समय समय पर मीनू के अनुसार भोजन दिया जाता है तबियत खराब होने पर डॉक्टर को बुलाकर चेकअप कराया जाता है इन लोगो को देखभाल के लिये प्रयाप्त रूप से स्टाफ बहाल है।
कहा कि यह वैसे बृद्ध आते है जो अपने बच्चों के द्वारा सताया हुआ रहता है इन बृद्धा के शरीर पर कई जख्म दिखे जाते है लेकिन यहाँ निरंतर उपचार से ठीक कर लिया जाता है।
बाइट--आफताब, कोऑर्डिनेटर, बृद्धा आश्रम


Conclusion:फविकसीजसिस
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.