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साहिबगंज के दियारा क्षेत्र में सिंचाई का समुचित साधन नहीं, किसानों को रबी फसल की सिंचाई करने में आ रही परेशानी

Irrigation problem in Sahibganj. साहिबगंज के दियारा क्षेत्र के किसान सिंचाई की समस्या से जूझ रहे हैं. रबी फसल की खेती करने में किसानों को परेशानी हो रही है. किसान किसी तरह पाइप के माध्यम से गंगा का पानी खेतों तक ला रहे हैं. इससे किसानों को हजारों रुपए सिंचाई में खर्च करने पड़ते हैं.

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Irrigation Problem
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 31, 2023, 7:32 PM IST

साहिबगंज के दियारा क्षेत्र में सिंचाई समस्या की जानकारी देते किसान.

साहिबगंज: रबी फसल का बुआई समाप्त हो चुकी है. पौधा खेत से निकलने लगे हैं, लेकिन किसानों को पौधे की सिंचाई करने में परेशानी हो रही है. खासकर दियारा क्षेत्र में सिंचाई का समुचित साधन नहीं है. किसान गंगा, कुआं और बचोहिया के पानी पर सिंचाई के लिए निर्भर हैं. खेत और गंगा नदी की दूरी करीब एक किमी से अधिक है. इस कारण किसान पाइप के माध्यम से गंगा से पानी लाकर सिंचाई करने को मजबूर हैं.

प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने नहीं की कोई पहलः बताते चलें कि साहिबगंज के दियारा क्षेत्र में कुल 10 से 12 बोरिंग कराई गई है, लेकिन खेतों से काफी दूरी पर बोरिंग कराई गई है. इस कारण किसानों को लाभ नहीं मिल रहा है. वहीं दियारा क्षेत्र में सिंचाई की समस्या को लेकर प्रशासन और जनप्रतिनिधि संजीदा नहीं दिख रहे हैं. सिंचाई की व्यवस्था को दुरुस्त करने की दिशा में अब तक कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया. जिसका खमियाजा हर वर्ष किसानों को उठाना पड़ रहा है. समय पर पौधा में पानी नहीं देने के कारण पैदावार पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है. यदि इन क्षेत्रों में बिजली की व्यवस्था बिहार की तर्ज पर कर दी जाती और खेतों तक प्वाइंट्स निकाल दिया जाता तो किसानों को काफी फायदा मिलता.

किसानों ने साझा की समस्याः इस संबंध में किसान बिहारी यादव ने कहा कि गेहूं, मक्का, सरसों का पौधा निकल चुका है. पहली सिंचाई बहुत जरूरी है. बारिश नहीं हो रही है. खेत में दरारें आ गई हैं. गंगा नदी से पानी लाना बहुत मुश्किल है. चार से पांच हजार का पाइप खरीदना कठिन है. अगल-बगल खेत का कोई किसान सिंचाई करेगा तो हम भी उसकी मदद से अपने खेतों की सिंचाई कर लेंगे. जिला प्रशासन को इस दिशा में ध्यान देना चाहिए. वहीं किसान मुन्ना प्रसाद ने कहा कि दियारा क्षेत्र में बिजली की व्यवस्था होनी चाहिए. बिजली की व्यवस्था होने से किसानों को बोरिंग या गंगा नदी से पानी लाने में सुविधा मिलती. प्रति घंटा 150 रुपए में पानी मिलता है. ऐसी स्थिति में किसी का 10 बीघा जमीन है तो एक सीजन में किसान को हजारों रुपए सिंचाई में खर्च करना पड़ता है. किसानों के हित को देखते हुए बजट बनता है, लेकिन सुविधा नहीं मिल रही है.

क्या कहते हैं पदाधिकारीः इस संबंध में जिला भूमि संरक्षण पदाधिकारी रितेश कुमार यादव ने कहा कि किसान के हित में भूमि संरक्षण विभाग की तरफ से मिनी पंपसेट का वितरण किया जा रहा है. जरूरतमंद किसान विभाग से संपर्क कर योजना का लाभ उठा सकते हैं. 90 प्रतिशत के अनुदान पर पंपसेट दिया जा रहा है. कुसुम योजना के तहत सोलर पैनल सेट दिया जा रहा है. डीडीसी से संपर्क कर योजना का लाभ किसान ले सकते हैं.

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साहिबगंज के दियारा क्षेत्र में सिंचाई समस्या की जानकारी देते किसान.

साहिबगंज: रबी फसल का बुआई समाप्त हो चुकी है. पौधा खेत से निकलने लगे हैं, लेकिन किसानों को पौधे की सिंचाई करने में परेशानी हो रही है. खासकर दियारा क्षेत्र में सिंचाई का समुचित साधन नहीं है. किसान गंगा, कुआं और बचोहिया के पानी पर सिंचाई के लिए निर्भर हैं. खेत और गंगा नदी की दूरी करीब एक किमी से अधिक है. इस कारण किसान पाइप के माध्यम से गंगा से पानी लाकर सिंचाई करने को मजबूर हैं.

प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने नहीं की कोई पहलः बताते चलें कि साहिबगंज के दियारा क्षेत्र में कुल 10 से 12 बोरिंग कराई गई है, लेकिन खेतों से काफी दूरी पर बोरिंग कराई गई है. इस कारण किसानों को लाभ नहीं मिल रहा है. वहीं दियारा क्षेत्र में सिंचाई की समस्या को लेकर प्रशासन और जनप्रतिनिधि संजीदा नहीं दिख रहे हैं. सिंचाई की व्यवस्था को दुरुस्त करने की दिशा में अब तक कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया. जिसका खमियाजा हर वर्ष किसानों को उठाना पड़ रहा है. समय पर पौधा में पानी नहीं देने के कारण पैदावार पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है. यदि इन क्षेत्रों में बिजली की व्यवस्था बिहार की तर्ज पर कर दी जाती और खेतों तक प्वाइंट्स निकाल दिया जाता तो किसानों को काफी फायदा मिलता.

किसानों ने साझा की समस्याः इस संबंध में किसान बिहारी यादव ने कहा कि गेहूं, मक्का, सरसों का पौधा निकल चुका है. पहली सिंचाई बहुत जरूरी है. बारिश नहीं हो रही है. खेत में दरारें आ गई हैं. गंगा नदी से पानी लाना बहुत मुश्किल है. चार से पांच हजार का पाइप खरीदना कठिन है. अगल-बगल खेत का कोई किसान सिंचाई करेगा तो हम भी उसकी मदद से अपने खेतों की सिंचाई कर लेंगे. जिला प्रशासन को इस दिशा में ध्यान देना चाहिए. वहीं किसान मुन्ना प्रसाद ने कहा कि दियारा क्षेत्र में बिजली की व्यवस्था होनी चाहिए. बिजली की व्यवस्था होने से किसानों को बोरिंग या गंगा नदी से पानी लाने में सुविधा मिलती. प्रति घंटा 150 रुपए में पानी मिलता है. ऐसी स्थिति में किसी का 10 बीघा जमीन है तो एक सीजन में किसान को हजारों रुपए सिंचाई में खर्च करना पड़ता है. किसानों के हित को देखते हुए बजट बनता है, लेकिन सुविधा नहीं मिल रही है.

क्या कहते हैं पदाधिकारीः इस संबंध में जिला भूमि संरक्षण पदाधिकारी रितेश कुमार यादव ने कहा कि किसान के हित में भूमि संरक्षण विभाग की तरफ से मिनी पंपसेट का वितरण किया जा रहा है. जरूरतमंद किसान विभाग से संपर्क कर योजना का लाभ उठा सकते हैं. 90 प्रतिशत के अनुदान पर पंपसेट दिया जा रहा है. कुसुम योजना के तहत सोलर पैनल सेट दिया जा रहा है. डीडीसी से संपर्क कर योजना का लाभ किसान ले सकते हैं.

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