ETV Bharat / state

वजूद खो रहा साहिबगंज का पान, कोरोना और लॉकडाउन ने तोड़ी किसानों की कमर

झारखंड में पान की खेती सबसे अधिक साहिबगंज में होती है. मोकिमपुर पंचायत से सरकंडा पंचायत तक यह वृहत रूप से खेती होती है. इस पान के काम से दो सौ मजदूर जुड़े हुए हैं. लेकिन कोरोना और लॉकडाउन की वजह से किसान आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहे हैं.

farmers-cultivating-betel-in-sahibganj-are-in-financial-crisis
वजूद खो रहा साहिबगंज का पान
author img

By

Published : Oct 23, 2020, 5:32 AM IST

साहिबगंजः झारखंड में पान की खेती सबसे अधिक साहिबगंज में होती है. पान की सबसे अच्छी किस्म सेलमपुरी होती है, जो राजमहल अनुमंडल के गंगा किनारे लगभग 300 एकड़ जमीन पर यह खेती हो रही है. यह खेती तीन मौजा यानी मोकिमपुर पंचायत से सरकंडा पंचायत तक यह वृहत रूप से खेती होती है. इस पान के काम से जुड़े रोजना दो सौ मजदूर जुटे हुए हैं. लेकिन कोरोना और लॉकडाउन की वजह से किसान आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहे हैं.

देखें पूरी खबर

कोरोना ने तोड़ी कमर

साहिबगंज के पान से शौकीनों के होंठ तभी ला हो पाएंगे, जब झारखंड सरकार और जिला प्रशासन इनको आर्थिक सहयोग बिना शर्त प्रदान करे. क्योंकि कोरोना की मार पान की खेती करने वालों पर भी पड़ी है. अभी अनलॉक 5 तक इनका पान साहिबगंज से बाहर अन्य राज्यों में नहीं जा सकी है क्योंकि ट्रांसपोर्टेशन पूरी तरह से बंद है. आज इनके पान की निर्यात नहीं होने से इन लोगों की स्थिति खराब हो चुकी है और ये किसान आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं. आलम ये है कि साहिबगंज का पान धीरे-धीरे अपना वजूद खोता जा रहा है.

घर का पैसा लगा रहे हैं किसान

इस खेती में लाखों रुपये का निवेश होता है और इन किसानों के पास पूंजी का अभाव है. क्योंकि यहां से पान बिहार राज्य के मुंगेर, जमालपुर, सीतामढ़ी, दरभंगा, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, पूर्णिया, कटिहार और कहलगांव जाता है. झारखंड के पाकुड़, दुमका, देवघर, गोड्डा, गिरिडीह और हजारीबाग जाता है. पश्चिम बंगाल के मथुरापुर, मानिकचक, मालदा, सिलीगुड़ी, रामपुरहाट, ब्रहमपुर, मुर्शीदाबाद भेजा जाता है. पान की खेती से जुड़े किसानों का कहना है इस लॉकडाउन में बिक्री नहीं हुआ. पूंजी का अभाव की वजह से अपनी गृहणियों का गहना सोनार के यहां रखकर खेती कर रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- साहिबगंज में बनने के 9 साल बाद भी नहीं शुरू हुआ ANM ट्रेनिंग सेंटर, दूसरे राज्यों में जाने को हैं मजबूर

सरकारी मदद की दरकार

राज्य सरकार या जिला प्रशासन की तरफ से आज तक इनका सहयोग नहीं मिला है. अगर सरकार इस फसल पर ध्यान दे तो इसकी खेती वृहत रूप से होगी. अगर सरकार इन किसानों को बढ़ावा दे तो झारखंड को एक अलग पहचान पान की खेती से मिलेगी.

लोन ले सकते हैं किसानः डीडीसी

उपविकास आयुक्त ने कहा कि इन किसानों को बैंक से लोन मुहैया कराई जाएगी ताकि ये किसान पलायन नहीं करे. जिला प्रशासन ने निर्णय लिया है कि कोई व्यापार के लिए लोन लेना चाहता है वैसे किसान एस्टीमेट लेकर हमारे पास आए ताकि उनको जिस बैंक से लोन लेना चाहते है उन्हें लोन दी जाएगी.

साहिबगंजः झारखंड में पान की खेती सबसे अधिक साहिबगंज में होती है. पान की सबसे अच्छी किस्म सेलमपुरी होती है, जो राजमहल अनुमंडल के गंगा किनारे लगभग 300 एकड़ जमीन पर यह खेती हो रही है. यह खेती तीन मौजा यानी मोकिमपुर पंचायत से सरकंडा पंचायत तक यह वृहत रूप से खेती होती है. इस पान के काम से जुड़े रोजना दो सौ मजदूर जुटे हुए हैं. लेकिन कोरोना और लॉकडाउन की वजह से किसान आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहे हैं.

देखें पूरी खबर

कोरोना ने तोड़ी कमर

साहिबगंज के पान से शौकीनों के होंठ तभी ला हो पाएंगे, जब झारखंड सरकार और जिला प्रशासन इनको आर्थिक सहयोग बिना शर्त प्रदान करे. क्योंकि कोरोना की मार पान की खेती करने वालों पर भी पड़ी है. अभी अनलॉक 5 तक इनका पान साहिबगंज से बाहर अन्य राज्यों में नहीं जा सकी है क्योंकि ट्रांसपोर्टेशन पूरी तरह से बंद है. आज इनके पान की निर्यात नहीं होने से इन लोगों की स्थिति खराब हो चुकी है और ये किसान आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं. आलम ये है कि साहिबगंज का पान धीरे-धीरे अपना वजूद खोता जा रहा है.

घर का पैसा लगा रहे हैं किसान

इस खेती में लाखों रुपये का निवेश होता है और इन किसानों के पास पूंजी का अभाव है. क्योंकि यहां से पान बिहार राज्य के मुंगेर, जमालपुर, सीतामढ़ी, दरभंगा, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, पूर्णिया, कटिहार और कहलगांव जाता है. झारखंड के पाकुड़, दुमका, देवघर, गोड्डा, गिरिडीह और हजारीबाग जाता है. पश्चिम बंगाल के मथुरापुर, मानिकचक, मालदा, सिलीगुड़ी, रामपुरहाट, ब्रहमपुर, मुर्शीदाबाद भेजा जाता है. पान की खेती से जुड़े किसानों का कहना है इस लॉकडाउन में बिक्री नहीं हुआ. पूंजी का अभाव की वजह से अपनी गृहणियों का गहना सोनार के यहां रखकर खेती कर रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- साहिबगंज में बनने के 9 साल बाद भी नहीं शुरू हुआ ANM ट्रेनिंग सेंटर, दूसरे राज्यों में जाने को हैं मजबूर

सरकारी मदद की दरकार

राज्य सरकार या जिला प्रशासन की तरफ से आज तक इनका सहयोग नहीं मिला है. अगर सरकार इस फसल पर ध्यान दे तो इसकी खेती वृहत रूप से होगी. अगर सरकार इन किसानों को बढ़ावा दे तो झारखंड को एक अलग पहचान पान की खेती से मिलेगी.

लोन ले सकते हैं किसानः डीडीसी

उपविकास आयुक्त ने कहा कि इन किसानों को बैंक से लोन मुहैया कराई जाएगी ताकि ये किसान पलायन नहीं करे. जिला प्रशासन ने निर्णय लिया है कि कोई व्यापार के लिए लोन लेना चाहता है वैसे किसान एस्टीमेट लेकर हमारे पास आए ताकि उनको जिस बैंक से लोन लेना चाहते है उन्हें लोन दी जाएगी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.