ETV Bharat / state

परेशान पटसन के किसानः जमीन झारंखड की, बाजार बंगाल का, हो रहे हैं अनदेखी का शिकार

साहिबगंज में जूट मिल ना होने से किसान परेशान हैं. हर बार जिला में जूट मिल खोलने की घोषणा होती है लेकिन किसी ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया. प्रशासन ट्रेनिंग तो दे रहा है लेकिन मिल खोलने का दावा नहीं करता है.

farmers are worried due to lack of jute mill in sahibganj
अनदेखी का शिकार हो रहे हैं जूट किसान
author img

By

Published : Sep 19, 2020, 6:03 AM IST

साहिबगंजः साहिबगंज और राजमहल अनुमंडल क्षेत्र के निचली इलाकों में पटसन (पटुवा,जूट) की खेती कई एकड़ में होती है. प्रत्येक वर्ष किसान खेती करके बंगाल ले जाकर बेच देते हैं. वजह है कि बंगाल सरकार इनको अधिक मुनाफा देती है और बड़ा बाजार है जहां अधिक से अधिक जूट की खपत होती है. फिर भी किसानों की जिंदगी बेहतर नहीं हो पाई है.

देखें पूरी खबर

सियासी अनदेखी के हुए शिकार

प्रत्येक पांच सालों में चुनावी मेला आता है चाहे लोकसभा या विधानसभा या पंचायत चुनाव हो. नेता किसान की समस्या को निदान कर वादा करते है कई कसमें खाते है कि अगर हमारी सत्ता आई तो तमाम दूख दूर कर दूंगा, ऋण माफ कर देंगे, कोल्ड स्टोरेज खुलवा देंगे, जूट मिल खुलवाने का प्रयास करेंगे. लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद लोग भूल जाते हैं कि मेनिफेस्टो में क्या कहा गया था.

कारखाना की मांग

आज जिला प्रशासन और राज्य सरकार की अनदेखी की वजह से किसान की स्थिति खराब है सरकार इनकी जरूरत का साधन पर ध्यान नहीं देती है. अगर जिला में जूट मिल रहता और एक समुचित बाजार रहता तो किसानों अपने यहां से जूट बंगाल जाकर नहीं बेचते. इनको अपना यहां हो उचित दाम मिलता तो आने जाने का भाड़ा भी बचता और किसान को अधिक लाभ मिलता जिससे किसान सुख की जिंदगी जी पाते. इन किसानों का कहना है कि कभी भी जिला प्रशासन हम किसानों के बारे में नहीं सोचता, आज साहिबगंज में जूट मिल होता और एक अच्छा बाजार रहता तो हमें बंगाल ले जाकर नहीं बेचना पड़ता है, मजबूरी में बंगाल में अपना पटुआ बेचना पड़ता है.

नहीं मिलता क्षतिपूर्ति, मुआवजा

किसानों ने कहा कि इस वर्ष लगातार बारिश होने से पटवा में दाग आ चुका है पटुआ के खेतों में बहुत दिनों तक गंगा का पानी घुसने से पटुआ का उपज कम हो गया है. प्रकृति की मार से किसान परेशान है इस वर्ष लगातार बारिश होने से इस फसल बहुत कम हुआ है किसान को काफी क्षति हुई है. इस बार बंगाल में चार हजार प्रति क्विंटल पटुवा का बिक्री हो रहा है जबकि पिछले वर्ष पांच हजार था. अगर जिला प्रशासन राज्य सरकार हम किसानों को क्षतिपूर्ति राशि या अन्य स्किल से जोड़कर हमें दूसरा काम दिया जाता तो शायद हमें राहत में मिलता और दोगुनी कमा पाते.

इसे भी पढ़ें- ना गंगा शुद्ध हुई-ना घर हुआ साफ, 132 करोड़ की लागत से बना शहर का सीवरेज सिस्टम हुआ फेल

क्या कहते हैं कृषि अधिकारी

किसान जिला कृषि अधिकारी ने कहा कि पिछले वर्ष जूट से जुड़े किसानों को ट्रेनिंग के लिए कोलकाता भेजा गया था, इस वर्ष भी इनको कोलकाता या अन्य जगह भेजने की तैयारी चल रही है ताकि प्रशिक्षण लेकर अधिक से अधिक अच्छे किस्म पटुआ उपजा सके. साथ ही स्किल से भी जोड़ने की पहल इन प्रशिक्षण के माध्यम से दिया जा रहा है जैसे मधुमख्खी पालन, मशरूम की खेती. उन्होंने कहा कि साहिबगंज में जूट मिल नहीं रहने की वजह से किसान बंगाल ले जाकर बेच देते हैं.

साहिबगंजः साहिबगंज और राजमहल अनुमंडल क्षेत्र के निचली इलाकों में पटसन (पटुवा,जूट) की खेती कई एकड़ में होती है. प्रत्येक वर्ष किसान खेती करके बंगाल ले जाकर बेच देते हैं. वजह है कि बंगाल सरकार इनको अधिक मुनाफा देती है और बड़ा बाजार है जहां अधिक से अधिक जूट की खपत होती है. फिर भी किसानों की जिंदगी बेहतर नहीं हो पाई है.

देखें पूरी खबर

सियासी अनदेखी के हुए शिकार

प्रत्येक पांच सालों में चुनावी मेला आता है चाहे लोकसभा या विधानसभा या पंचायत चुनाव हो. नेता किसान की समस्या को निदान कर वादा करते है कई कसमें खाते है कि अगर हमारी सत्ता आई तो तमाम दूख दूर कर दूंगा, ऋण माफ कर देंगे, कोल्ड स्टोरेज खुलवा देंगे, जूट मिल खुलवाने का प्रयास करेंगे. लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद लोग भूल जाते हैं कि मेनिफेस्टो में क्या कहा गया था.

कारखाना की मांग

आज जिला प्रशासन और राज्य सरकार की अनदेखी की वजह से किसान की स्थिति खराब है सरकार इनकी जरूरत का साधन पर ध्यान नहीं देती है. अगर जिला में जूट मिल रहता और एक समुचित बाजार रहता तो किसानों अपने यहां से जूट बंगाल जाकर नहीं बेचते. इनको अपना यहां हो उचित दाम मिलता तो आने जाने का भाड़ा भी बचता और किसान को अधिक लाभ मिलता जिससे किसान सुख की जिंदगी जी पाते. इन किसानों का कहना है कि कभी भी जिला प्रशासन हम किसानों के बारे में नहीं सोचता, आज साहिबगंज में जूट मिल होता और एक अच्छा बाजार रहता तो हमें बंगाल ले जाकर नहीं बेचना पड़ता है, मजबूरी में बंगाल में अपना पटुआ बेचना पड़ता है.

नहीं मिलता क्षतिपूर्ति, मुआवजा

किसानों ने कहा कि इस वर्ष लगातार बारिश होने से पटवा में दाग आ चुका है पटुआ के खेतों में बहुत दिनों तक गंगा का पानी घुसने से पटुआ का उपज कम हो गया है. प्रकृति की मार से किसान परेशान है इस वर्ष लगातार बारिश होने से इस फसल बहुत कम हुआ है किसान को काफी क्षति हुई है. इस बार बंगाल में चार हजार प्रति क्विंटल पटुवा का बिक्री हो रहा है जबकि पिछले वर्ष पांच हजार था. अगर जिला प्रशासन राज्य सरकार हम किसानों को क्षतिपूर्ति राशि या अन्य स्किल से जोड़कर हमें दूसरा काम दिया जाता तो शायद हमें राहत में मिलता और दोगुनी कमा पाते.

इसे भी पढ़ें- ना गंगा शुद्ध हुई-ना घर हुआ साफ, 132 करोड़ की लागत से बना शहर का सीवरेज सिस्टम हुआ फेल

क्या कहते हैं कृषि अधिकारी

किसान जिला कृषि अधिकारी ने कहा कि पिछले वर्ष जूट से जुड़े किसानों को ट्रेनिंग के लिए कोलकाता भेजा गया था, इस वर्ष भी इनको कोलकाता या अन्य जगह भेजने की तैयारी चल रही है ताकि प्रशिक्षण लेकर अधिक से अधिक अच्छे किस्म पटुआ उपजा सके. साथ ही स्किल से भी जोड़ने की पहल इन प्रशिक्षण के माध्यम से दिया जा रहा है जैसे मधुमख्खी पालन, मशरूम की खेती. उन्होंने कहा कि साहिबगंज में जूट मिल नहीं रहने की वजह से किसान बंगाल ले जाकर बेच देते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.