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हूल दिवस पर सीएम हेमंत सोरेन ने सिदो-कान्हू को दी श्रद्धांजलि, कहा- अपने हक की लड़ाई लड़ता रहा है आदिवासी समाज - Jharkhand news

हूल क्रांति दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री झारखंड हेमंत सोरेन ने पंचकठिया के क्रांति स्थल पर सिदो कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी. इस दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने वीर शहीद सिदो-कान्हू, फूलो झानो, चांद-भैरव के वंसजों से मुलाकात भी की.

CM Hemant Soren pays tribute to Sido Kanhu
CM Hemant Soren pays tribute to Sido Kanhu
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Published : Jun 30, 2022, 9:03 PM IST

Updated : Jun 30, 2022, 9:48 PM IST

साहिबगंज: हूल क्रांति दिवस के मौके पर वीर शहीदों को श्रद्धांजलि देने और इस वीर भूमि जनता से मिलने साहिबगंज पहुंचे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का स्वागत पारंपरिक संथाली नृत्य से किया गया. इसके बाद सभी अतिथियों का स्वागत किया गया. इस दौरान भोगनाडीह में आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत मुख्यमंत्री, सांसद राजमहल लोकसभा क्षेत्र, विधायक प्रतिनिधि बरहेट ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर की.

ये भी पढ़ें: दुमका में हूल दिवस पर शहीदों को श्रद्धांजलिः सांसद, मंत्री और डीसी ने पुष्प अर्पित कर सिदो कान्हू के बलिदान को किया याद



हूल क्रांति एवं शहीदों के बलिदान को याद करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि आदिवासी समाज शुरू से ही अपने हक की लड़ाई लड़ता रहा है, इसका जीता जागता उदाहरण भोगनाडीह से प्राप्त होता है, जहां के अमर वीर शहीद सिदो-कान्हू ने अंग्रेजों से आदिवासी समाज के हितों कि रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी. वे आज हूल दिवस के अवसर पर भोगनाडीह, साहिबगंज में अमर शहीद सिदो-कान्हू के स्मृति स्थल पर पूजा-अर्चना के बाद लोगों को संबोधित कर रहे थे.

जल-जंगल-जमीन को बचाने में अहम भूमिका: यहां मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी समाज ने देश में अपनी अलग पहचान बनाई है. इतिहास के अनेकों कहानियों में इन्होंने अपना प्रमुख छाप छोड़ी है. आदिवासी समुदाय ने समाज के प्रति कर्तव्य का पालन कर अपनी अलग स्थान बनाई है. यह समाज जल-जंगल-जमीन को बचाने में अपनी प्रमुख भूमिका निभाता रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि इतिहासकारों का मानना है कि पृथ्वी के बनने के बाद सबसे पहले जमीन झारखंड के कोल्हान क्षेत्र में दिखी थी. डायनासोर युग के भी कुछ अवशेष यहां प्राप्त होते हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी समाज शुरुआत से ही अपने हितों की रक्षा की लड़ाई लड़ रहे हैं. आज से कई सौ साल पहले ही फूलों-झानो, चांद-भैरव, सिदो-कान्हो जैसे महान आदिवासी नेताओं ने अपने हक की लड़ाई लड़ी थी और समाज के हित के लिए लोगों को एकजुट किया था.


मुख्यमंत्री ने हूल दिवस के अवसर पर पंचकटिया स्थित अमर शहीद सिदो कान्हू तोरण द्वार का भी उद्घाटन किया, साथ ही मुख्यमंत्री ने शहीदों के वंशजों द्वारा दिये गए ज्ञापनों पर संबंधित पदाधिकारियों को त्वरित कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए. सीएम हेमंत सोरेन ने इस दौरान 1646.36 लाख रुपए की 19 योजनाओं का शिलान्यास किया, जबकि 4949.79 लाख रुपए की 15 योजनाओं का उद्घाटन किया गया.

इस कार्यक्रम के बाद सीएम ने मडरो प्रखंड के तारा पहाड़ पर बनाए गए फॉसिल्स पार्क, म्यूजियम और ऑडिटोरियम का भी उद्घाटन किया. पार्क के उद्घाटन करने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने धनवसा फुटबॉल मैदान में लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि यहां इतना बड़ा खाजाना है हमें भी पता नहीं था. फॉसिल्स पार्क में बने म्यूजियम में दुनिया कैसे बनी, मानव कैसे बने, जानवर कैसे बने उन सभी का इतिहास बताया जाएगा. इस तरह का स्थान दुनिया में गिने चुने हैं जिसमें अब झारखंड का मांडरो पहाड़ भी शामिल हो गया है.

साहिबगंज: हूल क्रांति दिवस के मौके पर वीर शहीदों को श्रद्धांजलि देने और इस वीर भूमि जनता से मिलने साहिबगंज पहुंचे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का स्वागत पारंपरिक संथाली नृत्य से किया गया. इसके बाद सभी अतिथियों का स्वागत किया गया. इस दौरान भोगनाडीह में आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत मुख्यमंत्री, सांसद राजमहल लोकसभा क्षेत्र, विधायक प्रतिनिधि बरहेट ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर की.

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हूल क्रांति एवं शहीदों के बलिदान को याद करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि आदिवासी समाज शुरू से ही अपने हक की लड़ाई लड़ता रहा है, इसका जीता जागता उदाहरण भोगनाडीह से प्राप्त होता है, जहां के अमर वीर शहीद सिदो-कान्हू ने अंग्रेजों से आदिवासी समाज के हितों कि रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी. वे आज हूल दिवस के अवसर पर भोगनाडीह, साहिबगंज में अमर शहीद सिदो-कान्हू के स्मृति स्थल पर पूजा-अर्चना के बाद लोगों को संबोधित कर रहे थे.

जल-जंगल-जमीन को बचाने में अहम भूमिका: यहां मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी समाज ने देश में अपनी अलग पहचान बनाई है. इतिहास के अनेकों कहानियों में इन्होंने अपना प्रमुख छाप छोड़ी है. आदिवासी समुदाय ने समाज के प्रति कर्तव्य का पालन कर अपनी अलग स्थान बनाई है. यह समाज जल-जंगल-जमीन को बचाने में अपनी प्रमुख भूमिका निभाता रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि इतिहासकारों का मानना है कि पृथ्वी के बनने के बाद सबसे पहले जमीन झारखंड के कोल्हान क्षेत्र में दिखी थी. डायनासोर युग के भी कुछ अवशेष यहां प्राप्त होते हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी समाज शुरुआत से ही अपने हितों की रक्षा की लड़ाई लड़ रहे हैं. आज से कई सौ साल पहले ही फूलों-झानो, चांद-भैरव, सिदो-कान्हो जैसे महान आदिवासी नेताओं ने अपने हक की लड़ाई लड़ी थी और समाज के हित के लिए लोगों को एकजुट किया था.


मुख्यमंत्री ने हूल दिवस के अवसर पर पंचकटिया स्थित अमर शहीद सिदो कान्हू तोरण द्वार का भी उद्घाटन किया, साथ ही मुख्यमंत्री ने शहीदों के वंशजों द्वारा दिये गए ज्ञापनों पर संबंधित पदाधिकारियों को त्वरित कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए. सीएम हेमंत सोरेन ने इस दौरान 1646.36 लाख रुपए की 19 योजनाओं का शिलान्यास किया, जबकि 4949.79 लाख रुपए की 15 योजनाओं का उद्घाटन किया गया.

इस कार्यक्रम के बाद सीएम ने मडरो प्रखंड के तारा पहाड़ पर बनाए गए फॉसिल्स पार्क, म्यूजियम और ऑडिटोरियम का भी उद्घाटन किया. पार्क के उद्घाटन करने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने धनवसा फुटबॉल मैदान में लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि यहां इतना बड़ा खाजाना है हमें भी पता नहीं था. फॉसिल्स पार्क में बने म्यूजियम में दुनिया कैसे बनी, मानव कैसे बने, जानवर कैसे बने उन सभी का इतिहास बताया जाएगा. इस तरह का स्थान दुनिया में गिने चुने हैं जिसमें अब झारखंड का मांडरो पहाड़ भी शामिल हो गया है.

Last Updated : Jun 30, 2022, 9:48 PM IST
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