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साहिबगंज में आर्सेनिक पानी पीने को मजबूर ग्रामीण, कहा- नेताओं को चुनाव के दौरान ही आती है हमारी याद

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Published : Dec 9, 2019, 4:29 PM IST

साहिबगंज जिले के देहारी गांव में ग्रामीण आर्सेनिक युक्त पानी पीने को मजबूर हैं. यह समस्या पिछले कई महीनों से बनी हुई है. जिसको लेकर ग्रामीणों में सरकार के प्रति आक्रोश है. ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव के दौरान ही नेताओं को हमारी याद आती है.

Arsenic water
आर्सेनिक पानी

साहिबगंजः जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर की दूरी पर एनएच 80 के बगल में देहारी गांव है. इस गांव के पानी में अधिक मात्रा में आर्सेनिक पाया जाता है. यही वजह है कि यहां के ग्रामीण आर्सेनिक युक्त पानी से गंभीर बीमारी का शिकार हो रहे हैं. गांव में ऐसा कोई घर नहीं है, जिसमें कैंसर, टीबी, चर्म रोग जैसी जानलेवा बीमारी का मरीज न हो.

विडियो में देखें ये स्पेशल खबर


करोड़ों की योजनाओं का नहीं कोई काम
इस देहारी गांव में लगभग 3000 से अधिक आबादी है. अभी तक 100 से अधिक लोग कैंसर जैसी घातक बीमारी से ग्रसित होकर जान गवा चुके हैं, लेकिन जिला प्रशासन या जनप्रतिनिधि ने इस दिशा में कोई कारगर कदम नहीं उठाया है. समय-समय पर करोड़ों की योजनाओं से आर्सेनिक मुक्त पेयजल के लिए टंकियां तो बनाई जाती हैं, लेकिन कुछ समय के बाद वह खराब हो जाती हैं और फिर लोग आसैनिक फ्लोराइड युक्त पानी पीने को मजबूर हो जाते हैं.


वैज्ञानिकों की राय
विश्व के अन्य देशों से भी वैज्ञानिक यहां शोध के लिए आते हैं. यहां के लोगों के ब्लड, बाल, पानी की जांच करते हैं और हर बार यही पाया जाता है कि इस गांव में आर्सेनिक अधिक मात्रा में मिल रहा है. लोगों को सलाह दी जाती है किसी भी सूरत में इस पानी को न पीएं, नहीं तो कई घातक बीमारियां हो सकती हैं.

ये भी पढ़ें-राहुल गांधी 9 दिसंबर को आएंगे झारखंड, महागठबंधन प्रत्याशियों के लिए मांगेंगे वोट


ग्रामीणों में नेताओं के लिए आक्रोश
सरकार का हर दावा इस गांव में फेल हो जाता है. ग्रामीणों का कहना है कि पिछले 6 महीने से इस गांव में शुद्ध पानी मिल रहा है. अगर बिजली रही तभी पानी मिलता है नहीं तो उन्हें 5 किलोमीटर दूर दूसरे गांव से पानी लाना पड़ता है. ग्रामीणों का कहना है कि अब नेताओं को इस चुनाव में ये याद आ रहा है कि यहां पानी की समस्या है. रोज कोई न कोई नेता उनसे वोट मांग रहे हैं. पिछले 5 साल में कोई भी हमारा हालचाल लेने नहीं आया, लेकिन अब हाथ जोड़कर विनती की जा रही है कि हमें वोट दें.


अनंत ओझा का क्या है कहना
बीजेपी राजमहल प्रत्याशी अनंत ओझा का दावा है कि उनके शासनकाल में ही इस गांव में तीन बड़े आर्सेनिक पानी को फिल्टर करने के लिए टंकियां बनाई गई हैं, जिससे लोगों को पानी मिल रहा है. इसके साथ ही रक्सी स्थान से भी खराब पड़े मशीन को ठीक कराया गया है, जिसके जरिए नलों में पानी दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जो भी कमोबेश समस्या रह गई हो यदि जनता दोबारा मौका देती है तो हमारी पार्टी इस दिशा में और भी बेहतर काम करेगी.


बता दें कि, देहारी गांव की समस्या आज की नई समस्या नहीं है यह सालों पुरानी समस्या है. आर्सेनिक युक्त पानी पीने से लोगों को घातक बीमारी हो रही है. इस गांव में भयावह स्थिति बनी हुई है. अब तो लोग गांव को छोड़कर दूसरे जगह बसने को मजबूर हैं. वहीं, चुनावी प्रचार-प्रसार जोरों पर है और यहां 20 दिसंबर को मतदान होना है. देखना होगा कि जनता किस पार्टी को अपना समर्थन देती है और किसे जीत की गद्दी पर बिठाती है.

साहिबगंजः जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर की दूरी पर एनएच 80 के बगल में देहारी गांव है. इस गांव के पानी में अधिक मात्रा में आर्सेनिक पाया जाता है. यही वजह है कि यहां के ग्रामीण आर्सेनिक युक्त पानी से गंभीर बीमारी का शिकार हो रहे हैं. गांव में ऐसा कोई घर नहीं है, जिसमें कैंसर, टीबी, चर्म रोग जैसी जानलेवा बीमारी का मरीज न हो.

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करोड़ों की योजनाओं का नहीं कोई काम
इस देहारी गांव में लगभग 3000 से अधिक आबादी है. अभी तक 100 से अधिक लोग कैंसर जैसी घातक बीमारी से ग्रसित होकर जान गवा चुके हैं, लेकिन जिला प्रशासन या जनप्रतिनिधि ने इस दिशा में कोई कारगर कदम नहीं उठाया है. समय-समय पर करोड़ों की योजनाओं से आर्सेनिक मुक्त पेयजल के लिए टंकियां तो बनाई जाती हैं, लेकिन कुछ समय के बाद वह खराब हो जाती हैं और फिर लोग आसैनिक फ्लोराइड युक्त पानी पीने को मजबूर हो जाते हैं.


वैज्ञानिकों की राय
विश्व के अन्य देशों से भी वैज्ञानिक यहां शोध के लिए आते हैं. यहां के लोगों के ब्लड, बाल, पानी की जांच करते हैं और हर बार यही पाया जाता है कि इस गांव में आर्सेनिक अधिक मात्रा में मिल रहा है. लोगों को सलाह दी जाती है किसी भी सूरत में इस पानी को न पीएं, नहीं तो कई घातक बीमारियां हो सकती हैं.

ये भी पढ़ें-राहुल गांधी 9 दिसंबर को आएंगे झारखंड, महागठबंधन प्रत्याशियों के लिए मांगेंगे वोट


ग्रामीणों में नेताओं के लिए आक्रोश
सरकार का हर दावा इस गांव में फेल हो जाता है. ग्रामीणों का कहना है कि पिछले 6 महीने से इस गांव में शुद्ध पानी मिल रहा है. अगर बिजली रही तभी पानी मिलता है नहीं तो उन्हें 5 किलोमीटर दूर दूसरे गांव से पानी लाना पड़ता है. ग्रामीणों का कहना है कि अब नेताओं को इस चुनाव में ये याद आ रहा है कि यहां पानी की समस्या है. रोज कोई न कोई नेता उनसे वोट मांग रहे हैं. पिछले 5 साल में कोई भी हमारा हालचाल लेने नहीं आया, लेकिन अब हाथ जोड़कर विनती की जा रही है कि हमें वोट दें.


अनंत ओझा का क्या है कहना
बीजेपी राजमहल प्रत्याशी अनंत ओझा का दावा है कि उनके शासनकाल में ही इस गांव में तीन बड़े आर्सेनिक पानी को फिल्टर करने के लिए टंकियां बनाई गई हैं, जिससे लोगों को पानी मिल रहा है. इसके साथ ही रक्सी स्थान से भी खराब पड़े मशीन को ठीक कराया गया है, जिसके जरिए नलों में पानी दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जो भी कमोबेश समस्या रह गई हो यदि जनता दोबारा मौका देती है तो हमारी पार्टी इस दिशा में और भी बेहतर काम करेगी.


बता दें कि, देहारी गांव की समस्या आज की नई समस्या नहीं है यह सालों पुरानी समस्या है. आर्सेनिक युक्त पानी पीने से लोगों को घातक बीमारी हो रही है. इस गांव में भयावह स्थिति बनी हुई है. अब तो लोग गांव को छोड़कर दूसरे जगह बसने को मजबूर हैं. वहीं, चुनावी प्रचार-प्रसार जोरों पर है और यहां 20 दिसंबर को मतदान होना है. देखना होगा कि जनता किस पार्टी को अपना समर्थन देती है और किसे जीत की गद्दी पर बिठाती है.

Intro:आर्सेनिक युक्त पानी पीने को मजबूर यह देहारी गॉव का ग्रामीण। करोड़ो खर्च के बाबजूद लोगो को नही मिला शुद्ध पेयजल। ग्रामीणों ने बनाया चुनावी मुद्दा। चुनाव में नेताओ का अब आया याद। दिला रहे है भरोसा।
एक सौ से अधिक लोग गंभीर बीमारी से ग्रसित होकर जान गवा चुके है। बच्चे,बूढ़े, महिला और जवान लोग शामिल है। हर एक घर मे एक आदमी किसी न किसी बीमारी से ग्रसित है। आज तक स्थाई निदान नही हो पाया। करोड़ों खर्च से पहले भी टंकी बनाया गया था लेकिन खरब हो गया। 6 महीना से इस गॉव में तीन टंकी बनाया गया है ताकि फ़िल्टर कर शुद्ध पेयजल मिले लेकिन वो भी नसीब नही हो रहा है। लोगो मे आक्रोश है। इस बार इस आर्सेनिक पानी को चुनावी मुद्दा बना चुके है।


Body:आर्सेनिक युक्त पानी पीने को मजबूर यह देहारी गॉव का ग्रामीण। करोड़ो खर्च के बाबजूद लोगो को नही मिला शुद्ध पेयजल। ग्रामीणों ने बनाया चुनावी मुद्दा। चुनाव में नेताओ का अब आया याद। दिला रहे है भरोसा।
स्पेशल स्टोरी- साहिबगंज-- जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर का दूरी पर nh 80 के बगल में देहारी गांव है इस गांव का दुर्भाग्य है कि इस गांव का पानी में अधिक मात्रा में आयरन पाया जाता है। यही वजह है कि इस गॉव का ग्रामीण आर्सेनिक युक्त पानी पीकर लोग गंभीर बीमारी से ग्रसित हो रहे हैं। बूढ़े ,जवान, बच्चा और महिला समय से पूर्व कैंसर, टीवी ,चर्म रोग सहित अन्य बीमारी से ग्रसित होकर समय से पहले जान गवा देते हैं। इस गांव में एक भी घर ऐसा नहीं है की कोई बीमार नहीं है हर घर में एक आदमी टीवी,कैंसर या चर्म रोग से पीड़ित है समय से पहले बुढ़ापा दिखने लगता है।
इस बिहारी गांव में लगभग तीन हजार से अधिक आबादी है और अभी तक एक सौ से अधिक लोग कैंसर जैसी घातक बीमारी से ग्रसित होकर जान गवां चुके हैं लेकिन अभी तक जिला प्रशासन या जनप्रतिनिधि के द्वारा इस दिशा में कारगर कदम नहीं उठाया गया। समय-समय पर करोड़ों की योजना से आर्सेनिक मुक्त पेयजल के लिए टंकी तो बनाए जाते हैं लेकिन कुछ समय के बाद खराब हो जाता है और फिर लोग मजबूरन असैनिक,फ्लोराइड युक्त पानी पीने को मजबूर हो जाते हैं।
विश्व के अन्य देशों से भी वैज्ञानिक यहां शोध के लिए आते हैं यहां के लोगों को ब्लड, बाल, पानी का जांच करते हैं और पाया जाता है कि यहां इस गांव में आर्सेनिक अधिक मात्रा में मिल रहा है लोगों को सलाह दी जाती है किसी भी सूरत में इस पानी को ना पिये नहीं तो कई घातक बीमारी पकड़ सकता है।
सरकार का हर दावा इस गांव में फेल हो जाता है ग्रामीणों का कहना है कि पिछले 6 महीना से इस गांव में शुद्ध पानी मिल रहा है बिजली रहता है तो मिलता है नहीं तो मजबूरन अपने घर का पानी हम लोग पीते हैं या 5 किलोमीटर दूर जाकर दूसरे गांव से पानी लाकर पीना पड़ता है आज चार दिनों का के बाद इस नल से पानी मिल रहा है और इतना धीरे धीरे चल रहा है कि सभी लोगों को पानी नसीब नहीं हो पाता है। ग्रामीणों का कहना है कि अब नेताओं को इस चुनाव में याद आ रहा है लगातार नेताओं का दौर चालू है पिछले 5 साल में कोई भी हमारा हालचाल लेने नहीं आया लेकिन अब हाथ जोड़कर विनती किया जा रहा है कि हमें वोट दे और आपकी जो समस्या होगी निदान की जाएगी लेकिन ग्रामीण में काफी आक्रोश है इस पानी को लेकर चुनावी मुद्दा का मन बना चुके हैं।
बाइट-- ग्रामीण,1,2,3,4,5
राजमहल भाजपा प्रत्याशी का दावा है कि भाजपा के शासनकाल में ही इस गांव में तीन बड़ा बड़ा आर्सेनिक को फिल्टर करने के लिए टंकी बनाया गया है और लोगों को पानी मिल रहा है साथी ही रक्सी स्थान से भी खराब पड़े मशीन को ठीक करा कर चालू कर दिया गया है उस माध्यम से भी इस गांव में नलकूप के द्वारा पानी दिया जा रहा है जो भी कमोबेश समस्या रह गई हो यदि जनता दोबारा मौका देती है तो मैं इस दिशा में और भी बेहतर कर के दिखाएंगे।
बाइट-- अनंत ओझा, राजमहल भाजपा प्रत्याशी


Conclusion:डिहारी गांव की समस्या आज की नई समस्या नहीं है यह वर्षों पुरानी समस्या बनी हुई है इस आर्सेनिक युक्त पानी पीने से लोगों घातक बीमारी हो रही है इस गांव में भयावह स्थिति बनी हुई है। अब तो लोग इस गांव को छोड़कर दूसरे जगह बसने को मजबूर है चुनाव कौर प्रचार प्रसार का माहौल है। 20 दिसम्बर को मतदान होना है। सभी दल के प्रत्याशी कसम खाते हैं वादा करते हैं जितने के बाद 5 साल तक इस गांव को झांकने तक नहीं आते हैं। जबकि अब चुनाव का पर्व है तो लोग इस गांव के लोगों को लुभाने में जुट चुके हैं अपने किए कार्य का दावा कर रहे हैं तो किसी ने ग्रामीणों का हमदर्द बनते दिख रहे हैं।
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