रांची: पूरी दुनिया आज 29 जुलाई को विश्व टाइगर दिवस मना रही है. इस दिन के सेलिब्रेशन का मकसद टाइगर संरक्षण के लिए दुनिया को जागरूक करना है. ऐसी स्थिति में हम झारखंड में टाइगर के संरक्षण पर विचार करते हैं तो चिंताजनक स्थिति सामने आता है. यह हाल तब है जब झारखंड के पलामू में टाइगर रिजर्व की स्थापना की गई है. बहरहाल, बच्चों को टाइगर संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए राजधानी के बिरसा मुंडा जैविक उद्यान में क्विज कॉम्प्टीशन का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न स्कूल के बच्चों से बाघों एवं उनके प्रजातियों के बारे में प्रश्न पूछे गए.
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बता दें कि राजधानी के चिड़ियाघर में नर बाघ मालिक और जावा हैं. वहीं मादा बाघों में गौरी, अनुष्का, लक्ष्मी, सरस्वती, कृष्णा, कावेरी और ताप्ती हैं, जो यहां आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं. चिड़ियाघर के प्रबंधक व मुख्य चिकित्सक डॉक्टर ओम प्रकाश साहू ने बताया कि जिस तरह से आज बाघों की प्रजातियां कम हो रही हैं, यह चिंता का विषय है. जरूरत है कि बाघों के संरक्षण और उनकी सुरक्षा पर एक-एक व्यक्ति के ध्यान देने की. साथ ही टाइगर सफारी या सेंचुरी का निर्माण किया जाय ताकि बाघ प्रजनन भी होता रहे.
डॉ. ओम प्रकाश साहू का कहना है कि चिड़ियाघर में बाघों को प्रजनन प्रक्रिया कराने के लिए दिक्कतें आती हैं लेकिन यदि टाइगर सफारी या सेंचुरी बने तो बाघ प्राकृतिक प्रक्रिया के तहत नर मादा संबंध बनाकर प्रजनन की प्रक्रिया आसानी से पूरा कर सकते हैं. वहीं चिड़ियाघर में आए पर्यटकों ने भी कहा कि जिस तरह से आज हमारे वातावरण से बाघों की संख्या कम रही है, यह निश्चित रूप से चिंता का विषय है, हम आम लोगों की भी जिम्मेदारी बनती है कि जंगली क्षेत्र में रह रहे बाघों और उनकी प्रजातियां की सुरक्षा में योगदान दें.