रांचीः स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, केंद्रीय मनश्चिकित्सा संस्थान और विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से दो दिवसीय कुष्ठ रोगियों के लिए मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का एकीकरण विषय परकार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम और राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम, कुष्ठ संस्थान, शिक्षा, नागरिक समाज संगठनों के अधिकारी शामिल हुए.
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कार्यशाला में उस्थित लोगों को संबोधित करते हुए DGHS के डॉ अनिल कुमार ने कहा कि आज राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम का दायरा बड़ा किया गया है. उन्होंने कहा कि कुष्ठ प्रभावित व्यक्तियों की सहायता के लिए राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के साथ एकीकृत किया गया है. उन्होंने कहा कि कार्यशाला का उद्देश्य कुष्ठ रोग से प्रभावित व्यक्तियों को मानसिक भलाई के लिए एकीकृत सेवाएं उपलब्ध कराना है. इसको लेकर रूपरेखा तैयार किया जा रहा है.
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त निदेशक राजीव मांझी ने कहा कि कुष्ठ रोग को लेकर समाज में काफी भेदभाव है. उन्होंने कहा कि कुष्ठ रोग से ग्रस्त लोगों को समाज में भेदभाव का शिकार होना पड़ता है. इसका खामिजाया परिवार के लोग भी भुगतते हैं. उन्होंने कहा कि कुष्ठ रोगियों के लिए मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के इस एकीकरण कार्यक्रम से कुरीतियों को दूर करेंगे. इस कार्यक्रम की मदद से कुष्ठ रोगियों को समावेशी देखभाल के साथ साथ उनकी बीमारियों को ठीक करने की प्रक्रिया में तेजी लायेंगे.
कार्यशाला में वक्ताओं ने कहा कि कुष्ठ रोग बैक्टीरिया से फैलने वाली बीमारी है, जो पूरी तरह से ठीक हो सकता है. अब समय आ गया है कि कुष्ठ रोग से प्रभावित व्यक्तियों और उनके परिवारों के साथ भेदभाव करना बंद किया जाए और उनके मानसिक स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के साथ-साथ उनके इलाज और देखभाल का समर्थन किया जाए.