रांची: झारखंड में मानसून का देर आगमन और वर्षापात में कमी से सुखाड़ जैसी परिस्थिति को देखते हुए बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में कृषि योजना विषय पर राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस मौके पर समारोह के मुख्य अतिथि बिहार (भागलपुर) कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर ए के सिंह मौजूद रहे. कार्यक्रम की शुरुआत विधिवत दीप प्रज्वलित कर किया गया.
कार्यक्रम में मौजूद कृषि विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक ए के बदूद ने कहा की विगत वर्षों में झारखंड राज्य के मानसून मौसम में काफी विविधता देखने को मिल रहा है. कृषि वैज्ञानिकों को इस आपात स्थिति के लिए भावी रणनीति तय कर कृषि विकास की योजना बनाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि बीएयू वैज्ञानिको ने सभी 24 जिला का जिला वार आकाश में कार्ययोजना तैयार करने का रूपरेखा तैयार कर ली है. उन्होंने कहा कि राज्य में जून माह में करीब 55% कम वर्षा पात हुई जबकि 17 जुलाई तक 40% कम वर्षा पात रिकॉर्ड किया गया.
बीएयू कुलपति आर एस कुरान ने कहा कि झारखंड में 18 लाख हेक्टेयर भूमि में धान की खेती की जाती है, हालांकि मॉनसून की बेरुखी की वजह से अब तक मात्र 1 लाख हेक्टेयर भूमि में धान की बुवाई हो चुकी है. आंकड़े की बेरुखी से साफ है कि झारखंड में दूसरे साल भी सुखाड़ की स्थिति बन रही है. 1 जून से 16 जुलाई तक राज्य स्तर पर औसत 33% कम वर्षा हुई है, जिसमें सबसे ज्यादा गंभीर स्थिति खूंटी जिले की है. कुलपति ने संबोधन में कहा कि स्थिति निश्चित तौर पर चिंताजनक है.