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BAU में राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन, मॉनसून की बेरुखी पर हुई चर्चा

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में कृषि योजना पर राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि भागलपुर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुरुआत किया.

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय
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Published : Jul 20, 2019, 4:06 AM IST

रांची: झारखंड में मानसून का देर आगमन और वर्षापात में कमी से सुखाड़ जैसी परिस्थिति को देखते हुए बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में कृषि योजना विषय पर राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस मौके पर समारोह के मुख्य अतिथि बिहार (भागलपुर) कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर ए के सिंह मौजूद रहे. कार्यक्रम की शुरुआत विधिवत दीप प्रज्वलित कर किया गया.

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कार्यक्रम में मौजूद कृषि विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक ए के बदूद ने कहा की विगत वर्षों में झारखंड राज्य के मानसून मौसम में काफी विविधता देखने को मिल रहा है. कृषि वैज्ञानिकों को इस आपात स्थिति के लिए भावी रणनीति तय कर कृषि विकास की योजना बनाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि बीएयू वैज्ञानिको ने सभी 24 जिला का जिला वार आकाश में कार्ययोजना तैयार करने का रूपरेखा तैयार कर ली है. उन्होंने कहा कि राज्य में जून माह में करीब 55% कम वर्षा पात हुई जबकि 17 जुलाई तक 40% कम वर्षा पात रिकॉर्ड किया गया.


बीएयू कुलपति आर एस कुरान ने कहा कि झारखंड में 18 लाख हेक्टेयर भूमि में धान की खेती की जाती है, हालांकि मॉनसून की बेरुखी की वजह से अब तक मात्र 1 लाख हेक्टेयर भूमि में धान की बुवाई हो चुकी है. आंकड़े की बेरुखी से साफ है कि झारखंड में दूसरे साल भी सुखाड़ की स्थिति बन रही है. 1 जून से 16 जुलाई तक राज्य स्तर पर औसत 33% कम वर्षा हुई है, जिसमें सबसे ज्यादा गंभीर स्थिति खूंटी जिले की है. कुलपति ने संबोधन में कहा कि स्थिति निश्चित तौर पर चिंताजनक है.

रांची: झारखंड में मानसून का देर आगमन और वर्षापात में कमी से सुखाड़ जैसी परिस्थिति को देखते हुए बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में कृषि योजना विषय पर राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस मौके पर समारोह के मुख्य अतिथि बिहार (भागलपुर) कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर ए के सिंह मौजूद रहे. कार्यक्रम की शुरुआत विधिवत दीप प्रज्वलित कर किया गया.

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कार्यक्रम में मौजूद कृषि विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक ए के बदूद ने कहा की विगत वर्षों में झारखंड राज्य के मानसून मौसम में काफी विविधता देखने को मिल रहा है. कृषि वैज्ञानिकों को इस आपात स्थिति के लिए भावी रणनीति तय कर कृषि विकास की योजना बनाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि बीएयू वैज्ञानिको ने सभी 24 जिला का जिला वार आकाश में कार्ययोजना तैयार करने का रूपरेखा तैयार कर ली है. उन्होंने कहा कि राज्य में जून माह में करीब 55% कम वर्षा पात हुई जबकि 17 जुलाई तक 40% कम वर्षा पात रिकॉर्ड किया गया.


बीएयू कुलपति आर एस कुरान ने कहा कि झारखंड में 18 लाख हेक्टेयर भूमि में धान की खेती की जाती है, हालांकि मॉनसून की बेरुखी की वजह से अब तक मात्र 1 लाख हेक्टेयर भूमि में धान की बुवाई हो चुकी है. आंकड़े की बेरुखी से साफ है कि झारखंड में दूसरे साल भी सुखाड़ की स्थिति बन रही है. 1 जून से 16 जुलाई तक राज्य स्तर पर औसत 33% कम वर्षा हुई है, जिसमें सबसे ज्यादा गंभीर स्थिति खूंटी जिले की है. कुलपति ने संबोधन में कहा कि स्थिति निश्चित तौर पर चिंताजनक है.

Intro:रांची
बाइट---ए के बदूद बिरसा कृषि विश्वविद्यालय मौसम वैज्ञानिक
बाइट--- डॉ आर एस कुरान कुलपति बिरसा कृषि विश्वविद्यालय(चौड़ा फेस)


झारखंड राज्य में देर से मानसून का आगमन एवं आगमन के बाद वर्षा पात में कमी से सुखार जैसी परिस्थिति को देखते हुए बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा द्वारा आकाश में कृषि योजना विषय पर राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया मौके पर समारोह के मुख्य अतिथि बिहार के कृषि विश्वविद्यालय सबौर भागलपुर के कुलपति डॉक्टर ए के सिंह मुख्य रूप से मौजूद रहे। कार्यक्रम की शुरुआत विधिवत दीप प्रज्वलित कर किया गया।


Body:मौके पर मौजूद कृषि विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक ए के बदूद ने कहां की विगत वर्षों में झारखंड राज्य के मानसून मौसम में काफी विविधता बदलाव देखने को मिल रहा है कृषि वैज्ञानिको को इस आपात स्थिति के लिए भावी रणनीति तय कर कृषि विकास की योजना बनाने की जरूरत है उन्होंने कहा कि बीएयू वैज्ञानिको ने सभी 24 जिला का जिला वार आकाश में कार्ययोजना तैयार करने का रूपरेखा तैयार कर ली है। उन्होंने कहा कि राज्य में जून माह में करीब 55% कम वर्षा पात हुई जबकि 17 जुलाई तक 40% कम वर्षा पात रिकॉर्ड किया गया मॉनसून की इस विषम आपात स्थिति के कारण विभिन्न फसलों का कुल 17% ही अच्छादान हुआ है जिसको लेकर उन्होंने आकस्मिक कृषि योजना को लेकर विस्तृत चर्चा किसानों के साथ किया।


Conclusion:वहीं कुलपति आर एस कुरान ने कहा कि झारखंड में 18 लाख हेक्टेयर भूमि में धान की खेती की जाती है हालांकि मॉनसून की बेरुखी की वजह से अब तक मात्र 1 लाख हेक्टेयर भूमि में धान की बुवाई हो चुकी है आंकड़े की बेरुखी से साफ है कि झारखंड में दूसरे साल भी सुखाड़ की स्थिति बन रही है 1 जून से 16 जुलाई तक राज्य स्तर पर औसत 33% कम वर्षा हुई है सबसे ज्यादा गंभीर स्थिति खूंटी जिले की है जहां 61% से भी कम बारिश हुई है गुड्डा और पाकुड़ की भी स्थिति चिंताजनक है बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित आकाश में कृषि योजना के दौरान चर्चा करते हुए कुलपति ने कहा कि स्थिति निश्चित तौर पर चिंताजनक है
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