रांची: झारखंड के परंपरागत हाट-बाजार और रिक्शा स्टैंड जैसी जगहों के इर्द-गिर्द ग्रामीण महिलाओं को हड़िया-दारु बेचते देखना आम बात है, लेकिन अपमान की यह तस्वीर अब बदलने लगी है. महिलाओं को इस पेशे से मुक्ति दिलाने के लिए एक माह पूर्व शुरू फुलो-झानो आशीर्वाद अभियान ने असर दिखाना शुरू कर दिया है. ग्रामीण विकास विभाग की पहल पर अब तक सूबे में 16 हजार 549 ऐसी महिलाओं को चिन्हित किया गया है, जो हड़िया-दारु बेचने को मजबूर थी. इनमें से 7117 महिलाओं को आजीविका के सम्मानजनक वैकल्पिक साधन से जोड़ा जा चुका है.
ग्रामीण विकास सचिव आराधना पटनायक ने राज्य के सभी जिलों की सखी मंडल से जुड़ी नवजीवन दीदियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से फुलो-झानो आशीर्वाद अभियान की जानकारी ली. सचिव ने नवजीवन दीदी और सखी मंडल की बहनों से मिशन नवजीवन सर्वेक्षण में हड़िया दारु की बिक्री से जुड़ी 16 हजार 549 चिन्हित ग्रामीण महिलाओं को जल्द से जल्द काउंसेलिंग कर सम्मानजनक आजीविका के साधन से जोड़ने की अपील की. चिन्हित महिलाओं में से अबतक करीब 7117 महिलाएं इन कार्यों को छोड़कर मुख्यधारा में आ चुकी हैं. उनको अच्छी आय हो इसके लिए दो या ज्यादा आजीविका के वैकल्पिक साधन और ब्याज मुक्त 10 हजार लोन की व्यवस्था भी की गई है. अब हड़िया दारु बिक्री छोड़ चुकी दीदियों के नियमित अनुश्रवन पर फोकस किया जा रहा है.
समाज को कुप्रथा मुक्त बनाने में सखी मंडल की भूमिका सराहनीय
सचिव ने फुलो झानो आशीर्वाद अभियान के जरिए हड़िया-दारू बिक्री और निर्माण का पेशा छोड़ा चुकी महिलाएं को बधाई दी. दूसरों को प्रेरित करने की अपील की, ताकि समाज को कुप्रथा मुक्त बनाया जा सके. उन्होंने सभी दीदियों को कुपोषण, स्वच्छता के खिलाफ भी कार्य करने की बात कही. उन्होंने दीदी बाड़ी योजना का लाभ लेने पर जोर दिया, ताकि समाज को कुपोषण मुक्त, शराबमुक्त, डायन प्रथा मुक्त करने की बात कही. उन्होंने कहा कि राज्य में डायन-बिसाही के नाम पर महिला उत्पीड़न को खत्म करने के लिए भी ग्रामीण विकास विभाग के तहत झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी की ओर से गरिमा प्रोजेक्ट के तहत कार्य शुरू किया जा रहा है. उन्होने नवजीवन दीदी से अपील करते हुए कहा कि आप अपने गावं और आस-पास सभी वैसे दीदियों को भी प्रेरित करें, जो अभी भी हड़िया-दारु बिक्री का कार्य कर रही है. आर्थिक मदद के लिए सखी मंडल से ब्याजमुक्त कर्ज का भी प्रावधान है, साथ ही झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी के द्वारा आजीविका सशक्तिकरण के लिए तकनीकी मदद भी दी जा रही है. कल तक हड़िया-दारु की बिक्री से जुड़ी 342 ग्रामीण महिलाओं को नवजीवन दीदी के रुप में प्रशिक्षित किया गया है. ये दीदियां अपने इलाके में दूसरों के लिए प्रेरणा तो हैं ही साथ ही अन्य दीदियों को इस कुप्रथा से बाहर निकलने में मदद कर रही हैं.
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योजना से जुड़कर अच्छी कमाई कर रहीं महिलाएं
गिरिडीह जिला के डुमरी प्रखंड की श्वेता हांसदा पिछले 3 साल से हड़िया-दारु बेचती थी. आर्थिक दिक्कतों के चलते श्वेता हड़िया-दारु निर्माण और बिक्री के कार्य से 2 से 3 हजार महीना कमाती थी. फुलो झानो आशीर्वाद अभियान से जुड़कर श्वेता ने सखी मंडल से लोन लेकर राशन की दुकान खोली और दो महीने से 6 हजार रुपये कमाई कर रही है. वहीं, पलामू के सतबरवा की संजू देवी ने अपनी आपबीती ग्रामीण विकास सचिव से साझा की. उन्होंने कहा कि वो 2017 से शराब बिक्री कर रही थी. उनके गांव की 12 महिलाएं इस काम से जुड़ी थी, अब सबने हड़िया-दारु की बिक्री छोड़ दी है. संजू ने लोन लेकर सिलाई मशीन खरीदा है, साथ ही खेती पशुपालन भी कर रही है. संजू के मुताबिक सभी 12 महिलाएं सखी मंडल के जरिए मुर्गी पालन, बकरी पालन, खेती, व्यवसाय और दीदी बाड़ी योजना का लाभ भी ले रही हैं.
झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी के सीईओ राजीव कुमार ने नवजीवन दीदियों से जल्द से जल्द राज्य को हड़िया-दारु बिक्री से मुक्त करने की अपील की. साथ ही आजीविका सशक्तिकरण के लिए ग्रामीण विकास की योजनाओं से जुड़कर लाभ लेने की बात भी कही ताकि उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके.