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झारखंड विधानसभा शीतकालीन सत्र का तीसरा दिन: सदन में सरकार का जवाब, तीन वर्षों में जेएसएससी के माध्यम से सिर्फ 357 नियुक्तियां हुईं

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Published : Dec 21, 2022, 8:54 PM IST

झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र (Winter Session Of Jharkhand Assembly) के दौरान नियोजन नीति पर तीसरे दिन भी विपक्ष के नेता सरकार पर सवालों के तीर चलाते रहे. इस पर राज्य सरकार ने भी माना कि तीन साल में जेएसएससी के द्वारा सिर्फ 357 नियुक्तियां हुई हैंं.

Winter Session Of Jharkhand Assembly
Rajmahal MLA Anant Kumar Ojha

रांची: शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन भी नियोजन नीति रद्द होने का मुद्दा झारखंड विधानसभा में छाया रहा. इस दौरान विपक्ष के नेता सरकार पर वादों के अनुसार झारखंड के नौजवानों को रोजगार देने में विफल होने का आरोप लगाते रहे. विधानसभा में राज्य सरकार ने भी माना कि तीन साल में जेएसएससी (झारखंड कर्मचारी चयन आयोग) के द्वारा सिर्फ 357 नियुक्तियां (Less Appointments In Three Years) की गईं हैं. भाजपा के राजमहल विधायक अनंत कुमार ओझा के अल्प सूचित प्रश्न पर सरकार की ओर से यह जवाब दिया गया है.

ये भी पढे़ं-नौजवानों के साथ मिलकर निकालेंगे नियोजन का रास्ता, सदन में बोले सीएम, केंद्र के कारण राज्यों पर बढ़ा दबाव

राजमहल विधायक ने पूछा सरकार से सवालः राजमहल विधायक अनंत ओझा (Rajmahal MLA Anant Kumar Ojha)ने पूछा था कि क्या यह बात सही है कि राज्य में विभिन्न विभागों में स्वीकृत पद की तुलना में सिर्फ 35 फीसदी ही पदाधिकारी और कर्मचारी पदस्थापित हैं. जिससे सभी विभागों के कार्यों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है और विकास की योजनाएं बाधित हो रही हैं. इसके अलावा एक प्रश्न यह भी पूछा गया था कि क्या यह बात सही है कि विगत तीन वर्षों में नियोजन के लिए स्थानीय आधार तय नहीं हो पाने के कारण राज्य में एक भी नियुक्तियां नहीं हो पाई हैं और यदि नियुक्तियां हुईं भी तो उनके नियोजन का आधार क्या है.

सरकार ने दिया जवाबः इसके जवाब में सरकार की ओर से बताया गया कि गृह, कारा और आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा गठित नियुक्ति नियमावली के आधार पर झारखंड वैज्ञानिक सहायक प्रतियोगिता परीक्षा 2021 के तहत 58 रिक्त पदों की नियुक्ति के लिए अनुशंसा भेजी गई है. अब तक 56 कर्मियों की नियुक्ति हो चुकी है. वहीं हाईकोर्ट के द्वारा न्यायादेश के तहत में श्रेणी ए की परिचारिका के लिए प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित कर 333 पदों पर नियुक्ति के लिए भेजी गई है. जिसमें से अब तक 301 कर्मियों की नियुक्ति हो चुकी है.

वर्तमान में 18 अप्रैल 2016 को जारी अधिसूचना के तहत लागू है स्थानीयताः अनंत ओझा के अल्प सूचित प्रश्न का जवाब देते हुए सरकार की ओर से यह भी बताया गया है कि वर्तमान में विभागीय संकल्प संख्या 3198 दिनांक 18 अप्रैल 2016 द्वारा झारखंड के स्थानीय निवासी की परिभाषा और पहचान संसूचित है. इसके अलावा संकल्प संख्या 9567 दिनांक 11 नवंबर 2016 द्वारा गैर अनुसूचित जिलों, प्रमंडल स्तरीय पदों और राज्य स्तरीय पदों की रिक्तियों के मामले में अन्य सभी मामलों में समानता होने पर झारखंड के स्थानीय निवासियों को नियोजन में प्राथमिकता का प्रावधान है. सरकार की ओर से यह भी जवाब दिया गया कि अधिसूचना संख्या 5938 दिनांक 14 जुलाई 2016 द्वारा 13 अनुसूचित जिलों और संकल्प संख्या 3854 दिनांक 1 जून 2018 द्वारा राज्य के 11 गैर अनुसूचित जिलों में जिला स्तरीय वर्ग तीन और वर्ग चार के पदों पर नियुक्ति संबंधित जिलों के स्थानीय निवासी को पात्र माना गया है. सरकार ने यह भी अपने जवाब में स्पष्ट किया है कि डब्ल्यूपीसी नंबर 1387 /2017 सोनी कुमारी और अन्य बनाम झारखंड राज्य एवं अन्य और संलग्न वादों में दिनांक 21 सितंबर 2020 में पारित न्यायादेश द्वारा अधिसूचना संख्या 5938 दिनांक 14 जुलाई 2016 को निरस्त किया गया है.

रांची: शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन भी नियोजन नीति रद्द होने का मुद्दा झारखंड विधानसभा में छाया रहा. इस दौरान विपक्ष के नेता सरकार पर वादों के अनुसार झारखंड के नौजवानों को रोजगार देने में विफल होने का आरोप लगाते रहे. विधानसभा में राज्य सरकार ने भी माना कि तीन साल में जेएसएससी (झारखंड कर्मचारी चयन आयोग) के द्वारा सिर्फ 357 नियुक्तियां (Less Appointments In Three Years) की गईं हैं. भाजपा के राजमहल विधायक अनंत कुमार ओझा के अल्प सूचित प्रश्न पर सरकार की ओर से यह जवाब दिया गया है.

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राजमहल विधायक ने पूछा सरकार से सवालः राजमहल विधायक अनंत ओझा (Rajmahal MLA Anant Kumar Ojha)ने पूछा था कि क्या यह बात सही है कि राज्य में विभिन्न विभागों में स्वीकृत पद की तुलना में सिर्फ 35 फीसदी ही पदाधिकारी और कर्मचारी पदस्थापित हैं. जिससे सभी विभागों के कार्यों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है और विकास की योजनाएं बाधित हो रही हैं. इसके अलावा एक प्रश्न यह भी पूछा गया था कि क्या यह बात सही है कि विगत तीन वर्षों में नियोजन के लिए स्थानीय आधार तय नहीं हो पाने के कारण राज्य में एक भी नियुक्तियां नहीं हो पाई हैं और यदि नियुक्तियां हुईं भी तो उनके नियोजन का आधार क्या है.

सरकार ने दिया जवाबः इसके जवाब में सरकार की ओर से बताया गया कि गृह, कारा और आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा गठित नियुक्ति नियमावली के आधार पर झारखंड वैज्ञानिक सहायक प्रतियोगिता परीक्षा 2021 के तहत 58 रिक्त पदों की नियुक्ति के लिए अनुशंसा भेजी गई है. अब तक 56 कर्मियों की नियुक्ति हो चुकी है. वहीं हाईकोर्ट के द्वारा न्यायादेश के तहत में श्रेणी ए की परिचारिका के लिए प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित कर 333 पदों पर नियुक्ति के लिए भेजी गई है. जिसमें से अब तक 301 कर्मियों की नियुक्ति हो चुकी है.

वर्तमान में 18 अप्रैल 2016 को जारी अधिसूचना के तहत लागू है स्थानीयताः अनंत ओझा के अल्प सूचित प्रश्न का जवाब देते हुए सरकार की ओर से यह भी बताया गया है कि वर्तमान में विभागीय संकल्प संख्या 3198 दिनांक 18 अप्रैल 2016 द्वारा झारखंड के स्थानीय निवासी की परिभाषा और पहचान संसूचित है. इसके अलावा संकल्प संख्या 9567 दिनांक 11 नवंबर 2016 द्वारा गैर अनुसूचित जिलों, प्रमंडल स्तरीय पदों और राज्य स्तरीय पदों की रिक्तियों के मामले में अन्य सभी मामलों में समानता होने पर झारखंड के स्थानीय निवासियों को नियोजन में प्राथमिकता का प्रावधान है. सरकार की ओर से यह भी जवाब दिया गया कि अधिसूचना संख्या 5938 दिनांक 14 जुलाई 2016 द्वारा 13 अनुसूचित जिलों और संकल्प संख्या 3854 दिनांक 1 जून 2018 द्वारा राज्य के 11 गैर अनुसूचित जिलों में जिला स्तरीय वर्ग तीन और वर्ग चार के पदों पर नियुक्ति संबंधित जिलों के स्थानीय निवासी को पात्र माना गया है. सरकार ने यह भी अपने जवाब में स्पष्ट किया है कि डब्ल्यूपीसी नंबर 1387 /2017 सोनी कुमारी और अन्य बनाम झारखंड राज्य एवं अन्य और संलग्न वादों में दिनांक 21 सितंबर 2020 में पारित न्यायादेश द्वारा अधिसूचना संख्या 5938 दिनांक 14 जुलाई 2016 को निरस्त किया गया है.

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