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पारिवारिक पेंशन के लिए 40 साल से भटक रही विधवा को मिला न्याय, हाई कोर्ट ने झारखंड सरकार पर लगाया जुर्माना

पारिवारिक पेंशन के लिए 40 साल से भटक रही विधवा को झारखंड हाई कोर्ट से आखिरकार न्याय मिल ही गया. झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश डॉ एसएन पाठक की अदालत ने जसुमति पिंगुआ की दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को 10 प्रतिशत ब्याज सहित पेंशन भुगतान का आदेश दिया है. अदालत ने पेंशन देने में सरकार को इतने विलंब होने के कारण 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है.

Widow wandering for 40 years got justice for family pension in ranchi
झारखंड हाई कोर्ट
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Published : Mar 3, 2020, 9:11 PM IST

रांची: पारिवारिक पेंशन के लिए भटक रही महिला को आखिरकार 40 साल के बाद झारखंड हाई कोर्ट से न्याय मिल गया. जस्टिस डॉक्टर एसएन पाठक की अदालत ने सरकार को पेंशन भुगतान करने का आदेश दिया है. इतने दिन विलंब होने के कारण अदालत ने सरकार पर 50 हजार का जुर्माना लगाते हुए प्रार्थी को 10 प्रतिशत ब्याज सहित पेंशन की भुगतान करने का आदेश दिया है.

देखें पूरी खबर

सरकार पर 50 हजार रुपए का जुर्माना

पारिवारिक पेंशन के लिए 40 साल से भटक रही विधवा को झारखंड हाई कोर्ट से आखिरकार न्याय मिल ही गया. झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश डॉ एसएन पाठक की अदालत ने जसुमति पिंगुआ की दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को 10 प्रतिशत ब्याज सहित पेंशन भुगतान का आदेश दिया है. अदालत ने पेंशन देने में सरकार को इतने विलंब होने के कारण 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. याचिकाकर्ता जसुमति पिंगुआ के अधिवक्ता शादाब बिन हक ने बताया कि याचिकाकर्ता की याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने यह माना कि पेंशन का भुगतान सरकार को पहले ही करना चाहिए था, लेकिन वह नहीं किया गया, जो कि गलत है. अधिवक्ता ने यह भी माना कि देर से भी अगर कोई दावा करता है, तो आप किसी के बकाए पेंशन को नहीं रोका जा सकता है.

याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट के एसके मस्तान मामले में दिए गए आदेश का हवाला दिया था. इसमें याचिकाकर्ता ने कहा कि किसी को देर से पेंशन की मांग करने का मतलब यह नहीं है कि उसके पेंशन को रोक दिया जाए. यह सरकार का काम है कि पेंशन की गणना कर भुगतान करें, जबकि सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि यह समय पर जमा नहीं किए हैं. इसलिए पेंशन नहीं दी गई. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के उपरांत पेंशन की भुगतान करने का आदेश दिया है.

पति के मृत्यु के बाद नहीं मिल रहा था पेंशन
बता दें कि याचिकाकर्ता जसुमति पिंगुआ के पति सिंहभूम के तक्करबापा उच्च विद्यालय में शिक्षक के पद पर पदस्थापित थे. उनकी मृत्यु होने के उपरांत उन्हें पारिवारिक पेंशन नहीं दिया गया था. साल 1976 में उनकी मृत्यु हुई थी. पेंशन के लिए वह गुहार लगाती रही, लेकिन सरकार से उसे पेंशन नहीं मिला. जिसके बाद साल 2016 में पत्नी जसुमति पिंगुआ ने झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. उस याचिका पर सुनवाई के उपरांत अदालत ने सरकार को पेंशन भुगतान करने का आदेश दिया है.

रांची: पारिवारिक पेंशन के लिए भटक रही महिला को आखिरकार 40 साल के बाद झारखंड हाई कोर्ट से न्याय मिल गया. जस्टिस डॉक्टर एसएन पाठक की अदालत ने सरकार को पेंशन भुगतान करने का आदेश दिया है. इतने दिन विलंब होने के कारण अदालत ने सरकार पर 50 हजार का जुर्माना लगाते हुए प्रार्थी को 10 प्रतिशत ब्याज सहित पेंशन की भुगतान करने का आदेश दिया है.

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सरकार पर 50 हजार रुपए का जुर्माना

पारिवारिक पेंशन के लिए 40 साल से भटक रही विधवा को झारखंड हाई कोर्ट से आखिरकार न्याय मिल ही गया. झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश डॉ एसएन पाठक की अदालत ने जसुमति पिंगुआ की दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को 10 प्रतिशत ब्याज सहित पेंशन भुगतान का आदेश दिया है. अदालत ने पेंशन देने में सरकार को इतने विलंब होने के कारण 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. याचिकाकर्ता जसुमति पिंगुआ के अधिवक्ता शादाब बिन हक ने बताया कि याचिकाकर्ता की याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने यह माना कि पेंशन का भुगतान सरकार को पहले ही करना चाहिए था, लेकिन वह नहीं किया गया, जो कि गलत है. अधिवक्ता ने यह भी माना कि देर से भी अगर कोई दावा करता है, तो आप किसी के बकाए पेंशन को नहीं रोका जा सकता है.

याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट के एसके मस्तान मामले में दिए गए आदेश का हवाला दिया था. इसमें याचिकाकर्ता ने कहा कि किसी को देर से पेंशन की मांग करने का मतलब यह नहीं है कि उसके पेंशन को रोक दिया जाए. यह सरकार का काम है कि पेंशन की गणना कर भुगतान करें, जबकि सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि यह समय पर जमा नहीं किए हैं. इसलिए पेंशन नहीं दी गई. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के उपरांत पेंशन की भुगतान करने का आदेश दिया है.

पति के मृत्यु के बाद नहीं मिल रहा था पेंशन
बता दें कि याचिकाकर्ता जसुमति पिंगुआ के पति सिंहभूम के तक्करबापा उच्च विद्यालय में शिक्षक के पद पर पदस्थापित थे. उनकी मृत्यु होने के उपरांत उन्हें पारिवारिक पेंशन नहीं दिया गया था. साल 1976 में उनकी मृत्यु हुई थी. पेंशन के लिए वह गुहार लगाती रही, लेकिन सरकार से उसे पेंशन नहीं मिला. जिसके बाद साल 2016 में पत्नी जसुमति पिंगुआ ने झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. उस याचिका पर सुनवाई के उपरांत अदालत ने सरकार को पेंशन भुगतान करने का आदेश दिया है.

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