रांचीः पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना (Azadi ka Amrit Mahotsav) रहा है, ऐसे में आज ईटीवी भारत आपको एक ऐसी मंदिर की कहानी बता रहा है, जो ऐतिहासिक होने के साथ साथ बेहद रोचक भी है. हम बात कर रहे हैं रांची के पहाड़ी मंदिर (Pahadi Mandir) का, जहां पूजा के साथ-साथ देश भक्ति की झलक दिखती है. इस मंदिर को पहाड़ी मंदिर के अलावा लोग फांसी टुंगरी के नाम से भी जानते हैं. आजादी के पहले यह मंदिर अंग्रेजों के कब्जे में था और देश आजाद होने के बाद झारखंड में पहली बार पहाड़ी मंदिर पर तिरंगा फहराया गया था.
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रांची रेलवे स्टेशन से 7 किलोमीटर दूर किशोर गंज इलाके में स्थित ऐतिहासिक पहाड़ी मंदिर आस्था और देशभक्ति का संगम स्थल है. जानकारों के अनुसार यहां अंग्रेज स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी देते थे. यहां पर अंग्रेजों ने कई सेनानियों को फांसी दी थी. पहाड़ पर स्थित भगवान शिव का मंदिर देश की आजादी के पहले अंग्रेजों के कब्जे में था. हालांकि वहां नियमित रूप से पूजा-पाठ जरूर होती थी.
पहाड़ पर स्थित भगवान शिव का यह मंदिर देश की आजादी के पहले अंग्रेजों के कब्जे में था. स्वतंत्रता मिलने के बाद सबसे पहले रात के 12 बजे इस पहाड़ी की चोटी पर भगवान शिव के पताका के साथ तिरंगा फहराया गया था. ये सिलसिला आज भी बदस्तूर जारी है. स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर इस पहाड़ी पर सबसे पहले तिरंगा झंडा फहराया जाता है.
आजादी के बाद से ही स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसर पर इस मंदिर में धार्मिक झंडे के साथ राष्ट्रीय झंडा भी फहराया जाता है. यह देश का ऐसा पहला मंदिर है जहां तिरंगा झंडा मंदिर के गुंबद पर फहराया जाता है. ऐसा माना जाता है कि 1947 की आधी रात को सबसे पहले इसी मंदिर के गुंबद में तिरंगा फहराया गया था. फांसी टुंगरी के अलावा इस मंदिर का नाम पीरु गुरु भी था, जिसे आगे चलकर ब्रिटिश काल में ही फांसी टुंगरी (Fansi Tungri) में बदल गया.