बोकारो/रांची: बोकारो हवाई अड्डे (Bokaro Airport) से कमर्शियल फ्लाईट कब उड़ान भरेगी, इसका जवाब किसी के पास नहीं है. वो भी तब, जब बोकारो एयरपोर्ट करीब-करीब बनकर तैयार हो चुका है. यहां की मशीने धूल फांक रहीं हैं. इसकी वजह हैं 1772 पेड़-पौधे और चिल-कौवे क्योंकि एयरपोर्ट के 5 किमी की परिधि में कई अवैध बूचड़खाने चल रहे हैं. जबतक इनको नहीं हटाया जाता, तबतक उड़ान पर ग्रहण लगा रहेगा. इसको लेकर बोकारो के भाजपा विधायक बिरंची नारायण एड़ी चोड़ी का जोर लगा रहे हैं लेकिन राज्य सरकार, बोकारो स्टील प्लांट, एयरपोर्ट ऑथारिटी ऑफ इंडिया और डीजीसीए के अधिकारी एक प्लेटफॉर्म पर नहीं आ पा रहे हैं. इसकी वजह से कमर्शियल रिजनल कनेक्टिविटी अधर में है. जबकि स्पाइस जेट ने पटना और कोलकाता के लिए उड़ान सेवा देने की तैयारी भी कर ली है.
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स्थानीय जनप्रतिनिधि की क्या है भूमिका: बोकारो के भाजपा विधायक बिरंची नारायण (MLA Biranchi Narayan) ने बताया कि 7 जून 2022 को उच्च स्तरीय समिति ने पेड़ों की कटाई की अनुमति दे दी थी, लेकिन बीएसएल ने हाथ खड़े कर दिए हैं. इसको लेकर उन्होंने राज्य सरकार के संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम से बात की है. जवाब में मंत्री ने कहा कि पेड़ कटवाने के लिए जिला प्रशासन को पत्र भेजा जा चुका है. बूचड़खाने भी हटाए जाने हैं. विलंब क्यों हो रहा है, इसको देखना होगा. बिरंची नारायण ने कहा कि साल 2018 में देवघर के साथ बोकारो एयरपोर्ट का शिलान्यास हुआ था. बाबानगरी में सेवा शुरू हो चुकी है. कोविड के पहले ही बोकारो का रनवे बन गया था. पेड़ों की कटाई भी हुई थी. लेकिन पेड़ फिर बढ़ गये हैं. जबतक सुरक्षा मानक पूरे नहीं होते, डीजीसीए लाइसेंस नहीं देगा.
क्या कर रही है राज्य सरकार: आपको जानकर हैरानी होगी कि बोकारो एयरपोर्ट का कंस्ट्रक्शन वर्क करीब-करीब पूरा हो चुका है. डीजीसीए को दोबारा निरीक्षण करने की फुर्सत नहीं मिल रही है. यह काम इसलिए अटका पड़ा है क्योंकि एयरपोर्ट ऑथारिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (Airport Authority of India) और बोकारो स्टील प्लांट प्रबंधन के बीच का एमओयू मार्च 2021 में ही खत्म हो चुका है. बिना फ्रेश एमओयू के बात नहीं बढ़ सकती. स्थानीय भाजपा विधायक बिरंची नारायण इसको लेकर पूरा जोर लगा रहे हैं. लेकिन रास्ता नहीं निकल पा रहा है. हालाकि बिरंची नारायण ने कहा कि उनके आग्रह पर संसदीय कार्यमंत्री आलगगीर आलम ने जनवरी 2023 में खुद विजिट करने की बात कही है. उनके इस आश्वासन से लटके काम जल्द पूरे होने की उम्मीद है.
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किसको उठानी पड़ रही है परेशानी: दरअसल, झारखंड के प्रमुख शहरों में रांची, जशेदपुर और धनबाद के बाद बोकारो का नाम आता है. स्टील प्लांट की वजह से इसको औद्योगिक नगरी भी कहा जाता है. इस प्लांड सिटी में तमाम सुविधाएं हैं. बोकारो स्टील प्लांट का एक छोटा एयरपोर्ट भी है. यहां देश के अलग-अलग राज्यों के लोग काम करते हैं. लेकिन यहां से कॉमर्शियल एयर कनेक्टिविटी नहीं है. बोकारो और धनबाद जैसे घनी आबादी वाले शहर के लोगों को फ्लाइट पकड़ने के लिए या तो रांची आना पड़ता है या दुर्गापुर जाना पड़ता है. सबसे ज्यादा तकलीफ तब होती है, जब किसी गंभीर मरीज को इलाज के लिए तत्काल बाहर भेजने की जरूरत आन पड़ती है. इसी को ध्यान रखते हुए केंद्र सरकार की उड़ान योजना के तहत झारखंड के देवघर और बोकारो में एयरपोर्ट व्यवस्था पर काम शुरू किया गया. लेकिन केंद्र की पहल पर देवघर से हवाई यात्रा तो शुरू हो गई लेकिन बोकारो में मामला लटक गया.
बोकारो एयरपोर्ट के विस्तारीकरण की वजह: आम लोगों की जरूरत को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने "उड़े देश का आम नागरिक" के नारे के साथ उड़ान योजना शुरू की थी. इसके तहत टियर-2 और टियर-3 शहरों के लोगों को महज 2,500 रुपए में प्रति घंटे की दर से हवाई यात्रा मुहैया कराने का लक्ष्य रखा गया था. इसका मकसद है रिजनल एयर कनेक्टिविटी को बढ़ाना. चूकि बोकारो स्टील प्लांट का एयरपोर्ट तमाम मानको को पूरा कर रहा था, इसलिए इसके विस्तारीकरण का काम शुरू हुआ. लेकिन मामूली कोऑर्डिनेशन की वजह से बात आगे नहीं बढ़ रही है.