रांची: झारखंड में निजी क्षेत्र में 75 फीसदी आरक्षण को प्रभावी बनाने में इन दिनों झारखंड सरकार जुटी हुई है. हालत यह है कि सरकार ने आनन फानन में नियम बनाकर जनता के बीच ला तो दिया मगर 06 महीने बीत जाने के बाद भी इसके तहत एक भी नियुक्ति नहीं हुई. पिछले शीतकालीन सत्र में जब यह मामला उठा तो श्रम विभाग अब रेस हुआ है. राज्य में स्थित निजी सेक्टर से जुड़े इंडस्ट्री, चैम्बर ऑफ कॉमर्स और एमएसएमई के साथ श्रम विभाग ने बुधवार को बड़ी बैठक की जिसमें इस नियम के पालन कराने में आ रही कठिनाई और उसके समाधान पर विस्तार से चर्चा हुई.
ये भी पढ़ें- निजी क्षेत्र में 75% आरक्षण, 40 हजार तक की नौकरी में मिलेगा लाभ, प्रवर समिति ने पेश की रिपोर्ट
श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने उद्योग जगत से जुड़े प्रतिनिधियों से स्थानीय लोगों को 75% आरक्षण का लाभ देने की अपील की. उन्होंने कहा कि इसको लेकर रांची सहित अन्य शहरों में कार्यशाला आयोजित कर जागरूकता फैलाया जायेगा. श्रम सचिव राजेश शर्मा ने कहा कि नियोक्ता कंपनियों का निबंधन अनिवार्य है मगर अभी तक निबंधन में तेजी नहीं आई है ऐसे में विभाग का मानना है कि सरकार उन तक इस नियम की जानकारी देने में विफल रही है, इस वजह से उन्हें जागरूक किया जा रहा है.
उद्योग जगत ने एक्ट की खामियों को गिनाया: निजी क्षेत्र में 40 हजार तक की नौकरियों में 75% आरक्षण के प्रावधान में कई तरह की खामियां हैं, जिसके कारण उद्योग जगत से जुड़े लोग कार्यक्रम के दौरान नाराजगी जताते नजर आए. झारखंड राज्य स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष अंजय पचेरिवाला ने कहा कि प्रावधान में स्थानीय कौन होगा वह स्पष्ट नहीं है इसके अलावा पहले से कार्यरत कर्मियों को तीन वर्ष के बाद हटाकर स्थानीय लोगों को 75% आरक्षण का लाभ देने की बात कहां तक न्यायोचित होगा. हर तीन महीने पर सरकार को इंडस्ट्री द्वारा नियुक्ति संबंधी रिपोर्ट भी देना असहज है. इसे साल में एक बार रिपोर्ट देने का प्रावधान करना चाहिए.
कुछ इसी तरह के विचार झारखंड चैम्बर ऑफ कॉमर्स और अन्य औद्योगिक घरानों से आए प्रतिनिधियों ने व्यक्त किए. कार्यक्रम के दौरान आए सवाल का जवाब देते हुए श्रम सचिव राजेश शर्मा ने कहा कि स्थानीयता को लेकर कार्मिक विभाग के 2016 में बनी नीति और जारी अधिसूचना को ही मान्य माना जाय. विभाग के द्वारा फरवरी तक पोर्टल तैयार कर लिया जायेगा जिसमें कंपनियों के द्वारा निबंधन करने के पश्चात पूरा ब्यौरा उसमें रखा जायेगा. इस तरह से रघुवर कार्यकाल में बनी स्थानीय नीति जो 1985 का कट ऑफ तारीख है उसे ही माना जायेगा.
एक नजर में झारखंड में निजी क्षेत्र में 75% आरक्षण: 40,000 से कम वेतन पाने वाले कर्मचारियों की रिक्तियों में स्थानीय लोगों के लिए 75% सीट आरक्षित होंगी. 10 से अधिक कर्मचारियों वाली निजी कंपनी या संस्था पर यह प्रावधान लागू होगा. केंद्र और राज्य सरकार की कंपनियों पर यह आरक्षण लागू नहीं होगा. स्थानीय युवाओं को ही इसका लाभ मिलेगा जो वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन कराएंगे. नियम का पालन नहीं करने वाली कंपनी को 10 हजार से 5 लाख तक के दंड का प्रावधान है.