रांचीः भारतीय शिक्षण मंडल झारखंड प्रांत की ओर से राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा का महत्व विषय पर एक वेबिनार आयोजित किया गया. वेबिनार में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू भी शामिल हुईं. इसमें राज्यपाल ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉक्टर कस्तूरी रंगन की अध्यक्षता में गठित आयोग की ओर से पंचायत से संसद तक विभिन्न स्तरों पर प्राप्त सुझावों के बाद नई शिक्षा नीति 2020 को तैयार किया गया है. इस दौरान उन्होंने कहा कि भारतीय शिक्षण मंडल झारखंड प्रांत की ओर से राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा का महत्व विषय पर परिचर्चा का आयोजन सराहनीय है. ऐसे विषयों पर चर्चा होनी चाहिए.
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राज्यपाल ने कहा कि इस पाठ्यक्रम में जहां अभी 10+2 की व्यवस्था है. वहीं नई शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत 5 +3+3+4 का प्रावधान किया गया है. इसका मतलब है कि प्राइमरी क्लास से दूसरी तक एक हिस्सा फाउंडेशन कोर्स का हो. तीसरी से पांचवी तक दूसरा हिस्सा प्रिपेरटॉरी स्टेज .छठी से आठवीं तक तीसरा हिस्सा मिडिल स्टेज और 9 वीं से 12 वीं तक आखिरी हिस्सा सेकेंडरी स्टेज होगा और इस दौरान मातृ भाषाओं का उपयोग इन तमाम हिस्सों में निहित किया गया है. यह बेहतर है और सराहनीय पहल है.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा का महत्व विषय पर वेबिनार, राज्यपाल ने गिनाईं खूबियां
भारतीय शिक्षण मंडल झारखंड प्रांत की ओर से राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा का महत्व विषय पर एक वेबिनार आयोजित किया गया. इसमें राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू भी शामिल हुईं. इस दौरान उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति का महत्व समझाया.
रांचीः भारतीय शिक्षण मंडल झारखंड प्रांत की ओर से राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा का महत्व विषय पर एक वेबिनार आयोजित किया गया. वेबिनार में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू भी शामिल हुईं. इसमें राज्यपाल ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉक्टर कस्तूरी रंगन की अध्यक्षता में गठित आयोग की ओर से पंचायत से संसद तक विभिन्न स्तरों पर प्राप्त सुझावों के बाद नई शिक्षा नीति 2020 को तैयार किया गया है. इस दौरान उन्होंने कहा कि भारतीय शिक्षण मंडल झारखंड प्रांत की ओर से राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा का महत्व विषय पर परिचर्चा का आयोजन सराहनीय है. ऐसे विषयों पर चर्चा होनी चाहिए.
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राज्यपाल ने कहा कि इस पाठ्यक्रम में जहां अभी 10+2 की व्यवस्था है. वहीं नई शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत 5 +3+3+4 का प्रावधान किया गया है. इसका मतलब है कि प्राइमरी क्लास से दूसरी तक एक हिस्सा फाउंडेशन कोर्स का हो. तीसरी से पांचवी तक दूसरा हिस्सा प्रिपेरटॉरी स्टेज .छठी से आठवीं तक तीसरा हिस्सा मिडिल स्टेज और 9 वीं से 12 वीं तक आखिरी हिस्सा सेकेंडरी स्टेज होगा और इस दौरान मातृ भाषाओं का उपयोग इन तमाम हिस्सों में निहित किया गया है. यह बेहतर है और सराहनीय पहल है.