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झारखंड लीगल लिटरेसी फॉरम की ओर से वेबिनार का आयोजन, जस्टिस एस एन पाठक ने रखे विचार - रांची में वेबिनार में जस्टिस एसएनपाठक ने विचार रखे

झारखंड लीगल लिटरेसी फॉरम की ओर से सिल्ड कवर प्रोसीजर के विषय पर वेबिनार का आयोजन 25 जुलाई शनिवार को किया गया. इस दौरान मुख्य वक्ता के रूप में झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस डॉ. एसएन पाठक शामिल हुए.

Webinar organized by Jharkhand Legal Literacy Forum in ranchi
झारखंड लीगल लिटरेसी फॉरम की ओर से वेबीनार का आयोजन
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Published : Jul 25, 2020, 10:46 PM IST

रांची: झारखंड लीगल लिटरेसी फॉरम की ओर से सिल्ड कवर प्रोसीजर के विषय पर वेबिनार का आयोजन 25 जुलाई शनिवार को किया गया. वेबिनार में मुख्य वक्ता झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस डॉ. एसएन पाठक ने अपना विचार रखें. जस्टिस डॉ. पाठक ने अपने विचार रखते हुए कहा कि सिल्ड कवर प्रोसीजर तभी अपनाना चाहिए जब वह आवश्यक हो. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के कई आदेश का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी कर्मचारी पर जब कोई विभागीय कार्रवाई चलती है या उस पर कोई आपराधिक मुकदमा चलता है तो उनकी प्रोन्नति अक्सर रोक दी जाती है, लेकिन उन्होंने कहा कि यह प्रोन्नति रुकनी नहीं चाहिए, यह उचित नहीं है.

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उन्होंने बताया कि बल्कि उनको दिए जाने वाले प्रोन्नति पर लिए गए निर्णय को सील बंद करके रखा जाना चाहिए, जब वह आरोपी होते हैं या आरोप मुक्त होते हैं, तब उन्हें खोला जाना चाहिए. उन्होंने भारत संघ बनाम केवी जानकी रमन केस 1994 के आदेश का हवाला देते हुए कहा. वेबिनार में झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता राजीव शर्मा और मनोज टंडन सहित अन्य कई अधिवक्ता, कॉलेज के प्रोफेसरों ने भाग लिया. आयोजन की समाप्ति पर अधिवक्ता आशीष रंजन ने धन्यवाद ज्ञापन दिया.

रांची: झारखंड लीगल लिटरेसी फॉरम की ओर से सिल्ड कवर प्रोसीजर के विषय पर वेबिनार का आयोजन 25 जुलाई शनिवार को किया गया. वेबिनार में मुख्य वक्ता झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस डॉ. एसएन पाठक ने अपना विचार रखें. जस्टिस डॉ. पाठक ने अपने विचार रखते हुए कहा कि सिल्ड कवर प्रोसीजर तभी अपनाना चाहिए जब वह आवश्यक हो. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के कई आदेश का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी कर्मचारी पर जब कोई विभागीय कार्रवाई चलती है या उस पर कोई आपराधिक मुकदमा चलता है तो उनकी प्रोन्नति अक्सर रोक दी जाती है, लेकिन उन्होंने कहा कि यह प्रोन्नति रुकनी नहीं चाहिए, यह उचित नहीं है.

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उन्होंने बताया कि बल्कि उनको दिए जाने वाले प्रोन्नति पर लिए गए निर्णय को सील बंद करके रखा जाना चाहिए, जब वह आरोपी होते हैं या आरोप मुक्त होते हैं, तब उन्हें खोला जाना चाहिए. उन्होंने भारत संघ बनाम केवी जानकी रमन केस 1994 के आदेश का हवाला देते हुए कहा. वेबिनार में झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता राजीव शर्मा और मनोज टंडन सहित अन्य कई अधिवक्ता, कॉलेज के प्रोफेसरों ने भाग लिया. आयोजन की समाप्ति पर अधिवक्ता आशीष रंजन ने धन्यवाद ज्ञापन दिया.

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