रांची: पूरे झारखंड में लू और भयंकर गर्मी से लोग परेशान हैं. प्रचंड गर्मी से आने वाले कुछ दिनों में राहत मिलने की भी उम्मीद नहीं है. रांची के कुछ इलाकों में तो हीट वेव का रेड अलर्ट भी है. हलक सूखा देने वाली गर्मी के बीच पानी की समस्या भी उत्पन्न हो गई है. लोगों को पीने के पानी के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कई गांव और मोहल्ले में लगाए गए चापाकल सूख चुके हैं.
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शहर से लेकर गांव पंचायत तक जलसंकट को दूर करने के लिए पेयजल और स्वच्छता विभाग, नगर निकाय और जिला परिषद स्तर से गांव-पंचायत में चापाकल लगाये जाते हैं. लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि गर्मी के दिनों में लोगों की प्यास बुझाने के लिए लगाए गए चापाकलों में से बड़ी संख्या में चापाकल ऐसे हैं जिसका हलक खुद सूखा हुआ है.
राज्य में 50 हजार से ज्यादा चापाकल खराब: तपिश भरी गर्मी के बीच आम लोगों को जलसंकट की वजह से होने वाली परेशानी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के एक आंकड़े के मुताबिक राज्य में साढ़े चार लाख चापाकलों में से 50 हजार से अधिक चापाकल खराब पड़े हुए हैं. 20 जिलों के 24 प्रमंडलों में पेयजल का भीषण संकट है. रांची जिला जिसमें राजधानी क्षेत्र भी शामिल है, यहां 4000 से अधिक चापाकल खराब पड़े हुए हैं. पलामू जिले में करीब 3200, दुमका में 2600, गोड्डा में लगभग 2000 चापाकल खराब पड़े हुए हैं. इसी तरह पाकुड़ में करीब 1350, देवघर में 1200, जामताड़ा में 1500, गढ़वा में 1900, गुमला में 1200, सिमडेगा में 800, लोहरदगा में 900, हजारीबाग में 2000, झुमरी तिलैया (कोडरमा) में करीब 1700 चापाकल खराब पड़े हुए हैं. चतरा में 1950 के करीब तो रामगढ़ में 1500 और सरायकेला खरसावां में 1300 के करीब चापाकल खराब पड़े हुए हैं.
क्या कहते हैं चापाकल के एक्सपर्ट मैकेनिक: राजधानी रांची सहित राज्य भर के अलग-अलग इलाकों में गंभीर होती जलसंकट और पाताल लोक में जाते भूगर्भ जल को चापाकल सूखने की मुख्य वजह बताते हुए चापाकल एक्सपर्ट मैकेनिक मोहम्मद नसीम कहते हैं कि सरकारी व्यवस्था में सिर्फ 250 फीट तक ही चापाकल बोरिंग हो सकता है. ऐसे ही बोरिंग की जाती है. नतीजा यह होता है कि जब भूगर्भ जल 500-700 फीट नीचे तक चला गया है, ऐसे में 250 फीट गहराई वाला चापाकल कहां से पानी देगा?