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तीन दिनों की बारिश में डूब गई थी रांची! ये है इसके पीछे की वजह

राजधानी रांची को जहां एक तरफ स्मार्ट सिटी (Smart City) बनाने की कवायद जोरों पर चल रही है. वहीं पिछले दिनों हुई भारी बारिश से रांची में बाढ़ जैसा नजारा देखने को मिला. पानी निकासी के सभी रास्ते बंद होने के कारण कारण राजधानी में बाढ़ जैसे हालात हो गए थे. भूगर्भ विज्ञान के प्रोफेसर डॉ नितीश प्रियदर्शी ने बताया कि विकास और विस्तार के नाम पर पानी निकासी के सभी रास्ते बंद कर दिए गए हैं, जिसके कारण रांची में जलजमाव की समस्या हो गई है. वहीं मेयर आशा लकड़ा ने भी माना है कि जल निकासी के लिए जरूरी व्यवस्था नहीं की गई है, जिसके कारण लोगों के घरों में बारिश का पानी घुस रहा है.

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राजधानी रांची में पानी ही पानी
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Published : Aug 5, 2021, 6:15 PM IST

Updated : Aug 5, 2021, 10:36 PM IST

रांची: शहर को स्मार्ट सिटी (Smart City) बनाने की चल रही कवायद के बीच जगह-जगह आकर्षक तरीके से लगाए गए 'रमणीक रांची' का बोर्ड लगाए गए हैं, जो लोगों को एक नजर में आकर्षित कर रहा है, लेकिन पिछले दिनों दो दिनों की जोरदार बारिश के बाद जगह-जगह जलजमाव और सड़क, घर, अपार्टमेंट में घुसे पानी ने लोगों को रांची में भी बाढ़ जैसा नजारा दिखा दिया है. शहर में बाढ़ जैसे हालात को देखने के बाद लोग यह सोचने को मजबूर हो गए हैं कि आखिर 20 सालों में रांची में क्या कुछ बदलाव देखने को मिला है.

इसे भी पढे़ं: भारी बारिश के बाद दरिया बनी रांची, कई कारें पानी में डूबी


क्या कहते हैं विशेषज्ञ

बारिश से बदहाल रांची की वजह जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम सबसे पहले आरयू के भूगर्भ विज्ञान के प्रोफेसर डॉ नितीश प्रियदर्शी के पास पहुंचे. उन्होंने बताया कि कैसे झारखंड राज्य बनने के बाद राजधानी रांची में विकास और विस्तार के नाम पर पानी के स्वाभाविक और प्राकृतिक रास्ते को ही अवरुद्ध कर दिया गया. उन्होंने कहा कि महंगी होती जमीन की अंधाधुन बिक्री और उस पर मकान और इमारत बनाने की होड़ में लोग यह भी भूल गए कि जब प्रकृति अपनी लौ में आएगी तब क्या होगा और कितनी तबाही होगी.

देखें पूरी स्टोरी

अतिक्रमण और सौन्दर्यीकरण के नाम पर नदियों को बांधा


डॉ नितीश प्रियदर्शी कहते हैं कि एक तो पानी के नेचुरल फ्लो को अवरुद्ध कर दिया गया है. एक समय में राजधानी में हरमू, जुमार, भुसर, पोटपोटो, घाघरा सहित कई पठारी नदियां बहती थी, जो भारी बारिश के पानी को खुद में समेट कर स्वर्णरेखा नदी तक पहुंचाती थी. आज इन पठारी नदियों का क्या हाल है सब जानते हैं. उन्होंने बताया कि अतिक्रमण और सौन्दर्यीकरण के नाम पर नदियों को ही बांध दिया गया. ऐसे में जब भारी बारिश होगी तो उस पानी को ढोने में नदियां सक्षम नहीं है. अर्बन प्लानिंग वैज्ञानिक सोच के विपरीत है. पानी के बहाव कहां-कहां और कैसे होगा इसका नक्शा तक नहीं बना है.

इसे भी पढे़ं: भारी बारिश से रांची बेहाल, कुछ लोगों ने आपदा को अवसर में बदला, वसूल रहे 500 से 1000 रुपये



क्या कहती हैं रांची की मेयर

वहीं रांची नगर निगम की मेयर आशा लकड़ा कहती हैं कि भारी बारिश में पानी का जितना निकासी होना चाहिए उतना कैपेसिटी ही नहीं है. ईटीवी भारत के संवाददाता ने जब मेयर से पूछा कि कटहल मोड़ के रास्ते में भारी जलजमाव होता है, नदियों में ही रास्ते बना दिए गए हैं, यह जिम्मेवारी किसकी है? इस सवाल पर मेयर आशा लकड़ा ने कहा कि सबसे बड़ी बात है कि किसी भी जगह पर भवन निर्माण में नक्शा के अनुसार घर बनाना चाहिए. मेयर मानती हैं कि व्यवसायिक भवनों तक में पार्किंग की व्यवस्था नहीं है, जल निकासी के लिए भी जरूरी व्यवस्था नहीं की गई है. उन्होंने कहा कि नदी की जमीन बेच दी गई है, कार्रवाई के लिए अधिकारी अधिकृत हैं, लेकिन वह ठीक से काम नहीं कर रहे हैं.



जागृति नगर कॉलोनी में पानी निकासी का रास्ता नहीं


अरगोड़ा-कटहल मोड़ रोड पर इलाही नगर, संजीवनी नगर के पास जागृति नगर कॉलोनी बस रहा है. नए बस रहे कॉलोनी के रास्ता एक पठारी नदी को भरकर बनाया गया है. आम दिनों में पानी बहने के लिए ह्यूम पाइप लगा दिया गया है, लेकिन जब कभी भारी बारिश हुई और उस वक्त नदी में बने रास्ते में कोई पानी की तेज धार में फंस गया तो उसे बचाना काफी मुश्किल हो जाएगा.

रांची: शहर को स्मार्ट सिटी (Smart City) बनाने की चल रही कवायद के बीच जगह-जगह आकर्षक तरीके से लगाए गए 'रमणीक रांची' का बोर्ड लगाए गए हैं, जो लोगों को एक नजर में आकर्षित कर रहा है, लेकिन पिछले दिनों दो दिनों की जोरदार बारिश के बाद जगह-जगह जलजमाव और सड़क, घर, अपार्टमेंट में घुसे पानी ने लोगों को रांची में भी बाढ़ जैसा नजारा दिखा दिया है. शहर में बाढ़ जैसे हालात को देखने के बाद लोग यह सोचने को मजबूर हो गए हैं कि आखिर 20 सालों में रांची में क्या कुछ बदलाव देखने को मिला है.

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क्या कहते हैं विशेषज्ञ

बारिश से बदहाल रांची की वजह जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम सबसे पहले आरयू के भूगर्भ विज्ञान के प्रोफेसर डॉ नितीश प्रियदर्शी के पास पहुंचे. उन्होंने बताया कि कैसे झारखंड राज्य बनने के बाद राजधानी रांची में विकास और विस्तार के नाम पर पानी के स्वाभाविक और प्राकृतिक रास्ते को ही अवरुद्ध कर दिया गया. उन्होंने कहा कि महंगी होती जमीन की अंधाधुन बिक्री और उस पर मकान और इमारत बनाने की होड़ में लोग यह भी भूल गए कि जब प्रकृति अपनी लौ में आएगी तब क्या होगा और कितनी तबाही होगी.

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अतिक्रमण और सौन्दर्यीकरण के नाम पर नदियों को बांधा


डॉ नितीश प्रियदर्शी कहते हैं कि एक तो पानी के नेचुरल फ्लो को अवरुद्ध कर दिया गया है. एक समय में राजधानी में हरमू, जुमार, भुसर, पोटपोटो, घाघरा सहित कई पठारी नदियां बहती थी, जो भारी बारिश के पानी को खुद में समेट कर स्वर्णरेखा नदी तक पहुंचाती थी. आज इन पठारी नदियों का क्या हाल है सब जानते हैं. उन्होंने बताया कि अतिक्रमण और सौन्दर्यीकरण के नाम पर नदियों को ही बांध दिया गया. ऐसे में जब भारी बारिश होगी तो उस पानी को ढोने में नदियां सक्षम नहीं है. अर्बन प्लानिंग वैज्ञानिक सोच के विपरीत है. पानी के बहाव कहां-कहां और कैसे होगा इसका नक्शा तक नहीं बना है.

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क्या कहती हैं रांची की मेयर

वहीं रांची नगर निगम की मेयर आशा लकड़ा कहती हैं कि भारी बारिश में पानी का जितना निकासी होना चाहिए उतना कैपेसिटी ही नहीं है. ईटीवी भारत के संवाददाता ने जब मेयर से पूछा कि कटहल मोड़ के रास्ते में भारी जलजमाव होता है, नदियों में ही रास्ते बना दिए गए हैं, यह जिम्मेवारी किसकी है? इस सवाल पर मेयर आशा लकड़ा ने कहा कि सबसे बड़ी बात है कि किसी भी जगह पर भवन निर्माण में नक्शा के अनुसार घर बनाना चाहिए. मेयर मानती हैं कि व्यवसायिक भवनों तक में पार्किंग की व्यवस्था नहीं है, जल निकासी के लिए भी जरूरी व्यवस्था नहीं की गई है. उन्होंने कहा कि नदी की जमीन बेच दी गई है, कार्रवाई के लिए अधिकारी अधिकृत हैं, लेकिन वह ठीक से काम नहीं कर रहे हैं.



जागृति नगर कॉलोनी में पानी निकासी का रास्ता नहीं


अरगोड़ा-कटहल मोड़ रोड पर इलाही नगर, संजीवनी नगर के पास जागृति नगर कॉलोनी बस रहा है. नए बस रहे कॉलोनी के रास्ता एक पठारी नदी को भरकर बनाया गया है. आम दिनों में पानी बहने के लिए ह्यूम पाइप लगा दिया गया है, लेकिन जब कभी भारी बारिश हुई और उस वक्त नदी में बने रास्ते में कोई पानी की तेज धार में फंस गया तो उसे बचाना काफी मुश्किल हो जाएगा.

Last Updated : Aug 5, 2021, 10:36 PM IST
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