रांची: राजधानी के बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (Instrument Landing System) सही समय पर काम नहीं करने के कारण विस्तारा का विमान रांची से भुवनेश्वर के लिए डायवर्ट कर दिया. इसके बाद एक घंटे के बाद रांची में उसकी सुरक्षित लैंडिंग कराई गयी.
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रांची एयरपोर्ट पर आईएलएस सिस्टम सही तरीके से काम नहीं करने की एयरपोर्ट पर आए दिन यात्रियों के लिए खतरा बना हुआ है. शुक्रवार को भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला, जब देर शाम विस्तारा की विमान एयरपोर्ट पर लैंड करने लगी तो लो-विजिबिलिटी के कारण उसे आनन-फानन में भुवनेश्वर डायवर्ट करना पड़ा. वहीं विस्तारा एयरलाइंस के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बताया कि शुक्रवार को मौसम खराब होने की वजह से विजिबिलिटी काफी कम हो गई थी. इसलिए फ्लाइट को भुवेश्वर ले जाया गया.
शुक्रवार को दिल्ली से रांची आ रही विमान जैसे ही लैंडिंग के लिए बिरसा मुंडा एयरपोर्ट के रनवे पर उतरी, वैसे ही रांची का मौसम खराब हो गया. अचानक आंधी तूफान आ गए और तेज हवाएं चलने लगीं, जिस वजह से विमान में बैठे यात्रियों ने चीखना-चिल्लाना शुरू कर दिया. लेकिन पायलट ने सूझ-बूझ का परिचय देते हुए विमान को अचानक डायवर्ट कर दिया और रांची एयरपोर्ट से फ्लाइट को भुवनेश्वर ले गए. दिल्ली से रांची के लिए लैंड कर रही विस्तारा की विमान को करीब एक घंटे के बाद दोबारा रांची लाया गया. 7 बजकर 10 मिनट पर आने वाली विमान करीब 9 बजे रांची पहुंची.
ठंड या मौसम के खराब होने से फ्लाइट की लैंडिंग के लिए विजिबिलिटी को बढ़ाने के लिए इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (ILS) लगाया गया था, जो कम से कम 1500 मीटर की विजिबिलिटी दिखाता था. लेकिन नई आईएलएस लगने के बाद भी विजिबिलिटी 900 मीटर ही दिख पा रहा है जबकि लैंडिंग के लिए करीब 1500 मीटर की आवश्यकता होती है.
क्या है इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टमः यह एक भूमि पर स्थापित फ्लाइट के अप्रोच प्रणाली होती है, जो फ्लाइट को रनवे पर पहुंचते हुए और लैंडिंग के समय का सटीक मार्गदर्शन उपलब्ध कराती है. इसमें रेडियो सिग्नल के संयोजन और कई स्थानों पर उच्च-तीव्रता की लाइट का प्रयोग किया जाता है. जिससे लो-विजिबिलिटी, खराब मौसम, हिमपात के रहते हुए भी विमान की सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित की जा सके. हर आईएलएस एप्रोच के लिए इन्स्ट्रुमेन्ट अप्रोच प्रोसीजर चार्ट्स उपलब्ध रहते हैं, जो पायलट को इंस्ट्रूमेंट फ्लाइट रेग्लूलेशन के प्रयोग के लिए वांछित जानकारी दी जाती है. जिसमें वहां से संबंधित प्रणाली, प्रयोग की गयीं रेडियो सिग्नल्स समेत मिनिमम विजिबिलिटी रिक्वायरमेन्ट्स का पूर्ण ब्यौरा दिया जाता है.