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कोरोना से लड़ाई में वेंटिलेटर की अहम भूमिका, झारखंड में सिर्फ 350 वेंटिलेटर

कोरोना वायरस जिस तरह से अपना पांव पसार रहा है. ऐसे में कोरोना से लड़ाई के लिए वेंटिलेटर बहुत जरूरी है. लेकिन झारखंड में राज्य में सरकारी और निजी अस्पताल को मिलाकर कुल वेंटिलेटर की संख्या मात्र 350 के ही करीब हैं.

Ventilator is very important to fight against Corona
कोरोना से लड़ाई के लिए वेंटिलेटर बेहद जरूरी
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Published : Apr 8, 2020, 8:57 AM IST

Updated : Apr 9, 2020, 7:28 PM IST

रांची: झारखंड में कोरोना के चार पॉजिटिव मरीज आने के बाद सरकार की चुनौती बढ़ गई है. राज्य में कोरोना जिस तरह से पांव पसार रहा है ऐसे में कोरोना पर विजय पाने के लिए स्वास्थ्य विभाग और राज्य सरकार के पास सिर्फ एक ही रास्ता है, वह है अपनी स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करना. कोरोना वायरस से निजात पाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कई दिशा-निर्देश जारी किया है जैसे बार-बार हाथ धोना, मास्क लगाना, छींकते और खांसते समय मुंह पर रुमाल रखना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना.

देखिए पूरी खबर

कोरोना पॉजिटिव मरीज जिन्हें सांस लेने या उनके रेस्पिरेटरी सिस्टम में दिक्कत होने लगती है, तो उन्हें वेंटिलेटर स्पोर्ट बेहद जरूरी हो जाता है. इससे साफ है कि कोरोना के खिलाफ वेंटिलेटर रामबाण की तरह है, लेकिन आश्चर्य की बात है कि सवा तीन करोड़ आबादी वाले झारखंड राज्य में सरकारी और निजी अस्पताल को मिलाकर कुल वेंटिलेटर की संख्या मात्र 350 के ही करीब हैं.

इसमें कई वेंटिलेटर खराब होने की भी बात कही जा रही है. ऐसे में अगर ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना वायरस अपना पांव पसार लेता है तो स्वास्थ्य विभाग के लिए काफी परेशानी खड़ी हो सकती है, क्योंकि मिली जानकारी के अनुसार राज्य के किसी सीएचसी,पीएचसी और सदर अस्पताल में वेंटिलेटर की सुविधा नहीं है.

रिम्स निदेशक ने बताया कि फिलहाल ट्रामा सेंटर में 14 वेंटीलेटर कार्यरत हैं, जरूरत पड़ने पर और भी वेंटीलेटर को उपयोग में लाया जायेगा. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अगर मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी होती है तो आने वाले समय में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

बता दें कि राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स में कुल 50 वेंटीलेटर हैं. इनमें 25 वेंटीलेटर आपातकाल स्थिति के लिए रखे गए हैं और कुछ वेंटीलेटर अन्य मरीज के इलाज के लिए रखी गई है. वहीं, रांची के सदर अस्पताल में मात्र दो वेंटिलेटर की व्यवस्था है.

ये भी पढ़ें- लॉकडाउन में दाह संस्कार की कैसी व्यवस्था, कितना गंभीर है प्रशासन, ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

रिम्स निदेशक डॉ. डीके सिंह ने बताया कि अमूमन वेंटिलेटर विदेशों से ही भारत में मंगवाए जाते थे जिनमें अमेरिका, इटली, स्पेन आदि हैं लेकिन कोरोना के संकट से इन देशों से वेंटिलेटर का एक्सपोर्ट बंद हो गया है. इसीलिए भारत में राष्ट्रस्तर पर ही वेंटिलेटर की कमी देखी जा रही है. ऐसे हालात में राज्य सरकार राज्य में मौजूदा वेंटिलेटर से ही काम करने को मजबूर है. फिलहाल राज्य में जो भी वेंटिलेटर खराब पड़े हुए हैं उन्हें जल्द से जल्द ठीक कराने का प्रयास किया जा रहा है.

रांची: झारखंड में कोरोना के चार पॉजिटिव मरीज आने के बाद सरकार की चुनौती बढ़ गई है. राज्य में कोरोना जिस तरह से पांव पसार रहा है ऐसे में कोरोना पर विजय पाने के लिए स्वास्थ्य विभाग और राज्य सरकार के पास सिर्फ एक ही रास्ता है, वह है अपनी स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करना. कोरोना वायरस से निजात पाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कई दिशा-निर्देश जारी किया है जैसे बार-बार हाथ धोना, मास्क लगाना, छींकते और खांसते समय मुंह पर रुमाल रखना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना.

देखिए पूरी खबर

कोरोना पॉजिटिव मरीज जिन्हें सांस लेने या उनके रेस्पिरेटरी सिस्टम में दिक्कत होने लगती है, तो उन्हें वेंटिलेटर स्पोर्ट बेहद जरूरी हो जाता है. इससे साफ है कि कोरोना के खिलाफ वेंटिलेटर रामबाण की तरह है, लेकिन आश्चर्य की बात है कि सवा तीन करोड़ आबादी वाले झारखंड राज्य में सरकारी और निजी अस्पताल को मिलाकर कुल वेंटिलेटर की संख्या मात्र 350 के ही करीब हैं.

इसमें कई वेंटिलेटर खराब होने की भी बात कही जा रही है. ऐसे में अगर ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना वायरस अपना पांव पसार लेता है तो स्वास्थ्य विभाग के लिए काफी परेशानी खड़ी हो सकती है, क्योंकि मिली जानकारी के अनुसार राज्य के किसी सीएचसी,पीएचसी और सदर अस्पताल में वेंटिलेटर की सुविधा नहीं है.

रिम्स निदेशक ने बताया कि फिलहाल ट्रामा सेंटर में 14 वेंटीलेटर कार्यरत हैं, जरूरत पड़ने पर और भी वेंटीलेटर को उपयोग में लाया जायेगा. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अगर मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी होती है तो आने वाले समय में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

बता दें कि राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स में कुल 50 वेंटीलेटर हैं. इनमें 25 वेंटीलेटर आपातकाल स्थिति के लिए रखे गए हैं और कुछ वेंटीलेटर अन्य मरीज के इलाज के लिए रखी गई है. वहीं, रांची के सदर अस्पताल में मात्र दो वेंटिलेटर की व्यवस्था है.

ये भी पढ़ें- लॉकडाउन में दाह संस्कार की कैसी व्यवस्था, कितना गंभीर है प्रशासन, ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

रिम्स निदेशक डॉ. डीके सिंह ने बताया कि अमूमन वेंटिलेटर विदेशों से ही भारत में मंगवाए जाते थे जिनमें अमेरिका, इटली, स्पेन आदि हैं लेकिन कोरोना के संकट से इन देशों से वेंटिलेटर का एक्सपोर्ट बंद हो गया है. इसीलिए भारत में राष्ट्रस्तर पर ही वेंटिलेटर की कमी देखी जा रही है. ऐसे हालात में राज्य सरकार राज्य में मौजूदा वेंटिलेटर से ही काम करने को मजबूर है. फिलहाल राज्य में जो भी वेंटिलेटर खराब पड़े हुए हैं उन्हें जल्द से जल्द ठीक कराने का प्रयास किया जा रहा है.

Last Updated : Apr 9, 2020, 7:28 PM IST
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