रांची: सब्जियों की बढ़ी कीमत के पीछे सबसे बड़ा हाथ उन बिचौलियों का होता है जो सब्जी उत्पादक किसान और ग्राहकों के बीच हैं, ये मंडी से लेकर खुदरा बाजार तक में अलग-अलग नाम से जाने जाते हैं. इन बिचौलियों से सब्जी उत्पादक किसान को बचाया जाए और राजधानीवासियों को भी बाजार से सस्ती दर पर सब्जियां मिलें इसके लिए कृषि विभाग का वेजफेड ने राजधानी में वेजफ्रेश नाम से आउटलेट्स खोला था.
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पूर्व की रघुवर दास की सरकार के समय में राजधानी के पॉस इलाके में प्रीमियर लोकेशन जैसे हिनू, डोरंडा, अशोक नगर, मोरहाबादी और बरियातू रोड में वेजफ्रेश के आउटलेट्स खोले गए थे. इसके संचालन की जिम्मेदारी एक गैर सरकारी संस्था को दी गयी थी. कहा गया था कि वह 'नो प्रॉफिट नो लॉस' पर किसानों के खेत से सब्जियों की खरीद कर सीधे आउटलेट्स के माध्यम से उपभोक्ताओं तक पहुंचाएगा. इसके लिए प्राइम लोकेशन पर आउटलेट्स भी दिए गए. लेकिन जिन लोगों को किसान और उपभोक्ताओं के हित के लिए ताजी सब्जियों की दुकान वेजफ्रेश दी गयी. उन्होंने ही इसका नियम विरुद्ध उपयोग करना शुरू कर दिया.
ताजी और हरी सब्जियों के लिए खोली गई दुकान में ग्रोसरी और डिपार्टमेंटल समान बिकने लगे, सब्जियां या तो वेजफ्रेश से गायब होती चली गयी या किसी एक कोने में सिर्फ खाना पूर्ति के लिए रही.
अशोकनगर स्थित वेजफ्रेश की दुकान तो पूरी तरह डिपार्टमेंटल स्टोर बन गया. यहां के संचालक कहते हैं कि अब इस दुकान को अशोक नगर सोसाइटी ने उन्हें किराए पर संचालित करने के लिए दिया है. डोरंडा में वेजफ्रेश की दुकान बंद पड़ी है तो हिनू में वेज फ्रेश की दुकान पर सब्जी छोड़ बाकी सभी जरूरतों का सामान बिकता है. कमोबेश यही हाल मोरहाबादी और बरियातू स्थित वेजफ्रेश की दुकानों का है.
झारखंड के कृषि विभाग की इकाई वेजफेड द्वारा शुरू की गई फ्रेश सब्जियों की आउटलेट्स की योजना राजधानी में ठीक ढंग से धरातल पर उतरती तो सब्जियों के बाजार में हावी बिचौलियों पर लगाम लगता. वहीं सीधे किसान से सब्जियों की खरीद होने से किसानों के साथ जनता को भी लाभ पहुंचता. ईटीवी भारत ने जब इस मुद्दे पर बात करने के लिए राज्य के कृषि मंत्री से बात की तो उन्होंने कहा कि वेज फ्रेश आउटलेट्स की पूरी जानकारी लेने के बाद ही वह कुछ कहेंगे.
वहीं, डोरंडा के बाल्मीकि पासवान ने बंद पड़े वेजफ्रेश की दुकान को लेकर कहा कि यह छह महीने से बंद है. जब यह खुलता था तब शुरुआती दिनों में ताजी और सस्ती सब्जियां मिला करती थी. आज जब सब्जियों के भाव आसमान छू रहे हैं और आमलोगों की थाली से सब्जियां कम होती जा रही है. तब ये सरकारी सब्जियों की दुकान न सिर्फ आम शहरी लोगों को महंगाई से थोड़ा राहत पहुंचाती बल्कि किसानों को भी बिचौलियों से बचाकर उनके मेहनत के अनुसार हक दिलाती.